व्रात्य स्तोम
व्रात्यस्तोम संस्कार अवैदिकों (व्रात्यों) को वैदिक धर्म में सम्मानपूर्वक समाविष्ट करने के लिये किया जाता था। इसका वर्णन सामवेद के ब्राह्मणों में मिलता है। ये 'व्रात्य' चार प्रकार के होते थे-
- (१) आचारभ्रष्ट,
- (२) नीच कर्मे करने वाले
- (३) जातिबहिष्कृत, और
- (४) जिनकी जननेंद्रियों की शक्ति नष्ट हो गयी हो।
अर्थववेद काण्डम 15 के अध्ययन के अनुसार व्रात्य शब्द का प्रयोग आध्यात्मिक शक्ति के लिए हुआ है जो कि पुरुष रूप में प्रकट हुई और महादेव कहलायी
इस सूक्त में निराकार ब्रहम के निराकार से साकार महादेव होने का वर्णन है।
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- व्रात्य (मराठी विश्वकोश)