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शकुंतला देवी (राजनेता)

बांका जिले के बेलहर प्रखंड क्षेत्र के गोरगामा निवासी व बांका की पूर्व सांसद शकुंतला देवी की पहली सांसद श्री मति शकुंतला देवी का जन्म 10-10-1931 मे हुआ था । उनके दादा भिखारी प्रसाद महतो इलाके के नामचीन किसान थे। गांधी जी के आह्वान पर महतो ने निलहा आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। उस समय गांव में स्कूलों की संख्या कम हुआ करती थी। उन्होंने मैट्रिक तक की पढ़ाई भागलपुर के मोकक्षदा गर्ल्स हाई स्कूल से की थी। इंटर की पढ़ाई वीमेंस कालेज पटना से हुई थी। घर मे सुरू से हिन राजनैतिक लोगो का आना जाना लगा रहता था, घर के माहौल ने शकुंतला देवी को सामाजिक सेवा से सहज हिन जोड़ दिया । वर्ष 1957 में कांग्रेस के टिकट से लोकसभा बनी और 1967 तक बांका संसदीय क्षेत्र से सांसद रहीं।

यह वह समय था जब चुनाव में अशिक्षित मतदाताओं के लिए तो ‘कोई नृप होई हमें का हानि’ का मंत्र था। तब जातीय आधार पर वोट डाले जाते थे। जाति की पंचायत वोट के लिए आदेश जारी करती थी। चुनाव को प्रभावित करने के लिए तरह-तरह के प्रपंच रचे जाते थे। लेकिन, इन सबके बावजूद स्वतंत्रता सेनानी और किसान की पुत्री शकुंतला देवी बांका से दो बार सांसद चुनी गईं। सांसद बनने के बाद उनकी पहली प्राथमिकता शिक्षा ही रही। उन्होंने अपनी पैतृक जमीन को दान देकर हाईस्कूल की स्थापना करवाई।


वर्ष 1972 से 1977 तक बेलहर से विधायक रहीं। कांग्रेस पार्टी में भी उनका कद काफी बड़ा रहा. वर्ष 1984 से 1990 तक बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष महिला विंग रहीं। पार्टी में उनकी पहचान जुझारू, कर्मठ, संघर्षशील महिला के रूप में थीं।उस जमाने में ही उन्होंने महिला शसक्तीकरण की मजबूत नींव रखी थी।  राजनीति से सन्यास के बाद भी इन्होने खुद को सामाजिक कार्यों से जोड़ कर रखा और महिला शिक्षा, सामाजिक कल्याण, महिला कौशल विकाश , दहेजमुक्त शादी इनकी प्राथमिकता रही।