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व्यावहारिक भूगोल

यह मानव भूगोल की एक प्रमुख शाखा हैं। इस शाखा के अन्तर्गत मानव व्यवहार, निर्णय क्षमता एवं उस पर पड़नें वाले भौगोलिक प्रभावों क अध्ययन क्षेत्रीय एवं स्थानिक विशेषताओं को ध्यान में रखकर किया जाता हैं। इसका उपयोग मृदा विज्ञान पीडोलॉजी के द्वारा किया जाता है इसे आर्थिक व्यवसायियों में प्रयोग किया जाता है व्यवहारिक भूगोल की विधियां और तकनीकों का प्रयोग आवश्यक तत्वों को एकत्रित करने में किया जाता है जैसे संश्लेषण व्याख्या विश्लेषण तथा इत्यादि समस्याओं के समाधान करने में किया जाता है व्यावहारिक भूगोल में चार विधियों का प्रयोग किया जाता है 1. मानचित्र विधि 2. गणितीय विधि संख्या की विश्लेषण और मॉडलों का निर्माण 3. सर्वेक्षण तथा क्षेत्र अन्वेषण 4. सुदूर संवेदी भारत में व्यवहारिक भूगोल की आवश्यकता भी पड़ी है भारत में व्यवहारिक भूगोल के द्वारा सीधी सहायता बहुत सी समस्याओं के समाधान में ली जाने आवश्यक है जिनमें प्रमुख है भूमि उपयोग जनसंख्या का संसाधन संगठन जनसंख्या समस्या का समाधान औद्योगिक विकास अब संरचनात्मक विकास नगर ग्राम संबंधों का विकास केंद्रीय संस्थान विकास समिति प्रादेशिक योजना