शेरु मुंशी खान
सेरू ब्रीर्ल्ये | |
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जन्म | शेरु मुंशी खान 1981 खण्डवा, मध्य प्रदेश, भारत |
पेशा | लेखक, व्यापारी |
गृह-नगर | खण्डवा |
शेरु मुंशी खान या सेरू ब्रीर्ल्ये भारतीय मूल की ऑस्ट्रेलियाई व्यापारी हैं। इनका जन्म 1981 में खण्डवा, मध्य प्रदेश, भारत में हुआ था। यह 25 वर्षों से अपनी माँ से अलग रहने के बाद पुनः मिल गए। यह घटना भारत और ऑस्ट्रेलिया में बहुत अधिक प्रसिद्ध हो गया। इस पर यह एक किताब ए लॉन्ग वे होम लिख चुके हैं।[1]
पृष्ठभूमि
शेरु मुंशी खान का जन्म भारत के खण्डवा, मध्य प्रदेश में वर्ष 1981 में हुआ था। जब यह बच्चे थे, तब पिता के चले जाने के बाद परिवार गरीबी में आ गया। तब माँ ने निर्माण कार्य में कार्य कर अपने और अपने बच्चे के लिए पैसे जोड़े। लेकिन यह दोनों के खाने के लिए पर्याप्त नहीं था, और न ही इससे वह अपने बच्चे को विद्यालय भेज सकती थी।
परिवार की खोज
सेरू होबर्ट में एक ऑस्ट्रेलियाई लड़के की तरह रहने लगा। इसके ऑस्ट्रेलियाई माता-पिता ने इसके साथ ही मनतोष नामक एक अन्य भारतीय बच्चे को गोद लेते हैं। सेरू वहाँ अंग्रेज़ी सीखता है और हिन्दी को भूल जाता है। वह व्यापार आदि ऑस्ट्रेलिया के अंतरराष्ट्रीय होटल विद्यालय में सीखता है।
बड़े होने के बाद वह कई घण्टे उपग्रह द्वारा धरती के दृश्य में अपने घर को खोजने में व्यक्त करने लगता है। हावड़ा रेल मार्ग के आस पास देखते रहता है। वह उस रेल मार्ग का नाम भूल गया था, उसे केवल उसके आगे के अक्षर "ब" ही पता था। 2011 के एक रात को उसने एक छोटे से रेल अड्डे को देखा। वह उसके बचपन के कुछ स्मृति से मेल खा रहा था। उस जगह का नाम बरहनपुर था। उसका नाम भी उसके बचपन के समय सुने नाम से मिलता जुलता था। जब उसने उपग्रह के छवि को उत्तर की ओर ले गया तो उसे खण्डवा नामक एक गाँव मिला। उसे उसके नाम से कोई जानकारी याद नहीं आ रही थी, लेकिन उस गाँव के पास एक झरना था, जिसे देखने के बाद उसे कुछ कुछ याद आया। उसके बाद वह रास्ता देखने लगा जहाँ उसका घर था। उसे वह गली मिल गई जहाँ वह रहता था।
वह फेसबूक में खण्डवा के समूह से बात करता है और वहाँ लोगों ने उसको विश्वास दिलाया की यह उसकी जन्मभूमि है।
इसके बाद सेरू खण्डवा, भारत की यात्रा करता है। वह वहाँ के स्थानीय निवासियों से अपने परिवार के बारे में और 25 वर्ष पूर्व किसी के बच्चे के खो जाने के बारे में पूछता है। वह अपने बच्चे समय का एक तस्वीर भी लोगों को दिखाता है। वहाँ के स्थानीय निवासी उसे उसकी माँ तक ले जाते हैं। वह अब अपनी बहन शेकीला और भाई कल्लू से मिल जाते हैं। जो क्रमशः शिक्षिका और कारख़ाना प्रबन्धक होते हैं। इनका मिलना भारतीय और अंतरराष्ट्रीय समाचार में बहुत दिखाया जाता है।
वर्तमान स्थिति
सेरू वर्तमान में होबर्ट में रहता है, लेकिन अपने परिवार से रोज बात करता है। वह अपने माँ के लिए एक घर खरीदने की कोशिश करता है। क्योंकि वह एक किराए के घर में रहती है और उसके पैसे देने के लिए उसे सफाई आदि कार्य करना पड़ता है।
वर्ष 2012 में सेरू अपने पुस्तक ए लॉन्ग वे होम को पूरा करता है। जिसमें उसके 5 वर्ष के उम्र से लेकर उसके अपने परिवार के तलाश की कहानी लिखी हुई है। इस कहानी पर लायन नामक एक फिल्म कोलकाता में बन रही है। जिसमें निकोल किडमेन और देव पटेल अभिनय कर रहे हैं।[2]
सन्दर्भ
- ↑ "The incredible story of Saroo Brierley". मूल से 8 अगस्त 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 अक्तूबर 2015.
- ↑ Brierley, Saroo (2013) A Long Way Home. Viking. Melbourne, Australia. ISBN 9780670077045