व्यवसाय-नीति
बिजनेस एथिक्स या कारपोरेट एथिक्स) नैतिकता का वह रूप है, जो कारोबारी माहौल में पैदा हए नैतिक सिद्धांतों और नैतिक समस्याओं की जांच करता रहता है और उनके सन्दर्भ में कुछ मानदण्डों की स्थापना करता है। यह व्यवसाय के आचरण से जुड़े सभी पहलुओं पर लागू होता है और यह व्यक्तियों और व्यापार संगठनों क आचरण पर समग्र रूप से प्रासंगिक है। व्यावहारिक आचार नीति एक ऐसा क्षेत्र है जिसका सम्बंध कई क्षेत्रों में पैदा हुए नैतिक सवालों से है जैसे चिकित्सीय, तकनीकी, कानूनी और व्यावसायिक नैतिकता।
२१वीं सदी में तेजी से अंतरात्मा केंद्रित बाजारों के बढ़ने के बाद और अधिक नैतिक व्यवसाय प्रक्रिया और कार्रवाई (जिसे नैतिकतावाद कहते हैं) की मांग बढ़ी.[1]इसके साथ ही साथ, उद्योग पर यह दबाव पड़ा कि वह नए सार्वजनिक पहल और कानून के जरिये व्यवसायिक आचार नीति का विकास करे (उदाहरण के तौर पर अधिक उच्च-उत्सर्जन वाहनों पर अधिक ब्रिटेन का सड़क कर).[2]कारोबार में अक्सर अनैतिक तरीके अपनाकर अल्पकालिक लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं, लेकिन इस तरह के व्यवहार आगे चलकर अर्थव्यवस्था को कमजोर करते हैं।
व्यावसायिक नैतिकता प्रामाणिक और वर्णनात्मक अनुशासन दोनों प्रकार की हो सकती है। एक कंपनी के कामकाज में और पेशेगत विशेषज्ञता के सम्बंध में यह क्षेत्र मुख्य रूप से प्रामाणिक है। शिक्षा में वर्णनात्मक दृष्टिकोण को भी स्थान दिया जा रहा है। व्यावसायिक नैतिकता के मुद्दों की मात्रा और सीमा इस बात से प्रदर्शित होती है कि व्यवसाय में कथित तौर पर बाधक माने जाने वाले गैर-आर्थिक सामाजिक मूल्यों को वह किस हद तक अपनाता है। ऐतिहासिक तौर पर व्यावसायिक नैतिकता के प्रति रुझान नाटकीय रूप से 1980 और 1990 के दशक में प्रमुख कम्पनियों और शिक्षाविदों दोनों के बीच बढ़ा.उदाहरण के लिए, आज की ज्यादातर प्रमुख कंपनियों की वेबसाइटें विभिन्न हेडलाइन्स के साथ गैर-आर्थिक, सामाजिक मूल्यों के प्रति वचनबद्धता पर जोर दे रही हैं (जैसे आचार संहिता, सामाजिक दायित्व घोषणापत्र). कुछ मामलों में, कम्पनियां अपने बुनियादी मूल्यों को व्यावसायिक नैतिकता की सिफारिशों के आलोक में परिभाषित करती हैं (जैसे BPका "पेट्रोलियम से परे" जो पर्यावरण के प्रति झुकाव को दर्शाता है).
व्यवसाय में नैतिकता के मुद्दों का अवलोकन
सामान्य व्यापार नीतिशास्त्र
- व्यावसायिक नैतिकता को कारोबार के दर्शन के साथ इस प्रकार परस्पर मिला देना कि वह कंपनी के मूलभूत उद्देश्यों के निर्धारण में एक हो.यदि किसी कंपनी का मुख्य उद्देश्य अपने शेयरधारकों को अधिकतम लाभ देना है, तो यह कंपनी के लिए अनैतिक होगा कि वह किसी और के हितों और अधिकारों के बारे में सोचे।[3]
- कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी या CSR: एक ऐसा साझा तंत्र है जिसमें कंपनियों और समाज के नैतिक अधिकार और कर्तव्य पर बहस जारी है।
- कंपनी और उसके अंशधारकों के नैतिक अधिकार और कर्तव्य के मुद्देः प्रत्ययी जिम्मेदारी, हितधारक अवधारणा, शेयरधारक अवधारणा.
- विभिन्न कंपनियों के बीच आचार संबन्धी मुद्दे: उदा. शत्रुतापूर्ण टेकओवर, औद्योगिक जासूसी.
- नेतृत्व के मुद्दे: कंपनी प्रशासन.
- कंपनियों की ओर से राजनीतिक योगदान.
- कानूनी सुधार, मसलन कॉर्पोरेट हत्या जैसे अपराध पर नैतिक बहस की शुरूआत.
- विपणन उपकरणों के रूप में कॉर्पोरेट आचार नीतियों का दुरुपयोग.
इन्हें भी देखें: कॉर्पोरेट दुरुपयोग, कॉर्पोरेट अपराध.
लेखांकन जानकारी का नीतिशास्त्र
- रचनात्मक लेखांकन, आय प्रबंधन, भ्रामक वित्तीय विश्लेषण.
- इनसाइडर ट्रेडिंग, प्रतिभूतियों में धोखाधड़ी, बकेट शाप्स, विदेशी मुद्रा घोटालेः वित्तीय बाजारों में हराफेरी के अपराध.
- कार्यकारी मुआवजा: प्रतिष्ठान में कंपनी के सीईओ और शीर्ष प्रबंधन द्वारा किया गया अत्यधिक भुगतान.
- रिश्वत, दलाली, सुविधा भुगतान :जबकि यह सब कंपनी और उसके अंशधारकों के हितों को अल्पकालिक फायदा ही पहुंचा सकते हैं, यह पद्धतियां गैर-प्रतिस्पर्धी या समाज के मूल्यों के खिलाफ हैं।
मुकदमे: लेखांकन घोटाले, एनरॉन, वर्ल्डकॉम
मानव संसाधन प्रबंधन का नीतिशास्त्र
मानव संसाधन प्रबंधन (HRM) में आचार के वह मुद्दे आते हैं, जो नियोक्ता और कर्मचारी के बीच के सम्बंध से जुड़े होते हैं, जैसे नियोक्ता और कर्मचारी के अधिकार और कर्तव्य.
- भेदभाव के मुद्दे जिसमें उम्र (एजिस्म), लिंग, जाति, धर्म, विकलांगता, वजन और आकर्षकता के आधार पर भेदभाव शामिल है। इन्हें भी देखें: सकारात्मक कार्रवाई, यौन उत्पीड़न.
- नियोक्ताओं और कर्मचारियों के बीच संबंधों के परंपरागत दृष्टिकोण से उत्पन्न होने वाले मुद्दे, जिन्हें एट-विल एम्प्लायमेंट के रूप में जाना जाता है।
- कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व और कार्यस्थल के लोकतंत्रीकरण से सम्बंधित मुद्दे: संगठनों का पर्दाफाश, हड़ताल तोड़ना.
- कर्मचारी की गोपनीयता को प्रभावित करने वाले मुद्देः कार्यस्थल की निगरानी, नशा परीक्षण.इन्हें भी देखें: गोपनीयता.
- नियोक्ता की गोपनीयता प्रभावित करने वाले मुद्दे: अफवाह फैलाना.
- रोजगार अनुबंध की निष्पक्षता से संबंधित मुद्दे तथा नियोक्ता और कर्मचारी के बीच शक्ति संतुलन: गुलामी,[4] अनुबंधित दासता की हालत, रोजगार कानून.
- व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य
सब के सब से बढ़कर यह कर्मचारियों को मनचाहे ढंग से काम पर रखने और उन्हें निकालने से सम्बंधित है। एक कर्मचारी या भावी कर्मचारी को मनचाहे ढंग से जाति, उम्र, लिंग, धर्म अथवा ऐसे किसी अन्य आधार पर मनचाहे ढंग से काम पर रखा और निकाला नहीं जा सकता.
बिक्री और विपणन का नीतिशास्त्र
विपणन, जो उत्पाद के सम्बंध में सूचना मात्र के प्रावधान (और पहुंच) के पार ही नहीं चला गया है, बल्कि वह हमारे मूल्यों और व्यवहार तक में हेरफेर कर रहा है। कुछ हद तक समाज इसे स्वीकार्य मानता है, लेकिन नैतिकता की रेखा कहां खींची जा सकती है? विपणन की नैतिकता मीडिया की नैतिकता के साथ दृढ़ता से मिल गयी है, क्योंकि विपणन मीडिया का व्यापक तौर पर उपयोग करता है। हालांकि, मीडिया की नैतिकता एक बहुत बड़ा विषय है और व्यावसायिक नैतिकता के बाहर उसका विस्तार है।
- मूल्य निर्धारण: मूल्य निर्धारित करना, मूल्य में भेदभाव, मूल्य में उतारचढ़ाव.
- गैर-प्रतिस्पर्धी व्यवहार: लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मूल्य निर्धारण की रणनीति से परे जाकर वफादारी और आपूर्ति शृंखला में हेरफेर करना भी इनमें शामिल है। देखें: गैर-प्रतिस्पर्धी व्यवहार, विश्वासघात कानून
- विशिष्ट विपणन रणनीतियां: ग्रीन्वाश, चारा और स्विच, शील, वायरल विपणन, स्पैम (इलेक्ट्रॉनिक), पिरामिड योजना, अप्रचलित योजना.
- विज्ञापन की सामग्री: आक्रामक विज्ञापन, अचेतन संदेश, सेक्स सम्बंधी विज्ञापन, ऐसे उत्पाद, जो अनैतिक या हानिकारक माने जाते हैं।
- बच्चे और विपणन: स्कूलों में विपणन.
- काला बाजार, ग्रे मार्केट्स
इन्हें भी देखें: मेमेस्पेस, दुष्प्रचार, विज्ञापन की तकनीक, झूठे विज्ञापन, विज्ञापन विनियमन
मुकदमे: बेनेट्टोन.
उत्पादन का नीतिशास्त्र
व्यावसायिक नैतिकता के इस क्षेत्र का संबंध कंपनी के उन कर्तव्यों से है जिसमें यह सुनिश्चत किया जाता है कि उत्पाद और उत्पादन प्रक्रिया नुकसानदेह नहीं है। इस क्षेत्र की कुछ तीव्र दुविधाओं का एक सच यह है कि आमतौर पर किसी भी उत्पाद या उत्पादन प्रक्रिया में खतरे की हद पार होने का जोखिम होता है और उसकी स्वीकार्यता की सीमा को परिभाषित करना मुश्किल होता है अथवा स्वीकार्यता का स्तर निवारक प्रौद्योगिकियों की बदलती स्थिति पर निर्भर होता है या स्वीकार्य जोखिम सामाजिक दृष्टिकोण के बदलाव पर.
- दोषपूर्ण, नशायुक्त और स्वाभाविक खतरनाक उत्पादों और सेवाओं (तम्बाकू, शराब, हथियार, मोटर वाहन, रसायन निर्माण जैसे, बंजी जंपिंग).
- कंपनी और पर्यावरण के बीच नैतिक सम्बंध: प्रदूषण, पर्यावरण नैतिकता, कार्बन उत्सर्जन व्यापार
- नयी प्रौद्योगिकियों से उत्पन्न नैतिक समस्याएं: आनुवांशिक रूप से संशोधित खाद्य, मोबाइल फोन का विकिरण और स्वास्थ्य.
- उत्पाद परीक्षण नैतिकता: पशुओं के अधिकार और पशु परीक्षण, आर्थिक रूप से वंचित समूहों (जैसे छात्र) का परीक्षण की वस्तुओं के रूप में इस्तेमाल.
इन्हें भी देखें: उत्पाद दायित्व
मामले: फोर्ड पिंटो घोटाला, भोपाल दुर्घटना, एसबेस्टोस / एसबेस्टोस और कानून, अमरीकी मूंगफली दाना निगम.
बौद्धिक संपदा, ज्ञान और कौशल का नीतिशास्त्र
ज्ञान और कौशल मूल्यवान हैं लेकिन उसका 'स्वामित्व' वस्तुओं की तरह आसानी से तय नहीं किया जा सकता.न ही यह स्पष्ट किया जा सकता है कि किसी एक विचार पर किसका अधिक अधिकार है, कंपनी जिसने कर्मचारी को प्रशिक्षित किया है या स्वयं कर्मचारी का.उस देश का जिसमें पौधे पनपे, या कंपनी, जिसने औषधीय पौधे की क्षमता की खोज की और विकसित किया? परिणामस्वरूप, स्वामित्व की दावेदारी और उस पर मतभेद को लेकर नैतिक विवाद पैदा होते हैं।
- पेटेंट उल्लंघन, कॉपीराइट का उल्लंघन, ट्रेडमार्क उल्लंघन.
- प्रतियोगिता में पछाड़ने के लिए बौद्धिक संपदा प्रणालियों के दुरुपयोग: पेटेंट दुरुपयोग, कॉपीराइट का दुरुपयोग, पेटेंट में टालमटोल, पनडुब्बी पेटेंट.
- यहां तक कि स्वयं बौद्धिक संपदा की अवधारणा की ही नैतिक आधार पर आलोचना की गयी है: देखें बौद्धिक संपदा.
- एम्प्लाई राइडिंग: प्रमुख कर्मचारियों को प्रतियोगिता से परे अनुचित लाभ देकर उनके ज्ञान या कौशल का लाभ उठाना.
- बिना किसी आवश्यकता के भी सभी प्रतिभाशाली लोगों को एक क्षेत्र विशेष में लगा देने की प्रवृत्ति ताकि कोई और प्रतियोगी उन्हें काम पर न रख ले.
- बिओप्रोस्पेक्टिंग (नैतिक) और बियोपायरेसी (अनैतिक).
- व्यापार आसूचना और औद्योगिक जासूसी.
मुकदमे: निजी बनाम जनहित में ह्यू जीनोम परियोजना
नैतिकता और प्रौद्योगिकी कंप्यूटर और विश्व व्यापी वेब बीसवीं सदी के दो सबसे महत्वपूर्ण आविष्कार हैं। कई नैतिक मुद्दे हैं, जो इस तकनीक से पैदा हुए हैं। जानकारी तक पहुंच अब आसान हो गयी है। इसके कारण आंकड़ों की खोज, कार्यस्थल की निगरानी और गोपनीयता का अतिक्रमण संभव हो गया है।[5]
चिकित्सा प्रौद्योगिकी में पर्याप्त सुधार हुआ है। दवा कंपनियों ने इस तकनीक से जीवन रक्षक दवाओं का उत्पादन किया है। यह दवाएं पेटेंट द्वारा संरक्षित हैं तथा और कोई सामान्य दवाएं उपलब्ध नहीं हैं। यह कई नैतिक सवाल उठाए.
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नैतिकता और आर्थिक प्रणाली की नैतिकता
यहां मुद्दे एक साथ समूहीकृत हो जाते हैं क्योंकि इसमें व्यापार नैतिकता के मुद्दों पर बहुत व्यापक वैश्विक दृष्टिकोण शामिल हो जाते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नीतिशास्त्र
यदि हम पीछे पलट कर सम्बद्ध दशकों के अंतर्राष्ट्रीय विकासक्रम को देखें, व्यापार नैतिकता 1970 के दशक में एक क्षेत्र के रूप में उभरी, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नैतिकता 1990 के दशक तक सामने नहीं आयी थी।[6]व्यापार के अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ में कई नये व्यावहारिक मुद्दे उभर कर सामने आये.इस क्षेत्र में सैद्धांतिक मुद्दे, जैसे संस्कृति से जुड़े नैतिक अंतर्राष्ट्रीय व्यापार लेनदेन से उत्पन्न नैतिक मुद्दे; उदा. दवा उद्योग में जैविकता की खोज और जैविकता की चोरी, निष्पक्ष व्यापार संचार; हस्तांतरण मूल्य.
- भूमंडलीकरण और सांस्कृतिक साम्राज्यवाद जैसे मुद्दे.
- वैश्विक मानकों में अन्तर-उदा. बाल श्रम का उपयोग.
- बहुराष्ट्रीय कंपनियों के अंतर्राष्ट्रीय अन्तर का लाभ लेने के तरीके, जैसे उत्पादन (उदा.कपड़े) और सेवाएं (उदा. कॉल सेंटर) कम मजदूरी वाले देशों से आउटसोर्सिंग कराना.
- प्रतिबंधित राज्यों के साथ अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्य स्वीकार्यता.
विदेशी देश अक्सर एक प्रतियोगी खतरे के रूप में डंपिंग का उपयोग करते हैं और उत्पादों की बिक्री उनकी सामान्य कीमत से कम पर करते हैं। यह घरेलू बाजार में समस्याएं पैदा कर सकता है। इससे इन बाजारों में विदेशी बाजार द्वारा निर्धारित मूल्य से प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो जाता है। 2009 में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार आयोग ने डंपिंग विरोधी कानून पर शोध शुरू किया है। डंपिंग को अक्सर एक नैतिक मुद्दे के रूप में देखा जाता है और बड़ी कंपनियां आर्थिक दृष्टि से कम उन्नत कंपनियों से लाभ ले रही हैं।
आर्थिक प्रणाली का नीतिशास्त्र
इस क्षेत्र की परिभाषा अभी अस्पष्ट है और शायद यह उसका हिस्सा भी नहीं है किन्तु यह केवल व्यावसायिक नैतिकता से सम्बंधित है,[7] जहां व्यावसायिक नैतिकता राजनीतिक अर्थव्यवस्था और राजनीतिक दर्शन को प्रभावित करती है और आर्थिक लाभ के वितरण के लिए विभिन्न प्रणालियों में सही-गलत का निर्धारण करती है। इसमें जॉन रावल्स और रॉबर्ट नोज़िक्क दोनों का उल्लेखनीय योगदान हैं।
व्यवसायिक नैतिकता में सैद्धांतिक मुद्दे
परस्पर विरोधी हित
व्यावसायिक नैतिकता की जांच विभिन्न परिप्रेक्ष्य में की जा सकती है जिसमें कर्मचारी के परिप्रेक्ष्य, व्यावसायिक उद्यम और पूरे समाज को भी शामिल किया जा सकता है। अक्सर ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है जिसमें एक या उससे अधिक पार्टियां में हितपोषण को लेकर संघर्ष होता है और एक के कारण दूसरे की क्षति होती है। उदाहरण के लिए, एक विशेष परिणाम कर्मचारी के लिए अच्छा हो सकता है जबकि वह कंपनी व समाज अथवा दोनों के लिए बुरा हो.कुछ नैतिकताएं (जैसे, हेनरी सिद्गविच्क) नैतिकता के क्षेत्र में मुख्य भूमिका का निर्वाह करती हुई परस्पर विरोधी हितों के बीच सामंजस्य स्थापित कर उनका समाधान प्रस्तुत करती हैं।
नैतिक मुद्दे और दृष्टिकोण
दार्शनिक और अन्य लोग समाज में व्यापारिक नैतिकता के उद्देश्यों से सहमत नहीं हैं। उदाहरण के लिए, कुछ लोगों का सुझाव है कि व्यवसाय का प्रमुख उद्देश्य अपने मालिकों अथवा सार्वजनिक व्यापार कंपनी में अपने शेयरधारकों को अधिकतम लाभ देना होता है। इस प्रकार, इस नजरिये के तहत केवल उन गतिविधियों में वृद्धि की जानी चाहिए जो लाभप्रदता और शेयरधारकों के मूल्य को प्रोत्साहित करे क्योंकि कोई भी अन्य कार्य लाभ पर कर की तरह होगा.कुछ का मानना है कि केवल उन्हीं कंपनियों में एक प्रतिस्पर्धी बाजार में टिके रहने की संभावना है, जो सबसे बढ़कर लाभ में वृद्धि को सर्वोपरि मानती हैं। हालांकि कुछ का कहना है कि व्यवसाय में कानून को मानने और बुनियादी नैतिक नियमों का पालन करने में स्वयं की रुचि होनी चाहिए क्योंकि ऐसा नहीं करने पर जुर्माना भरने, प्रतिष्ठा में कमी आने और कंपनी की साख घटने जैसे दुष्परिणाम भुगतने पड़ते हैं। प्रख्यात अर्थशास्त्री मिल्टन फ्रीडमैन इस दृष्टिकोण के एक प्रमुख समर्थक थे।
कुछ का रुख यह है कि संगठनों में नैतिक एजेंसी बनने की काबिलियत नहीं होती.उनके अनुसार व्यक्ति के आचरण में नैतिकता होनी चाहिए ना कि व्यवसाय या कंपनी में.
अन्य सिद्धांतकारों का तर्क है कि एक व्यवसाय का नैतिक कर्तव्य है कि वह अपने मालिक या स्टाकहोल्डर्स के हितों की सेवा तक ही अपने को सीमित न रखे और वह सिर्फ कानून का पालन ही न करे.उनका मानना है कि एक व्यवसाय की नैतिक जिम्मेदारियां अपने तथाकथित हितधारकों, व्यवसाय के संचालन में दिलचस्पी रखने वाले व्यक्तियों, इसमें कर्मचारियों को भी शामिल किया जा सकता है, ग्राहकों, विक्रेताओं, स्थानीय समुदाय या पूरे समाज के प्रति होती है। हितधारकों को भी प्राथमिक और माध्यमिक हितधारकों में बांटा जा सकता है। प्राथमिक हितधारक वह लोग हैं, जो सीधे स्टाकहोल्डर्स को प्रभावित करते हैं जबकि, माध्यमिक हितधारक वह लोग हैं, जो सीधे प्रभावित नहीं होते, जैसे सरकार.उनका कहना है कि हितधारकों के पास व्यवसाय संचालन के संबंध में कुछ अधिकार होते हैं वहीं कुछ और का मानना है कि उनके पास शासन का भी अधिकार है।
कुछ सिद्धांतकारों ने सामाजिक अनुबंध सिद्धांत को व्यापार के लिए भी अपनाया है, जिसके तहत कंपनियां अर्ध लोकतांत्रिक संगठन हो जाती हैं और कर्मचारी और अन्य हितधारक कंपनी के संचालन में अपना योगदान देते हैं।राजनीतिक दर्शन में अनुबंध के सिद्धांत का पुनरुद्धार अपने रुख के कारण आगे चलकर विशेष तौर पर लोकप्रिय हुआ, उसमें एक बड़ा योगदान जॉन रावेल्स की 'ए थ्योरी औफ जस्टिस ' का रहा और व्यावसायिक समस्याओं को सुलझाने में अंतरात्मा पर आधारित दृष्टिकोण के आगमन के कारण एक "गुणवत्ता आंदोलन" 1980 के दशक में उभरा. प्रोफेसर थॉमस डोनाल्डसन और थॉमस डंफी ने व्यवसाय के लिए अनुबंध के सिद्धांत का एक संस्करण प्रस्ताव दिया, जिसे उन्होंने एकीकृत सामाजिक संविदा सिद्धांत नाम दिया. उन्होंने प्रतिपादित है किया कि परस्पर विरोधी हितों को सुलझाने का सबसे अच्छा तरीका दोनों पक्षों के बीच एक निष्पक्ष समझौता है, जिसमें इन बातों का समन्वय होना चाहिए i) सामान्य सिद्धांत, जिसके व्यापक सिद्धांत होने पर सभी बौद्धिक व्यक्ति सहमत हों और ii) सामान्य सिद्धांतों को वास्तविक समझौतों द्वारा इच्छुक पार्टियों के बीच सूत्रबद्ध करना.आलोचकों का कहना है कि अनुबंध सिद्धांतों के समर्थक एक केंद्रीय मुद्दे को भूल जाते हैं, वह यह कि एक व्यवसाय किसी की संपत्ति है, कोई एक छोटा राज्य या सामाजिक न्याय वितरण का केन्द्र नहीं.
नैतिक मुद्दे तब खड़े होते हैं जब कंपनियां कानूनी या सांस्कृतिक मामलों में परस्पर विरोधी मानक अपनाती हैं, जैसा कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां विभिन्न देशों में अलग-अलग तरीकों से काम करती हैं। उदाहरण के लिए यह सवाल उठता है कि एक कंपनी को अपने देश के कानूनों का पालन करना चाहिए या उस विकासशील देश के कानून का, जहां वह काम करती है तथा जहां उसे कम कड़े कानूनों का पालन करना होगा? स्पष्ट करने के लिए यह उदाहरण लें कि संयुक्त राज्य अमरीका का कानून रिश्वत देने के मामले में कंपनियों को वर्जित कर देता है चाहे वह देश की कंपनी हो या विदेशी लेकिन दुनिया के अन्य भागों में रिश्वत व्यापार करने का स्वीकार्य परंपरागत रास्ता है। इसी प्रकार की समस्याएं बाल श्रमिकों, कर्मचारी की सुरक्षा, काम के घंटे, मजदूरी, भेदभाव और पर्यावरण संरक्षण कानून के पालन को लेकर पैदा होती हैं।
कभी-कभी यह दावा किया जाता है कि नैतिकता सम्बंधी ग्रेशम का कानून लागू तो होता है मगर अच्छे नैतिक आचार को बुरा नैतिक आचार प्रचलन से बाहर कर देता है। यह दावा किया जाता है कि एक प्रतिस्पर्धी कारोबारी माहौल में लोग उन्हीं कंपनियों को जीवित समझते हैं जिनकी भूमिका अधिकतम लाभ अर्जित करने की रहती है।
क्षेत्र में व्यावसायिक नैतिकता
कॉरर्पोरेट नैतिकता की नीतियां
अधिक व्यापक अनुपालन और नैतिकता कार्यक्रम के रूप में कई कंपनियों ने आंतरिक मामलों में कर्मचारियों के नैतिक आचरण से संबंधित नीतियां तैयार की हैं। यह नीतियों बोर्ड में सामान्य सम्बोधन के रूप में हो सकती हैं जिन्हें अत्यंत सामान्यीकृत भाषा में प्रस्तुत किया जाता है (आमतौर पर इसे व्यावसायिक नैतिकता का बयान कहा जाता है), अथवा यह विस्तृत नीतियां भी हो सकती हैं, जो विशेष व्यावाहरिक आवश्यकताओं हो (आमतौर पर कॉर्पोरेट नैतिकता कोड कहा जाता है). वे आमतौर पर श्रमिकों की कंपनी की उम्मीदों को पहचानने के लिए और व्यापार करने में पेश आ रही कुछ अथवा अधिक नैतिक समस्याओं को हल करने में मार्गदर्शन देने के लिए होती हैं। आशा की जाती है कि ऐसी नीति के कारण व्यापक नैतिक जागरुकता पैदा होगी, उनके उपयोग में स्थिरता आयेगी और नैतिक आपदाओं से दूर रहने में मदद मिलेगी.
कंपनियों की बढ़ती संख्या के साथ-साथ कर्मचारियों की भी आवश्यकता है जो कारोबार संचालन से सम्बंधित सेमिनार में हिस्सा लें, जिसमें अक्सर कंपनी की नीतियों, विशेष मामले का अध्ययन और कानूनी आवश्यकताओं की चर्चा होती है। कुछ कंपनियां यहां तक चाहती हैं कि उनके कर्मचारी इस बात के करार पर हस्ताक्षर करें कि वे कंपनी के आचार सम्बंधी नियमों का पालन करेंगे.
कई कंपनियां पर्यावरणीय कारकों का आकलन करती हैं जो कर्मचारियों को अनैतिक आचरण में संलग्न कर सकते हैं। एक प्रतिस्पर्धी कारोबारी माहौल अनैतिक आचरण के लिए प्रेरित कर सकता है। झूठ बोलने की उम्मीद व्यापार जैसे क्षेत्र में की जा सकती है। इसका एक उदाहरण सलोमन ब्रदर्स के आसपास के अनैतिक कार्यों का हो सकता है।
हर कोई कंपनी की नीतियों का समर्थन करता है, जिससे नैतिक आचरण संचालित होता है। कुछ का दावा है कि नैतिक समस्याओं का बेहतर आधार कर्मचारियों को अपने फैसले का उपयोग करने देना हो सकता है।
अन्य लोगों का विश्वास है कि कॉरर्पोरेट नैतिकता की नीतियां मुख्य रूप से उपयोगी चिंताओं में निहित हैं और वे मुख्य रूप से कंपनी के कानूनी दायित्व हैं या एक भला कॉरर्पोरेट नागरिक बनकर उसका दिखावा कर सार्वजनिक समर्थन पाया जा सकता है। आदर्श रूप में कंपनी एक मुकदमे से बचना चाहेगी क्योंकि उसके कर्मचारी नियमों का पालन करेंगे. यदि कोई मुकदमा हो जाये तो कंपनी दावा कर सकती है कि यह समस्या पैदा ही नहीं होती अगर कर्मचारी ठीक से केवल कोड भी का पालन करते.
कभी-कभी कंपनी की नैतिकता के कोड का सम्बंध कंपनी की वास्तविक प्रथाओं से टूट जाता है। इस प्रकार, इस तरह का आचरण प्रबंधन द्वारा स्पष्ट तौर पर अपनाया जाता है, जिसका बुरा नतीज़ा यह निकलता है कि इससे धोखा देने वाली नीतियां बनती हैं, जबकि यह एक सबसे अच्छा विपणन उपकरण है।
ज्यादातर नीतिकार सफल होने के लिए एक आचार नीति का सुझाव देते हैं, जो इस प्रकार हो:
- शीर्ष प्रबंधन को मौखिक और उदाहरण के जरिये स्पष्ट समर्थन देना.
- मौखिक और लिखित रूप में दृढ़ता के साथ आवधिक सुदृढीकरण स्पष्ट करना.
- कार्यान्वित होने योग्य.... कुछ कर्मचारियों को समझना और उन्हें कार्य प्रदर्शित करने देना.
- अनुपानल और सुधार के लिए शीर्ष प्रबंधन की नियमित निगरानी में रहना.
- अवज्ञा के मामले में स्पष्ट रूप से परिणाम बताकर समर्थन करना.
- पक्षपातरहित और अविद्यमान रहना.
आचार अधिकारी
आचार अधिकारियों (कभी-कभी "अनुपालन" या "व्यावसायिक संचालन अधिकारी" भी कहा जाता) की संगठनों द्वारा औपचारिक रूप से नियुक्ति 1980 के दशक के मध्य में की गयी। इस नयी भूमिका एक उत्प्रेरक वह धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार और दुरुपयोग से जुड़े घोटालों की एक शृंखला है जिससे तत्कालीन समय में अमरीका का रक्षा उद्योग पीड़ित था। इसके कारण रक्षा उद्योग पहल (DII) का गठन हुआ, जो सभी उद्योगों में नैतिक व्यवसाय प्रथाओं को बढ़ावा देने और उन्हें सुनिश्चित करने की पहल थी।DII ने आरम्भ में कंपनियों के लिए नैतिकता प्रबंधन के मानक तय किये.1991 में नीतिशास्त्र एवं अनुपालन अधिकारी एसोसिएशन (ECOA) - मूलतः नीतिशास्त्र अधिकारी संघ (EOA) -की स्थापना व्यवसाय नीतिशास्त्र केन्द्र (बेंटले कॉलेज, वाल्थम, MA) में प्रबंधन के लिए जिम्मेदार लोगों के लिए एक पेशेवर संगठन के रूप में स्थापित किया गया था ताकि वे नैतिक सर्वोत्तम प्रथाओं को जान सकें.सदस्यता तेजी से बढ़ी (अब ECOA के 1,100 से अधिक सदस्य हैं) और उसे जल्द ही एक स्वतंत्र संगठन के रूप में स्थापित किया गया।
कंपनियों के लिए एक अन्य महत्वपूर्ण कार्य नैतिकता/अनुपालन अधिकारी की नियुक्ति करने का फैसला था, जिसके लिए संगठनों के लिए संघीय दंड दिशानिर्देश 1991 की मंजूरी आवश्यक थी, जो उस प्रतिष्ठान के लिए मानक तय करता था (बड़ा या लघु, वाणिज्यिक अथवा गैर-वाणिज्यिक) तथा जिसके पास संघीय अपराध का दोषी पाये जाने पर सजा में छूट के लिए आवेदन करना पड़ता था। हालांकि सजा देने में न्यायाधीशों की सहायता करने और अपने प्रभाव से सर्वोत्तम प्रथाओं की स्थापना करने में मदद करने के महत्त्वपूर्ण नतीजे पानेवाला रहा.
2001-04 के बीच कई कंपनियों के घोटालों के मद्देनज़र (एनरॉन, वर्ल्डकॉम और टीको जैसी बड़ी कपंनियों को प्रभावित किया), यहां तक कि छोटे और मध्यम आकार की कंपनियों ने नैतिकता अधिकारियों की नियुक्ति शुरू कर दी.वे अक्सर मुख्य कार्यकारी अधिकारी को रिपोर्ट करते हैं और कंपनी की गतिविधियों के नैतिक प्रभाव का आकलन करने के लिए जिम्मेदार हैं, वे कंपनी की नैतिक नीतियों के बारे में अनुशंसा करते हैं और कर्मचारियों को उसकी सूचना प्रदान करते हैं। वे विशेष रूप से अनैतिक और अवैध कार्य को उजागर करने या उन कार्यों को रोकने में रुचि रखते हैं। इस प्रवृत्ति आंशिक रूप से संयुक्त राज्य अमरीका के सर्बनेस-ओक्सले अधिनियम के कारण है, जो इन घोटालों की प्रतिक्रिया में लागू किया गया। इसी प्रकार इस प्रवृत्ति से जुडे़ एक और मामले में जोखिम मूल्यांकन अधिकारियों की नियुक्ति की शुरूआत की गयी, जो इस बात की निगरानी करता है कि कैसे शेयरधारक का निवेश कंपनी के फैसले से प्रभावित हो सकता है।
बाजार में नैतिक अधिकारियों का प्रभाव स्पष्ट नहीं है। यदि नियुक्ति मुख्य रूप से कानूनी आवश्यकताओं की एक प्रतिक्रिया के रूप में की जाती है तो यह स्वीकार कर लेना चाहिए कि उसका प्रभाव न्यूनतम होगा, कम से कम, अल्पावधि के लिए. संक्षेप में नैतिक व्यवसाय के व्यवहार का नतीजा एक कॉर्पोरेट संस्कृति में लगातार नैतिक व्यवहार के महत्व, एक संस्कृति और वातावरण से निकलता है, जो आम तौर पर प्रतिष्ठान में ऊपर से उत्पन्न होता है। केवल नैतिकता की स्थिति की निगरानी की स्थापना नैतिक व्यवहार के लिए प्रेरित करने लिए अपर्याप्त है, उसके लिए प्रमुख प्रबंधन से लगातार समर्थन प्राप्त प्रणालीगत कार्यक्रम आवश्यक है।
नैतिक आचरण की स्थापना एक कॉर्पोरेट संस्कृति और किसी निश्चित कंपनी के परे भी संभव है, जो किसी व्यक्ति के आरंभिक नैतिक प्रशिक्षण पर बहुत निर्भर करता है, अन्य संस्थाएं जो किसी व्यक्ति को प्रभावित करती हैं, वह है जिस कंपनी में वह काम करता है उसका प्रतिस्पर्धी कारोबारी माहौल और वास्तव में पूरा समाज.
व्यावसायिक नैतिकता पर धार्मिक विचार
व्यावसायिक नैतिकता पर ऐतिहासिक और वैश्विक महत्व के धार्मिक विचार कभी-कभी व्यावसायिक नैतिकता को कम करके आंकते हैं। विशेष रूप से एशिया और मध्य पूर्व में धार्मिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य ने व्यवसाय के आचरण पर एक मजबूत प्रभाव छोड़ा है और व्यापार मूल्यों का सृजन किया है।
उदाहरणों में शामिल हैं:
- इस्लामी बैंकिंग, ऋणों पर ब्याज वर्जित करने के साथ जुड़े.
- पारंपरिक लोकलाज के कारण लाभ के मकसद की अस्वीकृति.[8]
- निष्पक्ष व्यवहार के लिए पंचों की गवाही.
संबंधित विषय
व्यावसायिक नैतिकता को व्यवसाय के दर्शन से प्रतिष्ठित किया जाना चाहिए, यह दर्शन की वह शाखा है, जिसका सम्बंध व्यवसाय और अर्थशास्त्र के दार्शनिक, राजनैतिक और नैतिक आधार से है। व्यावसायिक नैतिकता आधार पर संचालित होती है, उदाहरण के लिए, एक निजी व्यवसाय में नैतिक संचालन संभव है-जिन लोगों का आधार पर विवाद है, जैसे मुक्तिवादी समाजवादी, (जिनका तर्क है कि "व्यापार नैतिकता" विरोधाभास है) उन्होंने व्यावसायिक नैतिकता की उपयुक्त विचार-सीमा के बाहर जाकर उसकी परिभाषा दी है।
कारोबार का दर्शन भी सवालों से जुड़ा होता हैं जैसे व्यवसाय की सामाजिक जिम्मेदारियां क्या-क्या होती हैं, व्यवसाय प्रबंधन सिद्धांत, व्यक्तिवाद के सिद्धांत बनाम समष्टिवाद; बाजार में प्रतिभागियों के बीच मुक्त इच्छा शक्ति, स्व-हित की भूमिका; अदृश्य हाथ सिद्धांत, सामाजिक न्याय की आवश्यकताओं और प्राकृतिक अधिकार है, खासकर व्यापार उद्यम के संबंध में संपदा अधिकार.
व्यावसायिक नैतिकता भी राजनीतिक अर्थव्यवस्था से संबंधित है, जो राजनीतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से आर्थिक विश्लेषण है। राजनीतिक अर्थव्यवस्था का सम्बंध आर्थिक कार्यों के वितरण परिणाम से है। वह यह पूछता है कि आर्थिक गतिविधि से कौन फायदे में है और किसकी हानि हुई है, वितरण का परिणाम ही उचित है या नहीं, यह केन्द्रीय नैतिक मुद्दा है।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ "Ethics the easy way". H.E.R.O. अभिगमन तिथि 2008-05-21.[मृत कड़ियाँ]
- ↑ "Miliband draws up green tax plan". BBC. 2006-10-30. मूल से 22 जनवरी 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2008-05-21.
- ↑ Friedman, Milton (1970-09-13). "The Social Responsibility of Business is to Increase Its Profits". दि न्यू यॉर्क टाइम्स Magazine. मूल से 17 मार्च 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 दिसंबर 2009.
- ↑ Hare, R. M. (1979). "What is wrong with slavery". Philosophy and Public Affairs. 8: 103–121.
- ↑ नैतिक सिद्धांत और व्यापार (बेऔचंप)
- ↑ Enderle, Georges (1999). International Business Ethics. University of Notre Press. पृ॰ 1. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-268-01214-8.
- ↑ George, Richard de (1999). Business Ethics.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 27 अप्रैल 2006 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 दिसंबर 2009.
आगे पढ़ें
- Albertson, Todd. (2007). The Gods of Business: The Intersection of Faith and the Marketplace. Los Angeles, CA: Trinity Alumni Press.
- Behrman, Jack N. (1988). Essays on Ethics in Business and the Professions. Englewood Cliffs, NJ: Prentice Hall.
- Bowie, Norman E. (1999). Business Ethics, A Kantian Perspective. Blackwell Publishing.
- George, Richard T. de (1999). Business Ethics. Prentice Hall. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-13-079772-3.
- Hartman, Laura (2004). Perspectives in Business Ethics. Burr Ridge, IL: McGraw-Hill.
- Harwood, Sterling (1996). Business as Ethical and Business as Usual. Belmont, CA: The Thomson Corporation.
- Jackson, Kevin (2004). Building Reputational Capital. New York, NY: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस.
- Knight, Frank (1980). The Ethics of Competition and Other Essays. University of Chicago Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-226-44687-5.
- Rothman, Howard; Scott, Mary (2004). Companies With A Conscience. Denver, CO: MyersTempleton.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
- Seglin, Jeffrey L. (2003). The Right Thing: Conscience, Profit and Personal Responsibility in Today's Business. Spiro Press.
- Solomon, Robert C. (1983). Above the Bottom Line: An Introduction to Business Ethics. Harcourt Trade Publishers.
- Virághalmy, Lea B. (2003). The excellence of the efficiency of the learning organisation that is the Hellenic features of current economics moral. Budapest.[मृत कड़ियाँ]