वैश्विक मंदी
वैश्विक मंदी विश्वव्यापी आर्थिक मंदी की अवधि है। वैश्विक मंदी की परिभाषा करते समय, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) कई कारकों को ध्यान में रखता है, पर उसके कथनानुसार 3 प्रतिशत या उससे कम का वैश्विक आर्थिक विकास, "वैश्विक मंदी के बराबर है".[1][2] इस पैमाने पर, 1985 से तीन कालावधियां इस अर्हता को प्राप्त करती हैं: 1990-1993, 1998 और 2001-2002.[3][4]
सिंहावलोकन
अनौपचारिक तौर पर, राष्ट्रीय मंदी उत्पादकता में गिरावट की अवधि है। 1974 के एक न्यूयॉर्क टाइम्स लेख में, जूलियस शिसकिन ने मंदी की पहचान के लिए कई व्यावहारिक नियमों को सुझाया, जिसमें शामिल है, राष्ट्रीय उत्पादन का मापदंड, सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में निरंतर दो त्रैमासिक गिरावट.[5] यह दो तिमाही परिमाण, अब मंदी के लिए अपनाई गई आम परिभाषा बन गई है। संयुक्त राज्य अमेरिका में राष्ट्रीय आर्थिक अनुसंधान ब्यूरो (NBER) को ऐसा प्राधिकार माना जाता है, जो मंदी की पहचान करता है और आकलन करने से पूर्व GDP वृद्धि के अतिरिक्त कई उपायों को ध्यान में रखता है। संयुक्त राज्य अमेरिका के अलावा कई विकसित देशों में, दो तिमाही के नियम का उपयोग मंदी की पहचान के लिए भी किया जाता है।[6]
जहां राष्ट्रीय मंदी की पहचान दो तिमाहियों की गिरावट से होती है, वहीं वैश्विक मंदी को परिभाषित करना ज़्यादा मुश्किल है, क्योंकि विकासशील देशों से, विकसित देशों की तुलना में अधिक GDP वृद्धि की अपेक्षा की जाती है।[7] IMF के अनुसार, 1980 के दशक के बाद से उभरते तथा विकासशील देशों की वास्तविक GDP वृद्धि, ऊर्ध्वमुखी और उन्नत अर्थ-व्यवस्थाओं की अधोमुखी रही है। वैश्विक वृद्धि की मंदी 2007 के 5% से 2008 में 3.75% तक घटने और 2009 में बस 2% से कुछ अधिक होने का अनुमान है। GDP वृद्धि में अधोमुखी गिरावट क्षेत्रवार भिन्न होती है। सबसे अधिक प्रभावित होने वालों में उत्पाद निर्यातक और घोर बाह्य वित्त पोषण और चलनिधि की समस्या वाले देश शामिल हैं। पूर्वी एशिया के देशों (चीन सहित) को कम गिरावट का सामना करना पड़ा है, क्योंकि उनकी वित्तीय स्थिति काफ़ी मजबूत रही है। उन्हें उत्पादों की क़ीमतें गिरने से लाभ हुआ है और उन्होंने सुलभ समष्टि आर्थिक नीति की ओर विचलन प्रवर्तित किया है।[7]
IMF का अनुमान है कि वैश्विक मंदियां 8 से 10 वर्षों तक स्थाई चक्र में घटित होती हैं। IMF के अनुसार जो पिछले तीन दशकों की तीन वैश्विक मंदियां रही हैं, उस अवधि के दौरान, प्रति व्यक्ति वैश्विक उत्पादन में वृद्धि दर शून्य या नकारात्मक रहा है।[3]
इन्हें भी देखें
- 2007-2009 का वित्तीय संकट
- भारी मंदी
- 2000 दशक के अंत की मंदी
- 2000 दशक का ऊर्जा संकट
- 2007 - 2008 विश्व खाद्य मूल्य संकट
सन्दर्भ
- ↑ "The world economy Bad, or worse". Economist.com. 2008-10-09. मूल से 16 जनवरी 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2009-04-15.
- ↑ लाल, सुबीर. "गंभीर बाजार संकट के बीच IMF द्वारा धीमे विश्व विकास की भविष्यवाणी" अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, 9 अप्रैल 2008. [1] Archived 2009-02-28 at the वेबैक मशीन
- ↑ अ आ "Global Recession Risk Grows as U.S. `Damage' Spreads. Jan 2008". Bloomberg.com. 2008-01-28. मूल से 21 मार्च 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2009-04-15.
- ↑ http://www.imf.org/external/pubs/ft/weo/2009/update/01/index.htm Archived 2009-08-02 at the वेबैक मशीन IMF जनवरी 2009 अद्यतनीकरण
- ↑ Achuthan, Lakshman. "The risk of redefining recession, Lakshman Achuthan and Anirvan Banerji, Economic Cycle Research Institute, May 7, 2008". Money.cnn.com. मूल से 2 अगस्त 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2009-04-15.
- ↑ Japan's Economy Shrinks 0.4%, Confirming Recession Archived 2009-06-27 at the वेबैक मशीन जेसन क्लेनफ़ील्ड द्वारा
- ↑ अ आ "IMF World Economic Outlook (WEO) Update - Rapidly Weakening Prospects Call for New Policy Stimulus - November 2008". Imf.org. 2008-11-06. मूल से 22 मई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2009-04-15.
बाहरी कड़ियाँ
- The Thirty-Five Most Tumultuous Years in Monetary History: सदमा और वित्तीय अभिघात, रॉबर्ट एलिबर द्वारा. IMF में प्रस्तुत
- Business Cycle Expansions and Contractions राष्ट्रीय आर्थिक अनुसंधान ब्यूरो
- Independent Analysis of Business Cycle Conditions - अमेरिकी आर्थिक अनुसंधान संस्थान (AIER)