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संकीर्तन (नाट्य)

साँचा:Infobox performing art

मणिपुर का संकीर्तन, धार्मिक गायन, ढोलक की ताल पर नृत्य
देशभारत
यूनेस्को अंचलमणिपुर
इतिहास
अन्तर्भूक्ति2013

संकीर्तन एक प्रकार का मणिपुरी नाट्य होता है। मणिपुर की इस अनूठी सांस्कृतिक विरासत को 2013 में यूनेस्को की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रदर्शक सूची (Representative List) में अंकित किया गया था। मणिपुर के मैदानों के वैष्णव लोगों के जन्म से लेकर मृत्यु तक के जीवन के महत्वपूर्ण अवसरों को चिह्नित करने के लिए संकीर्तन किया जाता है।

'संकीर्तन' शब्द संस्कृत मूल 'कीर्तन' से निकला है, जिसका अर्थ है "प्रशंसा करना"। 'सं' शब्द सम्यक शब्द से आया है, जिसका अर्थ है "पूर्ण"। संकीर्तन प्रायः मणिपुर के वैष्णव प्रदर्शन करते हैं। यह मणिपुर, असम तथा और अन्य स्थानों में प्रचलित है जहाँ मणिपुरी बसे हुए हैं। यह मणिपुरी उपासना की कलात्मक अभिव्यक्ति है। इस कला में कथा गायन और नृत्य सम्मिलित हैं। यह हमेशा एक आंगन में या एक मंदिर से जुड़े मण्डप के अंदर एक मंडल (गोलाकार क्षेत्र) में प्रदर्शित किया जाता है। कलाकार गीत और नृत्य के माध्यम से कृष्ण की कहानी सुनाते हैं, उपासकों को परमात्मा से जोड़ते हैं। एक विशिष्ट प्रदर्शन में दो ढोल वादक और लगभग दस गायक-नर्तक होते हैं।

संकीर्तन जुड़े अनुष्ठान और औपचारिकताएँ कठिन हैं। दर्शकों तक को निर्धारित नियमों के अनुसार बैठाया जाता है। इसमें ढोल और झांझ जैसे संगीत वाद्ययंत्र प्रयोग किये जाते हैं। कलाकार इन वाद्ययंत्रों को बजाते हैं और साथ में नृत्य करते हैं। प्रायः कलाकार अपना जीवनकाल केवल एक ही पहलू में विशेषज्ञता प्राप्त करने में निकाल देता है।

संकीर्तन नृत्य के कई उप-रूप हैं। प्रत्येक संकीर्तन एक विस्तृत अनुष्ठान के साथ शुरू होना चाहिए, जैसे कि चन्दन, दीपक प्रज्ज्वलन, और वस्त्र अर्पण। इसके बाद राग का जप और गुरुचंद्रिका। इसके बाद अनुष्ठान गायन, ढोल वादन और नृत्य होते हैं। इस कला रूप में शामिल गायन भारतीय शास्त्रीय गायन का एक महत्वपूर्ण प्रकार है। संकीर्तन में लगभग 100 तालों का उपयोग किया जाता है।

ढोल और झांझ संगीतकारों द्वारा प्रयुक्त मुख्य वाद्य यंत्र हैं। विशिष्ट समय पर, शंख बजाने वाला एक साथ दो शंख बजाता है। संकीर्तन के समय दर्शकों को अन्दर आने या बाहर जाने की अनुमति नहीं होती। संकीर्तन नृत्य एक दृश्यमान और जीवन्त कला है जो पांच शताब्दियों से समय की कसौटी पर खरी उतरी है।

सन्दर्भ

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ