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शिल्प संग्रहालय, नई दिल्ली

राष्ट्रीय हस्तशिल्प एवं हथकरघा संग्रहालय
शिल्प संग्रहालय, प्रवेश द्वार
नक्शा
स्थापित21 दिसम्बर 1991
अवस्थितिप्रगति मैदान, नई दिल्ली
प्रकारकला संग्रहालय
संग्रह का आकार33,000[1]
जालस्थलhttp://nationalcraftsmuseum.nic.in/
संग्रहालय का एक मनोरम दृश्य
संग्रहालय प्रवेश


शिल्प संग्रहालय, जिसका औपचारिक नाम राष्ट्रीय हस्तशिल्प एवं हथकरघा संग्रहालय है, नई दिल्ली में पुराना किला के सामने भैरों मार्ग पर प्रगति मैदान परिसर में स्थित है।[2] यह दिल्ली के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है। यहाँ के वरिष्ठ निदेशक श्री सोहन कुमार झा हैं।[3] यह संग्रहालय लगभग 8 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। 21 दिसम्बर 1991 को भारत के राष्ट्रपति रामस्वामी वेंकटरमण ने विधिवत इसका उद्घाटन किया था। आज विश्व के प्रमुख पर्यटन स्थलों में इसकी गणना होती है। विश्व भर के लाखों पर्यटक यहाँ भारत की परम्परागत शिल्प एवं कलाओं का सजीव अवलोकन करने आते हैं।

इस संग्रहालय में भारत की सतत् एवं जीवंत हस्तशिल्प एवं हथकरघा परम्पराओ को प्रदर्शित किया गया है। देश के विभिन्न राज्यों की सांस्कृतिक झलक यहाँ देखी जा सकती है। इस जगह देश के विभिन्न भागों से आए शिल्पकार अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं। इस संग्रहालय में देश भर से एकत्रित किए गए दुर्लभ कलाकृतियों और हस्त शिल्प एवं हथकरघा का विस्तृत संग्रह है। यहाँ पाँच स्थाई प्रदर्शनी दीर्घाएँ और एक विशेष दीर्घा हैं। इस में जो एक विशेष दीर्घा है उस में समय समय पर कार्यक्रम प्रस्तुत किये जाते है। इस समय विशेष दीर्घा के अन्दर शिल्प व्याख्या प्रदर्शनी का कार्यक्रम चल रहा है।

संग्रहालय वीथी प्रवेश द्वार
चित्र:Crafts Museum, नई दिल्ली 1.jpg
भित्ति चित्रण

समय

  • प्रात: 9.30-शाम 5 बजे तक
  • अवकाश: सोमवार और राष्ट्रीय अवकाश के दिन बंद रहता है।

दीर्घा

शिल्प संग्रहालय में आदिवासी और ग्रामीण शिल्प, वस्त्रों, मृण-शिल्प, लौह शिल्प आदि से संबंधित कुल 7 दीर्घाएँ हैं। इन मे से पाँच स्थाई प्रदर्शनी दीर्घाएँ हैं और दो विशेष प्रदर्शनी दीर्घाएँ हैं। इन दीर्घाओं के नाम हैं: भूता वीथी, लोक एवं आदिवासी कला वीथी, आनूष्ठानिक वीथी, वैभवशाली वीथी और वस्त्र विथी।[4]

शिल्प संग्रहालय में प्रवेश करते ही हमारा स्वागत विभिन्न विथियों से होता है। सर्वप्रथम हम भूता वीथी में प्रवेश करते हैं। यहाँ सभी कलाकृतियाँ कटहल के वृक्षों के तनों से तराश कर बनाई गई हैं। यहाँ प्रदर्शित सभी काष्ठ प्रतिमाएँ दक्षिण भारत से लाई गई हैं तथा वहाँ के आदिवासीय जनजाति के लोगों में प्रचलित धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयोग में लाई जाने वाली प्रतिमाएँ अति विशिष्ठ हैं। इसी वीथी के साथ ही लोक एवं आदिवासीय कला वीथी है जिनमें भारत की विभिन्न प्रदेशों की आदिवासी एवं जनजातियों के लोगों द्वारा बनाई गई कलाकृतियां पर्यटकों का मन मोह लेती हैं।

भूता वीथी

भूता वीथी में कटहल की लकडियों से बनी मूर्तिया हैं। यह लोकादिवासियो के देवी-देवता (कुल देव) की प्रतिमा हैं। ऐसी मान्यता है की यह प्रतिमाएं इनके कुल की रक्षा करती हैं। यह मान्यता रही है कि अपने पूर्वजों की आत्मा की संतुष्टि के लिए विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान लोगों द्वारा किए जाएं। इसी प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए कर्नाटक के आदिवासीय जनजाति के लोग अपने पूर्वजों के लिए इस प्रकार की काष्ठ प्रतिमाएं बनाते थे व इनकी पूजा आदि करते थे।

आय्यन्नार प्रांगण

संग्रहालय के प्रवेश द्वार पर राजस्थान के चित्रकारों द्वारा मनोभावन रंगों से चित्रित कला का अवलोकन होता है, जो सभी को आकर्षित करता है। इसमें प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया गया है। प्रवेश द्वार से आगे चलते ही तमिलनाडु का आय्यन्नार मृण-शिल्प का प्रांगण है।

दृश्य-श्रव्य कक्ष

दृश्य-श्रव्य कक्ष

संग्रहालय में लोक एवं आदिवासीय कला वीथी के ठीक सामने ही दृश्य-श्रव्य कक्ष है जिसमें जिला सरगूज़ा, छत्तीसगढ़ के केनापरा गाँव की सुप्रसिद्ध लोक चित्रकार स्वर्गीय श्रीमती सोना बाई द्वारा दीवारों पर अति मनोरम मिट्टी का काम किया गया है। इस कक्ष का प्रयोग विभिन्न बैठकों, चित्रपट प्रदर्शन एवं कार्यशालाओं हेतु किया जाता है।

अस्थाई वीथी

अस्थाई वीथी का प्रयोग संग्रहालय में आयोजित की जाने वाली विभिन्न देशी व विदेशी प्रदर्शनियों के लिए किया जाता है। इस समय अस्थाई वीथी के अन्दर शिल्प व्याख्या प्रदर्शनी का कार्यक्रम चल रहा है।

अस्थायी वीथी में आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन

आनुष्ठानिक वीथी

आनुष्ठानिक वीथी में भारत के विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयोग की जाने वाली पीतल, काष्ठ आदि की प्रतिमाओं व कलाकृतियों का अनमोल व बेजोड़ संग्रह है। इस वीथी में गणेशजी, राधा-कृष्ण की पीतल की प्रतिमाएं, नरसिंह की दो विशाल काष्ठ प्रतिमाएं व दक्षिण भारत की स्वर्ण पत्र चित्रकारी, कलमकारी आदि मुख्यत: देखने योग्य हैं।

वैभवशाली वीथी

वस्त्र वीथी

वैभवशाली वीथी के साथ ही वस्त्र वीथी का प्रवेशद्वार है। इस वीथी में भारत के विभिन्न प्राँतों के अनेकों पारम्परिक वस्त्र प्रदर्शित किए गए हैं। वस्त्र वीथी के आरम्भ में अनेकों प्रकार की पारम्परिक साड़ियां प्रदर्शित की गई हैं। यहां विभिन्न पारम्परिक साड़ियों का प्रदर्शन बहुत ही नायाब ढंग से किया गया है। इस वीथी में छात्रों एवं दर्शकों को यहां प्रदर्शित वस्त्रों की गहन जानकारी प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार की खड्डियां भी रखी गई हैं तथा इन सभी का विस्तृत विवरण देने के लिए एक राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त बुनकर भी उपलब्ध रहते हैं। इस वीथी में लगभग ६०० विभिन्न पारम्परिक साड़ियों, शॉलों, दुशालों जो कि सूती व रेशमी धागों से बनाई गई हैं, का सजीव प्रदर्शन किया गया है। वस्त्र वीथी में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री कोष से दान में प्राप्त विभिन्न प्रदेशों के वस्त्र भी संग्रहीत किए गए हैं।

ग्राम झाँकी

संग्रहालय के अन्दर एक ग्राम झाँकी परिसर भी है, जो लगभग चार एकड़ भूमि पर फैला हुआ है। इस परिसर में भारत के विभिन्न प्रदेशों यथा अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, उड़ीसा और अंडमान व निकोबार द्वीप समूह आदि की कुटीरों को दर्शाया गया है, जिसको देख कर हम वहाँ के रहन-सहन का अनुमान लगा सकते हैं।

पुस्तकालय

शिल्प संग्रहालय पुस्तकालय

संग्रहालय के अन्दर, आदिवासीय कला वीथी के समीप एक पुस्तकालय है जहाँ विभिन्न शिल्पकलाओ से सम्बन्धित जानकारी के लिए सहायता ली जा सकती है। प्रति वर्ष इस पुस्तकालय में अनेकों छात्र-छात्राएं, पर्यटक, स्नातक, विद्वान व कलाकार आकर लाभ उठाते हैं और विभिन्न शिल्पों आदि के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

संरक्षण प्रयोगशाला

संरक्षण प्रयोगशाला

शिल्प संग्रहालय में एक संरक्षण प्रयोगशाला है जिसमें कि संग्रहालय की विभिन्न क्षतिग्रस्त कलाकृतियों के संरक्षण हेतु रसायन आदि प्रयोग करके संग्रहालय संग्रह भण्डार में रखे जाते हैं। इस प्रयोगशाला में संग्रहालय के विभिन्न काष्ठ, लौह, मृण, चांदी, चित्रपटों, वस्त्रों आदि कलाकृतियों के संरक्षण आदि हेतु अनेकों उपाय समय-समय पर किए जाते हैं।

संग्रह भण्डार

संग्रहालय संग्रह भण्डार

संग्रहालय संग्रह भण्डार शिल्प संग्रहालय का एक अभिन्न अंग है। यहां लगभग ३५,००० से भी अधिक प्राचीन व दुर्लभ कलाकृतियों का संग्रह है। इनमें हस्तशिल्प एवं हथकरघा की विभिन्न कलाकृतियां हैं तथा यह सभी इस भण्डार की पंजिकाओं में उनके पूर्ण विवरण के साथ सुरक्षित रखी गई हैं। इस भण्डार से संग्रहालय में आयोजित की जाने वाली विभिन्न प्रदर्शनियों में प्रदर्शन के लिये प्रेषित करने हेतु किया जाता है। यहां से विदेशों में आयोजित की जाने वाली प्रदर्शनियों हेतु कलाकृतियों का भी प्रेषण किया जाता है।

म्युज़ियम शॉप

शिल्प संग्रहालय के अन्दर एक म्यूज़ियम शॉप भी है जहाँ पर हस्तशिल्प व हथकरघा से सम्बंधित शिल्पकारों द्वारा निर्मित कलाकृतियाँ व पुस्तकें आदि खरीदी जा सकती हैं। यहां की म्युजियम शॉप में विभिन्न प्रकार के हस्तशिल्प व हथकरधा से सम्बंधित कलाकृतियाँ है, जो मुख्यत: पीतल, मिट्टी, लोहा, लकड़ी, पत्थर इत्यादि से निर्मित होती हैं, तथा विभिन्न प्रकार के रेशम और सूती धागों से बने वस्त्र भी यहाँ उपलब्ध हैं। इसका प्रबंधन हस्तशिल्प एवं हथकरघा निर्यात कौंसिल द्वारा किया जाता है।

शिल्प कला कौशल कार्यक्रम

यहां प्रति माह लगभग पचास कलाकार अपनी कलाओं का सजीव प्रदर्शन करते हैं। यह शिल्प कला कौशल कार्यक्रम के नाम से जाना जाता है, जो कि वर्ष भर चलता रहता है। इस कार्यक्रम में अनेकों पारम्परिक एवं सिद्धहस्त कलाकार अमंत्रित किए जाते हैं तथा केवल उन्ही कलाकारों का ही चयन किया जाता है जो कि भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय के विकास आयुक्त (हथकरघा एवं हस्तशिल्प) कार्यालय में पंजीकृत होते हैं। यहां सम्मिलित होने वाले कलाकारों को भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय द्वारा यात्रा व दैनिक भत्ता दिया जाता है तथा नि:शुल्क आवास की सुविधा प्रदान की जाती है। इन कलाकारों को अपनी सुविधानुसार अपनी कलाकृतियां को बेचने का अधिकार दिया गया है, तथा इन कलाकारों द्वारा बेचे जाने वाली वस्तु का मुल्य वह अपने पास ही रखते है। इन्ही कलाकारों में नृत्य एवं गायन आदि में पारंगत कलाकारों द्वारा सजीव प्रदर्शन भी किया जाता है। प्रति माह यहाँ आने वाले दर्शक व पर्यटक गोटिपुआ नृत्य, गद्दी नृत्य, छाउ नृत्य व कठपुतली नृत्य व बाउल संगीत आदि के प्रदर्शन का आनंद उठा सकते हैं।

शिल्प संग्रहालय में शिल्प कला कौशल में भाग लेने आए शिल्पकारों के रहने हेतु शिल्प-कुटीर नामक भवन का निर्माण किया गया है। इस कुटीर में शिल्पकारों हेतु पलंग, बिस्तर, बिजली-पांनी के अतिरिक्त एक रसोइघर भी है तथा स्नान आदि हेतु स्नानगृह, शौचालय भी है।

सन्दर्भ

  1. "Brochure - Crafts Museum". मूल से 24 जनवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 अक्तूबर 2013.
  2. Clare M. Wilkinson-Weber (1999). Embroidering Lives: Women's Work and Skill in the Lucknow Embroidery Industry. SUNY Press. पृ॰ 162. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780791440872.
  3. "Crafts Museum". मूल से 31 मार्च 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 31 मार्च 2012.
  4. Pippa de Bruyn, Keith Bain, David Allardice, Shonar Joshi (2010). Frommer's India. Frommer's Complete Guides. 761 (4 संस्करण). John Wiley & Sons. पृ॰ 430. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780470602645.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)