संस्कृत शब्दकोशों की सूची
| क्रमांक | कोश | रचयिता | टिप्पणी |
|---|---|---|---|
| 1 | निघण्टु | प्रजापति कश्यप (महाभारत के मोक्षधर्मपर्व के अनुसार) | इसे संसार का प्राचीनतम कोशीय साहित्य कह सकते हैं। इसमें १७७३ वैदिक शब्दों का संकलन है। |
| 2 | निरुक्त | यास्क | निघण्टु की व्याख्या ; यह संसार का पहला शब्दार्थ कोश (डिक्शनरी) एवं विश्वकोश (ऐनसाइक्लोपीडिया) है। |
| 3 | धातुपाठ | पाणिनी | -- |
| 4 | गणपाठ | पाणिनी | -- |
| 5 | अमरकोश | अमरसिंह | छठी शताब्दी |
| 6 | धन्वन्तरिनिघण्टु | धन्वन्तरि | -- |
| 7 | अनेकार्थसमुच्चय | शाश्वत | इसी को 'शाश्वतकोश' भी कहते हैं |
| 8 | अभिधानरत्नमाला | भट्ठ हलायुध | -- लगभग १० वीं० शताब्धी ई० |
| 9 | वैजयंती कोश | यादवप्रकाश | -- १०५५ से १३३७ के मध्य |
| 10 | पाइयलच्छी नाममाला | धननञ्जय कवि | संस्कृत प्राकृत शब्दों का कोश |
| 11 | देशीनाममाला | हेमचंद्र | प्राकृत-अपभ्रंश-कोश |
| 12 | अभिधानचिंतामणि या 'अभिधानचिंतामणिनाममाला' | हेमचंद्र | प्रसिद्ध पर्यायवाची कोश |
| 13 | लिंगानुशासन | हेमचंद्र | |
| 14 | यशोविजय | हेमचंद्र | 'अभिधानचिंतामणि' पर उनकी स्वविरचित टीका |
| 15 | व्युत्पत्तिरत्नाकर (देवसागकरणि) | हेमचंद्र | टीकाग्रन्थ |
| 16 | सारोद्धार | वल्लभमणि | प्रसिद्ध टीका |
| 17 | अनेकार्थसंग्रह | हेमचंद्र | -- |
| 18 | विश्वप्रकाश | महेश्वर | ११११ ई० ; इसे 'विश्वकोश' भी अधिकतः कहा जाता है। |
| 19 | शब्दभेदप्रकाश | महेश्वर | वस्तुतः विश्वप्रकाश का परिशिष्ट है। |
| 20 | अनेकार्थ | मंख पंडित | १२ वीं शती ई० |
| 21 | नानार्थसंग्रह | अजयपाल | लगभग १२ वीं—१३ वीं शती के बीच |
| 22 | नाममाला | धनंजय | ई० १२ वीं शताब्दी उत्तरार्ध के आसपास अनुमानित |
| 23 | हारावली | पुरुषोत्तमदेव | ११५९ ई० के पूर्व |
| 24 | त्रिकांडकोश | पुरुषोत्तमदेव | यह अमरसिंह के त्रिकाण्डकोश से अलग है। |
| 25 | वर्णदेशन | पुरुषोत्तमदेव | -- |
| 26 | एकाक्षरकोश | पुरुषोत्तमदेव | -- |
| 27 | द्विरूपकोश | पुरुषोत्तमदेव | -- |
| 28 | वर्णदेशना | पुरुषोत्तमदेव | -- |
| 29 | त्रिकांडकोष | पुरुषोत्तमदेव | -- |
| 30 | हारावली | पुरुषोत्तमदेव | -- |
| 31 | द्विरूपकोश | श्रीहर्ष | उपरोक्त ग्रन्थ से अलग ग्रन्थ |
| 32 | नानार्थार्णव | केशवस्वामी | १२ वीं या १३ वीं शताब्दी |
| 33 | नानार्थशब्दकोश | मेदिनि | लगभग १४ वी शताब्दी के आसापास यह 'मेदिनिकोष' नाम से अधिक विख्यात है। |
| 34 | अपवर्गनाममाला | जिनभद्र सुरि | इसको 'पंचवर्गपरिहारनाममाला भी कहते हैं। |
| 35 | शब्दरत्नप्रदीप | कल्याणमल्ल | समय लगभग १२९५ ई० |
| 36 | शब्दरत्नाकर | महीप | लगभग १३७४ ई० |
| 37 | भूरिकप्रयोग | पद्यगदत्त | -- |
| 38 | शब्दमाला | रामेश्वर शर्मा | -- |
| 39 | नानार्थरत्नमाला | भास्कर अथवा दंडाधिनाथ | १४ वी शताब्दी के विजयनगर के राजा हरिहरगिरि की राजसभा में थे। |
| 40 | अभिधानतंत्र | जटाधर | -- |
| 41 | अनेकार्थ या नानार्थकमंजरी | नामांगदसिंह | लघु नानार्थकारी है। |
| 42 | रूपमंजरीनाममाला | रूपचंद्र | १६ वीं शती |
| 43 | शारदीय नाममाला | हर्षकीर्ति | -- |
| 44 | शब्दरत्नाकर | वर्मानभट्ट वाण | -- |
| 45 | नामसंग्रहमाला | अप्पय दीक्षित | -- |
| 46 | नामकोश | सहजकीर्ति | १६२७ |
| 47 | पंचचत्व प्रकाश | सहजकीर्ति | १६४४ |
| 48 | कल्पद्रुमकोश | केशव | 'केशवस्वामी' से ये भिन्न हैं। |
| 49 | नानार्थर्णव | केशवस्वामी | -- |
| 50 | शब्दरत्नावली | मथुरेश | १७वी शताब्दी |
| 51 | कोशकल्पतरु | विश्वनाथ | -- |
| 52 | नानार्थपदपीठिका | सुजन | -- |
| 53 | शब्दलिंगार्थचंद्रिका | सुजन | -- |
| 54 | पर्यायपदमंजरी | -- | -- |
| 55 | शब्दार्थमंजूषा | -- | -- |
| 56 | पर्यायरत्नमाला | महेश्वर | संभवतः पर्यायवाची कोश 'विश्वप्रकाश' के निर्माता महेश्वर से भिन्न हैं। |
| 57 | पर्यांयशब्दरत्नाकर | धनंजय भट्टाचार्य | -- |
| 58 | विश्विमेदिनी | सारस्वत भिन्न | -- |
| 59 | विश्वनिघंटु | विश्वकवि | -- |
| 60 | लोकप्रकाश | क्षेमेंद्र | -- |
| 61 | अनेकार्थमाला | महीप | -- |
| 62 | पर्यामुक्तावली | हरिचरणसेन | -- |
| 63 | पंचनत्वप्रकाश | वेणीप्रसाद | -- |
| 64 | राघव खांड़ेकर | केशावतंस | -- |
| 65 | अनेकार्थध्वनिमंजरी | महाक्षपणक | -- |
| 66 | आख्यातचीन्द्रिक | भट्टमल्ल | क्रियाकोश |
| 67 | लिंगानुशासन | हर्ष | -- |
| 68 | शब्दभेदप्रकाश | अनिरुद्ध | -- |
| 69 | शिवकोश | शिवदत्त वैद्य | वैद्यक ग्रन्थ |
| 70 | गणितार्थ नाममाला | -- | -- |
| 71 | नक्षत्रकोश | -- | -- |
| 72 | लैकिकन्यायसाहस्री | भुवनेश | लौकिक न्याय की सूक्तियाँ |
| 73 | लौकिक न्यायसंग्रह | -- | लौकिक न्याय की सूक्तियाँ) |
| 74 | लौकिक न्याय मुक्तावली | -- | लौकिक न्याय की सूक्तियाँ |
| 75 | लौकिकन्यायकोश | -- | लौकिक न्याय की सूक्तियाँ |
| 76 | शब्दकल्पद्रुम | राधाकान्त देव | १८८६-९४ |
| 77 | वाचस्पत्यम् | -- | -- |
| 78 | आयुर्वेदीय महाकोश | वेणीधर जोशी तथा हरिकान्त जोशी | १९६८ ; संस्कृत-संस्कृत-मराठी |
| 79 | संस्कृत इंग्लिश डिक्षनरी | विल्सन | १८१९ |
| 80 | संस्कृत इंग्लिश डिक्शनरी | मोनियर विलियम्स | १८५१ |
| 81 | इंग्लिश संस्कृत डिक्शनरी | मोनियर विलियम्स | -- |
| 82 | द प्रैक्टिकल संस्कृत-इंगलिश डिक्शनरी | वामन शिवराम आप्टे | १८९० |
| 83 | संस्कृत अंग्रेजी कोश | डब्ल्यू० यीट्स | १८४६ |
| 84 | संस्कृत अंग्रेजी डिक्शनरी | लक्ष्मण रामचंद्र वैद्य | १८८९ |
| 85 | संस्कृत डिक्शनरी | थियोडोर बेन्फे | १८६६ |
| 86 | ग्रासमैन लेक्सिकन टु दि ऋग्वेद | -- | -- |
| 87 | प्रैक्टिकल संस्कृत डिक्शनरी विद ट्रानस्लिटरेशन, एक्सेंचुएशन एंड एटिमालाजिकल एनालसिस थ्रूआउट | मैक्डानल्ड | १९२४ ई० |
| 88 | संस्कृत बोर्तेरबुख (संस्कृत जर्मन शब्दकोश) | राथ और बोथलिंक्ग् | १८५८ ई० से प्रारंभ होकर १८७५ ई में समाप्त |
| 89 | वृहद संस्कृत-अंग्रेजी शब्दकोश | प्रोफेसर एस.एम. कत्रे | १९४८ में डेक्कन कॉलेज में आरम्भ। यह विश्व की सबसे बड़ी संस्कृत-कोश परियोजना है।[1] |
सन्दर्भ
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- संस्कृत शब्दकोश खोज
- संस्कृत कोश समुच्चयः (दस से अधिक शब्दकोशों में विविध सुविधाओं सहित खोज)