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शारदा लिपि

शारदा लिपि में लिखी एक पाण्डुलिपि

शारदा लिपि का उपयोग भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी-पश्चिमी भाग में सीमित था। यह लिपि पश्चिमी ब्राह्मी लिपि से नौवीं शताब्दी में उत्पन्न हुई। आज इसका उपयोग बहुत ही कम होता है (कुछ पुराने पण्डित इसका उपयोग करते हैं)। हिमाचल प्रदेश में यह लिपि तेरहवीं शती तक प्रयोग में आती थी और फल-फूल रही थी। अल बरुनी ने अपने भारत यात्रा वर्णन में इसे "सिद्ध मात्रिक" नाम से उल्लेख किया है इसका कारण यह है कि शारदा वर्णमाला "ओम् स्वस्ति सिद्धम्" से आरम्भ की जाती है।

कश्मीर की अधिष्ठात्री देवी 'शारदा' मानी जाती हैं दिससे वह 'शारदादेश' या 'शारदमंडल' कहलाता है और इसी से वहाँ की लिपि को 'शारदालिपि' कहते हैं। पीछे से उसको (कश्मीर को) 'देवदेश' भी कहते थे। मूल शारदालिपि ईस्वी सन् की दसवीं शताब्दी के आस पास कुटिल लिपि से निकली है और उसका प्रचार कश्मीर तथा पंजाब में रहा। उस में परिवर्तन होकर वर्तमान शारदा लिपि बनी जिसका प्रचार अब कश्मीर में बहुत कम रह गया है। उसका स्थान बहुधा नागरी, गुरुमुखी या टाकरी ने ले लिया है।

वर्णमाला

स्वर

लिप्यंतरण IPA स्वतंत्र पद आश्रित स्थिति
मात्रा मात्रा का उदाहरण मात्रा के विशेष रूप
[ɐ]𑆃(कोई नहीं) (𑆥 )
[aː]𑆄𑆳𑆥𑆳 पा𑆕𑆕𑆳; 𑆘𑆘𑆳; 𑆛𑆛𑆳; 𑆟𑆟𑆳
[ɪ]𑆅𑆴𑆥𑆴 पि
[iː]𑆆𑆵𑆥𑆵 पी
[ʊ]𑆇𑆶𑆥𑆶 पु𑆑𑆑𑆶; 𑆓𑆓𑆶; 𑆙𑆙𑆶; 𑆚𑆚𑆶; 𑆝𑆝𑆶; 𑆠𑆠𑆶; 𑆨𑆨𑆶; 𑆫𑆫𑆶; 𑆯𑆯𑆶
[uː]𑆈𑆷𑆥𑆷 पू𑆑𑆑𑆷; 𑆓𑆓𑆷; 𑆙𑆙𑆷; 𑆚𑆚𑆷; 𑆝𑆝𑆷; 𑆠𑆠𑆷; 𑆨𑆨𑆷; 𑆫𑆫𑆷; 𑆯𑆯𑆷
[r̩]𑆉𑆸𑆥𑆸 पृ𑆑𑆑𑆸
[r̩ː]𑆊𑆹𑆥𑆹 पॄ𑆑𑆑𑆹
[l̩]𑆋𑆺𑆥𑆺 पॢ
[l̩ː]𑆌𑆻𑆥𑆻 पॣ
[eː]𑆍𑆼𑆥𑆼 पे
[aːi̯], [ai], [ɐi], [ɛi]𑆎𑆽𑆥𑆽 पै
[oː]𑆏𑆾𑆥𑆾 पो
[aːu̯], [au], [ɐu], [ɔu]𑆐𑆿𑆥𑆿 पौ
अँ[◌̃]𑆃𑆀𑆀𑆥𑆀 पँ
अं[n], [m]𑆃𑆁𑆁𑆥𑆁 पं
अः[h]𑆃𑆂𑆂𑆥𑆂 पः

व्यंजन

k ·¤ ·¤× Ù क kh ख g ग gh घ
c च ch छ j ज jh झ ñ ञ
ṭh ḍh
t त th थ d द dh ध n न
p प ph फ b ब bh भ m म
y य r र l ल v व
ś श s स h ह

यूनिकोड

जनवरी, 2012 में यूनिकोड मानक के 6.1 संस्करण में शारदा लिपि को भी स्थान दिया गया। यह U+11180–U+111DF तक है।

शारदा
Unicode.org chart (PDF)
 0123456789ABCDEF
U+1118x 𑆀 𑆁 𑆂 𑆃 𑆄 𑆅 𑆆 𑆇 𑆈 𑆉 𑆊 𑆋 𑆌 𑆍 𑆎 𑆏
U+1119x 𑆐 𑆑 𑆒 𑆓 𑆔 𑆕 𑆖 𑆗 𑆘 𑆙 𑆚 𑆛 𑆜 𑆝 𑆞 𑆟
U+111Ax 𑆠 𑆡 𑆢 𑆣 𑆤 𑆥 𑆦 𑆧 𑆨 𑆩 𑆪 𑆫 𑆬 𑆭 𑆮 𑆯
U+111Bx 𑆰 𑆱 𑆲 𑆳 𑆴 𑆵 𑆶 𑆷 𑆸 𑆹 𑆺 𑆻 𑆼 𑆽 𑆾 𑆿
U+111Cx 𑇀 𑇁 𑇂 𑇃 𑇄 𑇅 𑇆 𑇇 𑇈
U+111Dx 𑇐 𑇑 𑇒 𑇓 𑇔 𑇕 𑇖 𑇗 𑇘 𑇙
टिप्पणी
1.^ यूनिकोड संस्करण 6.1 के अनुसार

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ