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श्रेणीक्रम और समानांतरक्रम परिपथ

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इस श्रेणीक्रम परिपथ में तीन प्रतिरोध श्रेणीक्रम में जुड़े हैं।
केवल प्रतिरोध ही श्रेणीक्रम में नहीं जोड़े जाते, बल्कि आवश्यकता पड़ने पर डायोड, एससीआर, बीजेटी, मॉसफेट, संधारित्र, प्रेरकत्व आदि भी श्रेणीक्रम या समान्तरक्रम में जोड़े जाते हैं। इस चित्र में दो डायोड श्रेणीक्रम में जोड़े गए हैं। इन डायोडों के के समान्तर जो प्रतिरोध और संधारित्र लगे हैं, वे इसलिए लगाए गये हैं कि सभी स्थितियों (जैसे ऑन होने समय, ऑफ होते समय) में दोनों डायोडों पर वोल्टता का वितरण समान हो। ऐसा न होने पर पहले एक डायोड (जिस पर अधिक वोल्टेज आ जाएगा) खराब होगा और फिर दूसरा भी खराब हो जाएगा।

बहुत से विद्युत या इलेक्ट्रॉनिक घटकों या अवयवों को जोड़कर विद्युत परिपथ बनते हैं। परिपथों में घटक दो प्रकार से जोड़े जा सकते हैं: श्रेणीक्रम और समानांतरक्रम में। जिस परिपथ में सभी घटक श्रेणीक्रम में जुड़े हों, उसे श्रेणी परिपथ और जिस परिपथ में सभी घटक समानांतर क्रम में जुड़े हों उसे समानांतर परिपथ कहा जा सकता है। श्रेणी परिपथ में हरेक घटक से समान धारा प्रवाहित होती है[1][2], जबकि समानांतर परिपथ में हरेक घटक पर समान वोल्टता उपलब्ध होती है।[3] श्रेणी परिपथों में प्रत्येक घटक का कार्यरत रहना आवश्यक है, अन्यथा परिपथ टूट जायेगा। समांतर परिपथों में कोई भी घटक खराब होने पर भी शेष घटक कार्य करते रहेंगे, किन्तु किसी भी घटक को शॉर्ट सर्किट होने पर पूरा परिपथ शॉर्ट-सर्किट हो सकता है।

यदि किसी परिपथ में किसी स्थान पर 10 ओम के प्रतिरोध की आवश्यकता है किन्तु वह उपलब्ध नहीं है किन्तु ५-५ ओम के दो प्रतिरोध सुलभ हैं तो इनको श्रेणीक्रम में जोड़कर लगाया जाड़ सकता है। इसी प्रकार यदि 10-10 ओम के दो प्रतिरोध उपलब्ध होने पर उन्हें समान्तरक्रम में जोड़ देने से 10 ओम का तुल्य प्रतिरोध प्राप्त हो जाता है। डेढ़-दो वोल्ट सहन कर सकने वाले सैकड़ों बल्बों को श्रेणीक्रम में जोड़कर २३० वोल्ट से घरेलू बिजली से उनको जगमगाया जाता है। कहीं पर २४ वोल्ट की जरूरत हो तो १२ वोल्ट वाली दो बैटरियों को श्रेणीक्रम में जोड़कर २४ वोल्ट प्राप्त किया जा सकता है। परिपथों में भिन्न प्रकार के अवयव भी श्रेणीक्रम या समान्तरक्रम में जुड़े हो सकते हैं उदाहरण के लिये डायोड की रक्षा के लिये उसके श्रेणीक्रम में उपयुक्त मान का फ्यूज लगा दिया जाता है; या पंखे को चालू/बंद करने के लिये उसके श्रेणीक्रम में एक स्विच डाला जाता है। इसी तरह किसी विद्युत-अपघट्टीय संधारित्र में उल्टी दिशा में वोल्टता न लग जाये इसके लिये उसके समान्तरक्रम में एक डायोड (उचित पोलैरिटी में) डाल दिया जाता है। किसी स्थान पर २ अम्पीयर धारा वहन कर सकने वाला डायोड लगाना हो तो १ एम्पीयर धारा वहन कर सकने वाले दो डायोड समान्तरक्रम में लगा देने से भी काम चल सकता है।

श्रेणीक्रम संयोजन

जब विद्युत के दो या अधिक घटक इस प्रकार जोड़े जाते हैं कि सबमें एक ही धारा प्रवाहित हो तो इसे श्रेणीक्रम कहते हैं। अर्थात, श्रेणीक्रम में जुड़े सभी अवयवों में प्रत्येक क्षण एक समान धारा प्रवाहित होती है। किन्तु उन अलग-अलग घटकों के सिरों के बीच का विभवान्तर उन घटकों के विद्युतीय गुणों (प्रतिरोध, प्रेरकत्व, धारिता, या V-I गुणधर्म) पर निर्भर होती है। उदाहरण के लिये यदि १० ओम, २० ओम और ५० ओम के तीन प्रतिरोधों को श्रेणीक्रम में जोड़ा गया हो और १० ओम वाले प्रतिरोध में २ एम्पियर धारा बह रही हो तो २० ओम एवं ५० ओम वाले प्रतिरोधों में भी २ एम्पीयर धारा प्रवाहित हो रही होगी। किन्तु इन तीनों प्रतिरोधकों के विभवान्तर अलग-अलग (क्रमश: २० वोल्ट, ४० वोल्ट तथा १०० वोल्ट) होंगे।

प्रतिरोध में

सिरे से सिरे जुड़े हुए कई प्रतिरोधक; प्रत्येक में समान मात्रा में धारा बह रही है।

प्रेरकत्व (इंडक्टर्स) में

सिरे से सिरे जुड़े हुए कई इंडक्टर ; प्रत्येक में समान धारा बह रही है

संधारित्रों में

सिरे से सिरे जुड़े हुए कई संधारित्र ; प्रत्येक में प्रवाहित धारा समान होगी।

.Frac

समानांतर क्रम

समान्तर क्रम में जुड़े दो या अधिक 'दो सिरों वाले' विद्युत अवयवों में सभी के सिरों के बीच विभवान्तर समान होता है किन्तु इनमें से होकर बहने वाली धारा अलग-अलग हो सकती है जो उन अवयवों के प्रतिरोध, प्रेरकत्व, धारिता एवं अन्य बातों पर निर्भर करती है। घरों में लगे हुए बिजली के बल्ब, पंखे, ट्यूबलाइट आदि सभी समान्तरक्रम में जुड़े होते हैं।

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प्रतिरोधों में

कई प्रतिरोध समानांतर क्रम में लगे हुए, जिनकी समान सिरा एक ही तार से जुड़ा हुआ है।

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इंडक्टर्स में

कई इंडक्टर्स समानांतर क्रम में लगे हुए, जिनकी समान सिरा एक ही तार से जुड़ा हुआ है।

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संधारित्रों में

कई संधारित्र समानांतर क्रम में लगे हुए, जिनकी समान सिरा एक ही तार से जुड़ा हुआ है।

Ctotal = C1 +C2 +C3 ......+ Cn

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. रेस्निक, रॉबर्ट एवं हलिडे, डेविड, फ़िज़िक्स, अध्याय ३२, उदाहरण १(खण्ड I एवं II, संयुक्त संस्करण)
  2. स्मिथ, आर.जे, सर्किट्स, डिवाइसेज़ एण्ड सिस्टम्स, पृ. २१
  3. रेस्निक, रॉबर्ट एवं हलिडे, डेविड, फ़िज़िक्स, अध्याय ३२, उदाहरण ४ (खण्ड I एवं II, संयुक्त संस्करण)

बाहरी कड़ियाँ