विषुव
विषुव (अंग्रेज़ी:इक्विनॉक्स) ऐसा समय-बिंदु होता है, जिसमें दिवस और रात्रि लगभग बराबर होते हैं। इसका शब्दिक अर्थ होता है - 'विषुव' शब्द संस्कृत से लिया गया है और इसका शाब्दिक अर्थ दिन और रात्रि के समान होने से है (दिनरात्र्योः साम्यं वाति वा) | इक्वीनॉक्स शब्द लैटिन भाषा के शब्द एक्वस (समान) और नॉक्स (रात्रि) से लिया गया है।[1][2] किसी क्षेत्र में दिन और रात की लंबाई को प्रभावित करने वाले कई दूसरे कारक भी होते हैं। पृथ्वी अपनी धुरी पर २३½° झुके हुए सूर्य के चक्कर लगाती है, इस प्रकार वर्ष में एक बार पृथ्वी इस स्थिति में होती है, जब वह सूर्य की ओर झुकी रहती है, व एक बार सूर्य से दूसरी ओर झुकी रहती है।[3] इसी प्रकार वर्ष में दो बार ऐसी स्थिति भी आती है, जब पृथ्वी का झुकाव न सूर्य की ओर ही होता है और न ही सूर्य से दूसरी ओर, बल्कि बीच में होता है। इस स्थिति को विषुव या इक्विनॉक्स कहा जाता है। इन दोनों तिथियों पर दिन और रात की बराबर लंबाई लगभग बराबर होती है।[2] यदि दो लोग भूमध्य रेखा से समान दूरी पर खड़े हों तो उन्हें दिन और रात की लंबाई बराबर महसूस होगी। ग्रेगोरियन वर्ष के आरंभ होते समय (जनवरी माह में) सूरज दक्षिणी गोलार्ध में होता है और वहां से उत्तरी गोलार्ध को अग्रसर होता है। वर्ष के समाप्त होने (दिसम्बर माह) तक सूरज उत्तरी गोलार्द्ध से होकर पुनः दक्षिणी गोलार्द्ध पहुचं जाता है। इस तरह से सूर्य वर्ष में दो बार भू-मध्य रेखा के ऊपर से गुजरता है। हिन्दू नव वर्ष एवं भारतीय राष्ट्रीय कैलेंडर व विश्व में अन्य कई नव वर्ष इसी समय के निकट ही आरंभ हुआ करते हैं।
ग्रह पर स्थिति
अयनांत एवं विषुवों के समय UTC[4] | ||||||||
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वर्ष | विषुव मार्च[5] | अयनांत जून[6] | विषुव सितंबर[7] | अयनांत दिसंबर[8] | ||||
दिन | समय | दिन | समय | दिन | समय | दिन | समय | |
2019 | 20 | 21:58 | 21 | 15:54 | 23 | 07:50 | 22 | 04:19 |
2020 | 20 | 03:50 | 20 | 21:43 | 22 | 13:31 | 21 | 10:03 |
2021 | 20 | 09:37 | 21 | 03:32 | 22 | 19:21 | 21 | 15:59 |
2022 | 20 | 15:33 | 21 | 09:14 | 23 | 01:04 | 21 | 21:48 |
2023 | 20 | 21:25 | 21 | 14:58 | 23 | 06:50 | 22 | 03:28 |
2024 | 20 | 03:07 | 20 | 20:51 | 22 | 12:44 | 21 | 09:20 |
2025 | 20 | 09:02 | 21 | 02:42 | 22 | 18:20 | 21 | 15:03 |
2026 | 20 | 14:46 | 21 | 08:25 | 23 | 00:06 | 21 | 20:50 |
2027 | 20 | 20:25 | 21 | 14:11 | 23 | 06:02 | 22 | 02:43 |
2028 | 20 | 02:17 | 20 | 20:02 | 22 | 11:45 | 21 | 08:20 |
2029 | 20 | 08:01 | 21 | 01:48 | 22 | 17:37 | 21 | 14:14 |
इस परिभाषा को सूर्य के पृथ्वी पर उदय और अस्त या परिक्रमा के संदर्भ में देखें तो इक्विनॉक्स एक ग्रह की कक्षा में लगने वाला वह समय है, जिसमें ग्रह की कक्षा और विशिष्ट स्थिति में सूर्य सीधे भूमध्य रेखा के ऊपर से होकर निकलता है। दिन और रात बराबर होने की बात सिद्धान्तः होती है पर वास्तविकता में नहीं। आजकल यह समय लगभग २० मार्च तथा २३ सितंबर को आता है।[1][9] जब यह मार्च में आता है तो उत्तरी गोलार्द्ध में रहने वाले इसे महा/बसंत विषुव (Vernal/(अंग्रेज़ी)) कहते हैं तथा जब सितंबर में आता है तो इसे जल/शरद विषुव (fall/(अंग्रेज़ी)) कहते हैं। यह उत्तरी गोलार्द्ध में इन ऋतुओं के आने की सूचना देता है। यह समय विषुव अयन के कारण समय के साथ साथ बदलता रहता है। अंतर्राष्ट्रीय समय में भिन्नता के कारण अलग अलग देशों में इसके दिखने की तिथियों में अंतर हो सकता है। उदाहरण के लिए दूरस्थ पूर्वी देशों में यह यूरोप और अमेरिका से एक दो दिन आगे पीछे दिख सकता है। हर ग्रह की एक काल्पनिक केंद्रीय रेखा को भूमध्य रेखा कहते हैं।[3] इसके साथ ही भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर अंतरिक्ष में एक काल्पनिक आकाशीय रेखा भी होती है। इक्विनॉक्स के समय सूर्य सीधे भूमध्य रेखा की सीध में होता है। इसका अर्थ यह है कि यदि कोई व्यक्ति भूमध्य रेखा पर खड़ा हो तो सूर्य उसे सीधे अपने सिर के ऊपर दिखाई देगा। इसका यह भी अर्थ है कि आधा ग्रह पूरी तरह प्रकाशित होता है और इस समय दिन और रात लगभग बराबर होते हैं।
उत्तरी ध्रुव पर रहने वाले लोगों के लिए इक्विनॉक्स के अगले छह महीने लगातार दिन वाले होते हैं जबकि दक्षिणी ध्रुव के लोगों के लिए छह महीने अंधेरी रात वाले। इक्विनॉक्स के इस विशेष दिन दोनों ध्रुवों के लोगों को सूर्य का एक जैसा प्रकाश देखने को मिलता है, जबकि दोनों जगह का मौसम अलग होगा। ग्रेगोरी कैलेंडर में २१ मार्च की तिथि वसंत विषुव यानी वर्नल इक्विनॉक्स मानी गई है। भारत के राष्ट्रीय कैलेंडर शक संवत की प्रथम तिथि ईस्वी सन् ७९ के वसंत विषुव से प्रारंभ होती है। भारतीय सौर वर्ष वसंत विषुव प्रायः २१ मार्च के अगले दिन यानि २२ मार्च से शुरु होने के बजाय १३ या १४ अप्रैल हैप्पी
चित्र दीर्घा
- उत्तर से पृथ्वी की ऋतुओं के आरेख। सुदूर दाएं:दिसंबर सॉलिस्टाइस
- दक्षिण से पृथ्वी की ऋतुओं के आरेख। सुदूर बाएं:जून सॉलिस्टाइस
- पृथ्वी के सूर्य की कक्षा में घूर्णन के कारण, भूमध्य रेखा (श्वेत) पर झुके हुए एक आकाशीय गोले (लाल) में सूर्य के घूर्णन की प्रतीति होती है।
- 0° अक्षांश पर डे-आर्क (भूमध्य रेखा)
- 20° अक्षांश पर डे-आर्क
- 50° अक्षांश पर डे-आर्क
- 70° अक्षांश पर डे-आर्क
- 90° अक्षांश पर डे-आर्क (ध्रुव)
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ अ आ दिन-रात के बीच मिट जाएगी अवधि संबंधी दूरियां|खबर जोश-१८। १९ मार्च २०१०। अजब गजब।
- ↑ अ आ शर्मा, अशोक कुमार (१). 2012 महाविनाश या नये युग का आरंभ. डायमंड पॉकेट बुक्स. पृ॰ 151. डीओआइ:7413
|doi=
के मान की जाँच करें (मदद). ISBN 978-81-288-2388. मूल (अजिल्द) से 6 अगस्त 2020 को पुरालेखित.प्रारंभ के ज्योतिष विस्तृत विवरण के साथ आकाशीय पिण्डों की चाल का अध्ययन करने में सक्षम हो चुके थे। उन्होंने पाया कि अयनों (इक्विनॉक्स) की प्रक्रिया साल में दो बार होती है जब पृथ्वी अपने अयन से सूर्य की ओर या उससे परे नहीं झुकी प्रतीत होती है। अयन या इक्विनॉक्स शब्द उन तिथियों का प्रतीक है जब ऐसा होता है। शब्द ‘इक्विनॉक्स’ लैटिन के शब्द ‘एक्यूस’ (बराबर) से निकला है और ‘नॉक्स’ का अर्थ रात्रि होता है क्योंकि इक्विनॉक्स के आस-पास रात और दिन की अवधि लगभग बराबर ही रहती है।
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की उपेक्षा की गयी (मदद);|date=, |year= / |date= mismatch
में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद) - ↑ अ आ इक्विनॉक्स Archived 2020-08-06 at the वेबैक मशीन|हिन्दुस्तान लाइव। १७ मई २०१०। तैयारी डेस्क
- ↑ संयुक्त राज्य नौसैनिक वेधशाला (01/28/07). "अर्थ्स सीज़न्स:एक्वीनॉक्सेज़, सॉलिस्टाइसेज़, पेरिहैलियन एवं एपहैलियन, २०००-२०२०". http://aa.usno.navy.mil/data/docs/EarthSeasons.php.
- ↑ Équinoxe de printemps entre 1583 et 2999
- ↑ Solstice d’été de 1583 à 2999
- ↑ Équinoxe d’automne de 1583 à 2999
- ↑ Solstice d’hiver
- ↑ आज दिन-रात बराबर Archived 2012-02-03 at the वेबैक मशीन। डेली न्यूज़। २१ मई २०१०।
बाहरी कड़ियाँ
- कलैंडर का विज्ञान|अपना उत्तराखंड। २ जनवरी २०१०। श्री देवेन्द्र मेवाड़ी
- विषुवों पर दिन और राट की लंबाई के ब्यौरे (अंग्रेज़ी)