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संघर्ष

संघर्ष या द्वन्द्व (Conflict) से तात्पर्य दो या अधिक समूहों के बीच मतभेद, प्रतिरोध, विरोध आदि से है। एक ही समूह के अन्दर भी द्वन्द्व हो सकता है। इस स्थिति में अन्तःसमूह द्वन्द्व (intragroup conflict) कहते हैं।

संघर्ष अपने स्वप्नों को प्राप्त करने का भी हो सकता है। यह संघर्ष परिस्थितियों से होता है। जिसमे व्यक्ति/जीव स्वयं को तपाता है।

  (अपने लक्ष्य को पाने के लिए हर मुश्किल का सामना करता है और तब तक करता जाता है जब तक कि उसे पा ना ले चाहे परिस्थिति कैसी भी हो अगर वह संघर्ष करना ना छोड़े तो वह उसे अवश्य ही पा सकता है कई बार परिस्थिति ऐसी आती है जब उसे लगता है कि उसका संघर्ष बस पूरा होने वाला है लेकिन किसी ना किसी वजह से उसे संघर्ष जारी रखना पड़ता है

कई बार उसके संघर्ष के रास्ते में उसके घर के लोग भी आड़े आते हैं परंतु वह संघर्ष जारी रखता है और एक दिन चैंपियन बन जाता है अपने आप से लड़ना और अपने अंदर मन से लड़ना ही असली मायने में संघर्ष कहलाता है )

अपने कार्य को करने के लिए अपनी मंजिल पाने के लिए अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए जो व्यक्ति अडिग रहता है वही अपने संघर्ष में सफल होता है और एक दिन पूरी दुनिया में उसका नाम प्रचलित होता है 1 दिन सभी उसकी कहानी के बारे में सुनते और सुनाते हैं

जैसे कि मान लो एक कुत्ते के चार या पांच बच्चे होते हैं और कुछ दिनों बाद उसकी मां का दूध ना हो और वह अपने बच्चों का पेट ना भर सके तू वह बच्चे बिना दूध पिए मर सकते हैं लेकिन उनमें से जो बच्चा संघर्ष करता है और अपने जीवन से लड़ता है अपने लिए भोजन का जुगाड़ करता है और आने वाली कठिनाइयों का सामना करता है वही बच पाता है संघर्ष उसे ही कहते हैं

संघर्ष हर व्यक्ति करता है चाहे वह राजा हो या रंक जिंदगी जीवन का मक्सत ही संघर्ष है जीना है तो संघर्ष करना पड़ेगा |

            ... Satyam satrughan.