षष्ठी
षष्ठी (छठी) माता या देवसेना हिंदु धर्म की एक महादेवी हैं। इन्हें भगवती की श्रेणी में रखा जाता है । बच्चों के दाता और रक्षक के रूप में पूजा इनकी की जाती है। माता षष्ठी वनस्पतियों की भी देवी हैं और माना जाता है कि प्रजनन और बच्चों को जन्म देने के दौरान सहायता करती हैं । एक हिंदू लोक देवी है, जो बच्चों के दाता और रक्षक के रूप में पूजा की जाती है। वह वनस्पति और प्रजनन की देवता भी हैं और माना जाता है कि वे बच्चों को जन्म देती हैं और बच्चे के जन्म के दौरान सहायता करती हैं। माता षष्ठी भगवान कार्तिकेय की पहली पत्नी हैं। माता षष्ठी को दक्षिण भारत के लोग देवी देवसेना कह कर पुकारते हैं । ये भगवान कार्तिकेय की प्रथम और सर्वाधिकप्रिय पत्नी है । इनकी पूजा से कभी न समाप्त होने वाला वंश और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती हैं। शिव परिवार की ज्येष्ठ बहु हैं इसलिए इनकी पूजा शिव परिवार की पूजा अनिवार्य रूप से होती है। ये भगवान शिव और माता पार्वती के बहु हैं। ये भगवान गणेश, अशोक सुंदरी, मनसा देवी, अय्यप्पा और देवी ज्योति की सबसे बड़ी भाभी हैं । इनकी पूजा हर शुक्रवार को होती है । पर मुख्यतः इनकी पूजा छठ पर्व में की जाती हैं । यह पर्व मुख्यताः बिहार के लोग बड़े धूम धाम से मनाते हैं ।
षष्ठी देवी (छठी मैया) | |
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वंश,शक्ति, जीवनकाल, अर्घ्य, खुशी, आनंद, प्रेम, भक्ति, देवत्व, ईश्वर प्रेम, सौंदर्य, सद्भाव, आकर्षण, समय, ऋतुओं, जोड़ों, विवाह, दान, दंड, शक्ति, ऊर्जा, वैवाहिक सुख, , निर्माण, संरक्षण, विनाश, प्रकृति, भ्रूण, गर्भावस्था, दीर्घायु, संतान, मातृत्व और प्रजनन की देवी; शिशुओं की संरक्षिका; महामारि, रोग, दोषों को दूर करने वाली देवी; आदिशक्ति,पराशक्ति, जगतमाता | |
श्री श्री १०८ माता षष्ठी | |
अन्य नाम | इंद्रसूता, षष्टी , पुत्रदायनी,मोक्षदायनी,सुखदायनी, देवसेना, वरदायनी, षष्ठी, बालाधिष्ठात्री, छठी, षष्ठांशरुपाये , रौना माता, मैया और देवी |
संबंध | जगतमाता, जगजननी, पर अम्बा, महामाया, आदिशक्ति, आदि पराशक्ति, देवी, संतानदायनी |
निवासस्थान | स्कंद लोक, और मणिद्वीप, इंद्र लोक |
मंत्र | नमो देव्यै महादेव्यै सिद्ध्यै शान्त्यै नमो नम:। शुभायै देवसेनायै षष्ठी देव्यै नमो नम: ।। वरदायै पुत्रदायै धनदायै नमो नम:। सुखदायै मोक्षदायै षष्ठी देव्यै नमो नम:।। शक्ते: षष्ठांशरुपायै सिद्धायै च नमो नम:। मायायै सिद्धयोगिन्यै षष्ठी देव्यै नमो नम:।। पारायै पारदायै च षष्ठी देव्यै नमो नम:। सारायै सारदायै च पारायै सर्व कर्मणाम।। बालाधिष्ठात्री देव्यै च षष्ठी देव्यै नमो नम:। कल्याणदायै कल्याण्यै फलदायै च कर्मणाम। प्रत्यक्षायै च भक्तानां षष्ठी देव्यै नमो नम:।। पूज्यायै स्कन्दकांतायै सर्वेषां सर्वकर्मसु। देवरक्षणकारिण्यै षष्ठी देव्यै नमो नम:।। शुद्ध सत्त्व स्वरुपायै वन्दितायै नृणां सदा। हिंसा क्रोध वर्जितायै षष्ठी देव्यै नमो नम:।। धनं देहि प्रियां देहि पुत्रं देहि सुरेश्वरि। धर्मं देहि यशो देहि षष्ठी देव्यै नमो नम:।। भूमिं देहि प्रजां देहि देहि विद्यां सुपूजिते। कल्याणं च जयं देहि षष्ठी देव्यै नमो नम:।। जय छठी मैया ॥ जय सूर्य नारायण ॥ ॐ नम शिवाय: ॥ नमः पार्वतीपत्ये हर हर महादेव ॥ |
अस्त्र | कमल, चक्र, गदा, अक्षय पात्र, खड्ग, कृपाण, वर मुद्रा और नवजात शिशु (गोदी में बैठा हुआ) |
युद्ध | महाभट्ट का वध |
दिवस | रविवार |
वर्ण | लाल, पीला और भगवा |
जीवनसाथी | कार्तिकेय |
माता-पिता | |
भाई-बहन | जयंत, जयंती, ऋषभ , मिधुषा |
संतान | सम्पूर्ण विश्व |
सवारी | बिल्ली |
शास्त्र | देवी भागवत पुराण, महाभारत, विष्णु पुराण, वेद, सूर्याष्टक, शिव महापुराण, मत्स्य पुराण, वराह पुराण एवं उपनिषद् |
त्यौहार | छठ पूजा |