संयुक्त राष्ट्र महासभा
महासभा का न्यूयॉर्क में सम्मेलन | |
मुख्यालय | मैनहैटन द्वीप, न्यूयॉर्क नगर, न्यूयॉर्क, संयुक्त राज्य |
सदस्य वर्ग | 193 सदस्य देश |
अधिकारी भाषाएं | अँग्रेजी, चीनी,रूसी, फ्रांसीसी, स्पेनी, अरबी |
अध्यक्ष | अब्दुल्ला शाहिद |
जालस्थल | http://www.un.org/en/ga/ |
संयुक्त राष्ट्र महासभा , संयुक्त राष्ट्र के 6 अंगों में से एक हैं और यही केवल सर्वांगीण संस्था है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र के समस्त सदस्य राष्ट्रों का सम प्रतिनिधित्व है। महासभा संयुक्त राष्ट्र के घोषणापत्र के अन्तर्गत आनेवाले समस्त विषयों पर तथा संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न अंगों की कार्यपरिधि में आनेवाले प्रश्नों पर विचार करती है और सदस्य राष्ट्रों एवं सुरक्षा परिषद् से उचित अभिस्ताव कर सकती है।इसमे सभी सदस्य देेेशो के पृतिनिधि सम्मलित तसहोते है। इसलिए इसे विश्व की लघु संसद भी कहा गया है।
यह संयुक्त राष्ट्र के पाँच मुख्य अंगों में से एक है। इस सभा का हर वर्ष सब सदस्य देशों के प्रतिनिधियों के साथ सम्मेलन होता है। इन प्रतिनिधियों में से एक को अध्यक्ष चुना जाता है। क्योंकि समान्य सभा वह अकेला मुख्य अंग है जिसमें सब सदस्य देश सम्मिलित होते है, उसके सम्मेलन अधिकतर विवाद के मंच होते है।
विवरण
महासभा, विशेष और आपात अधिवेशन में मिलती है। अधिवेशन सितम्बर के तीसरे मंगलवार को आयोजित होती है और दिसम्बर में थोड़ी देर के लिए रुकती है। अगले वर्ष, यदि आवश्यकता पड़े, तो महासभा फिर से आयोजित होती है और यह अधिवेशन सितम्बर में, दूसरे अधिवेशन के एक दिन पहले, समाप्त होती है। हर अधिवेशन के तीन महीने पहले सभा का अध्यक्ष चुना जाता है (2003 तक, अध्यक्ष अधिवेशन के पहले सम्मेलन में चुना जाता था)। आरम्भिक दो सप्ताहों के लिए, समान्य विवाद जारी रहते हैं, जिसमें महासचिव और अध्यक्ष के बाद हर प्रतिनिधि को सभा के सामने व्याख्यान देने का अवसर दिया जाता है।
महासभा के विशेष अधिवेशन सुरक्षा परिषद या सभा के बहुमत के अनुरोध द्वारा आयोजित की जा सकती है।
महत्वपूर्ण प्रश्नों (जैसे शान्ति और सुरक्षा के लिए सिफ़ारिश, संयुक्त राष्ट्र के अंगों के सदस्यों का चुनाव, आर्थिक निर्णय, सदस्यों के प्रवेश, निष्कासन, आदि) के निर्णय दो तिहाई बहुमत के अनुसार होते हैं। बाकी के निर्णय साधारण बहुमत के अनुसार लिए जाते हैं। हर सदस्य को एक मत मिलता है।
1980 के आस-पास, महासभा विकासशील राष्ट्रों और विकसित राष्ट्रों के बीच के विवाद की जगह बन गई थी। सभा के दो तिहाई से अधिक सदस्य विकासशील राष्ट्रों के हैं और इसलिए विकासित राष्ट्रों के पास महासभा में संख्या बल की दृष्टि से अधिक शक्ति नहीं है।
विषय
महासभा के प्रमुख विचारणीय विषय है - अन्तरराष्ट्रीय शान्ति एवं सुरक्षा सम्बन्धी प्रश्न, और नि:शस्त्रीकरण एवं शस्त्रनियन्त्रण के सिद्धान्त। महासभा को अन्तरराष्ट्रीय सहयोग की वृद्धि, अन्तरराष्ट्रीय विधि का विकास एवं संहिताकरण, मानवमात्र के मौलिक अधिकार आदि विषयों पर अध्ययन की व्यवस्था करके उन पर अभिस्ताव करने का भी अधिकार है। महासभा सुरक्षा परिषद् का ध्यान उन स्थितियों की ओर आकृष्ट कर सकती है जिनसे शान्ति एवं सुरक्षा को संकट की आशंका है। उपर्युक्त विषयों पर महासभा के प्रस्ताव आदेशात्मक नहीं है परन्तु अपने नैतिक बल एवं विश्व जनमत के निर्देशक होने के नाते उनका विशेष महत्व है। इसके अतिरिक्त महासभा सुरक्षा परिषद् के अस्थायी सदस्यों और सामाजिक आर्थिक परिषद् एव न्यासत्व परिषद् के सदस्यों को निर्वाचित करती है और महासचिव एवं अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश के निर्वाचन में योग देती है। राष्ट्र संघ के सदस्यों का प्रवेश और निष्कासन भी, सुरक्षा परिषद् की संस्तुति पर, महासभा द्वारा किया जाता है। महासभा के अन्य कृत्यों में राष्ट्र संघ के बजट का अनुमोदन, न्यास व्यवस्था का पर्यवेक्षण और अन्य अंगों के कार्यों का संयोजन उल्लेखनीय है।
महासभा का नियमित अधिवेशन प्रति वर्ष सितम्बर मास से होता है परन्तु अधिकांश सदस्यों अथवा सुरक्षा परिषद् के अनुरोध पर, महासचिव विशेष अधिवेशन बुला सकता है। महासभा प्रत्येक अधिवेशन के लिए एक सभापति और सात उपसभापति चुनती है।
समितियाँ
महासभा का अधिकांश कार्य निम्न सात मुख्य समितियों में होता है जिनमें प्रत्येक सदस्य राष्ट्र के प्रतिनिधि होते हैं: महासभा की दो प्रक्रियात्मक समितियाँ भी हैं:
- सामान्य समिति उपर्युक्त समितियों के कार्यो का समन्वय करती है।
- प्रमाणपत्र समिति प्रतिनिधियों के प्रमाणपत्रों पर विचार करती है।
- राजनीतिक एवं सुरक्षा समिति
- प्रशासन एवं बजट समिति
- विशेष राजनीतिक समिति
- आर्थिक एवं वित्तीय समिति
- सामाजिक, मानवीय एवं सांस्कृतिक समिति
- विधि समिति
- न्यास समिति
प्रमुख कार्य
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों के निषेधाधिकार प्रयोग से उत्पन्न राष्ट्र संघ की अकर्मण्यता के निवारण के लिए महासभा ने 1940 में लघुसभा नामक एक अन्तरिम समिति की स्थापना की। महासभा के सत्रावसान में महासभा का कार्य लघुसभा कर सकती है और महासभा का अधिवेशन बुला सकती है। इसके अनुसार, सुरक्षा परिषद् में शान्ति एवं सुरक्षा के प्रश्नों पर मतैक्य न होने पर, 24 घण्टे की सूचना पर महासभा का विशेष अधिवेशन बुलाया जा सकता है जो सामूहिक उपायों का अभिस्ताव और सैनिक कार्यवाही का निर्देश कर सकता है।
महासभा द्वारा सुरक्षा परिषद् के 10 अस्थायी सदस्यों तथा सामाजिक एवं आर्थिक परिषद् के 54 सदस्यों एवम् न्यास परिषद के अस्थायी सदस्यों का निर्वाचन किया जाता है। अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय के सदस्यों का निर्वाचन करने का अधिकार सामान्य रूप से महासभा(आम सभा)एवम् सुरक्षा परिषद् को ही हैं।
महासभा ने पिछले वर्षों में विश्व की विभिन्न जटिल समस्याओं पर विचार किया और कोरिया, ग्रीस, पैलेस्टाइन, स्पेन आदि के प्रश्न पर उचित कार्यवाही की। 1959 में ब्रिटेन, फ्रांस और इसराइल द्वारा स्वेज़ पर किये गये आक्रमण को रोकने में महासभा सफल हुई। महासभा को प्राप्त सफलताओं एवं असफलताओं के आधार पर इसका मूल्यांकन करना उचित न होगा। यद्यपि महासभा के निर्णय सदस्यों के लिए आदेशात्मक नहीं है, तथापि विश्व इतिहास की सर्वाधिक प्रतिनिधि संस्था होने के नाते अन्तरराष्ट्रीय शान्ति एवं सहयोग की स्थापना के लिए उसका महत्वपूर्ण स्थान निर्विवाद है।
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- United Nations General Assembly
- Verbatim record of the 1st session of the UN General Assembly, Jan. 1946
- UN Democracy: hyper linked transcripts of the United Nations General Assembly and the Security Council
- UN General Assembly – Documentation Research Guide
- Council on Foreign Relations: The Role of the UN General Assembly
- First session of United Nations General Assembly was convened on ______ Archived 2022-03-26 at the वेबैक मशीन