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विलायक

शुक्ताम्ल (एसिटिक अम्ल) से भरी हुई एक बोतल

विलायक एक ऐसे पदार्थ को कहते है, जिसका उपयोग विलयन बनाने में अत्यधिक मात्रा में किया जाता है। उदाहरण के लिए यदि नमक को पानी में डाला जाये तो पानी अधिक होने के कारण पानी एक विलायक कहलायेगा लेकिन उन दोनों के घुलने के कारण वह एक विलयन बन जाता है। अतः विलायक वे पदार्थ होते हैं जिनमें किसी भी विलेय को घोला जाता है।

सामान्यतः एक विलायक तरल अवस्था में होता है किंतु यह ठोस अवस्था गैस भी हो सकता है। जैविक विलायकों के सामान्य उपयोग रंग तरलक (तारपीन), नाखूनी हटाने वाला तरल और गोंद विलायक (एसीटोन, मिथाइल एसिटेट, इथाइल एसिटेट) के प्रमुख उपयोग दाग धब्बे हटाने के लिए (पेट्रोल ईथर) अपमार्जक (साइट्रस टेरपेन्स) और इत्र (इथेनॉल) आदि हैं।

परिभाषा

दो या दो से अधिक पदार्थो का समांगी मिश्रण विलयन कहलाता है। विलयन बनाने में जिस पदार्थ का अत्यधिक प्रयोग होता है उस पदार्थ को विलायक कहते है।

अथवा विलयन में जो पदार्थ आधिक मात्रा में उपस्थित रहता है उसे विलायक कहते हैं।

विलायक को कितने प्रकारों में बांटा गया है?

बंध प्रकृति के आधार पर विलायकों का वर्गीकरण मुख्यता दो भागों में किया गया है: ध्रुवीय विलायक और अध्रुवीय विलायक। हम अपने आर्टिकल विलायक किसे कहते हैं के अंदर आपको इन की विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे।

ध्रुवीय विलायक

जब किसी ऐसे तरल पदार्थ को विलायक के रूप में प्रयोग किया जाए जो कि ध्रुवीय हो तो ऐसे विलायक को ध्रुवीय विलायक कहते हैं। इनके सबसे सरल उदाहरण एल्कोहल और जल हैं। इसके अलावा अन्य भी कई ध्रुवीय विलायक होते हैं जैसे कि एल्डिहाइड, कीटोन आदि। जल एक बहुत शक्तिशाली द्विध्रुवीय विलायक होता है।

अध्रुविय विलायक

ऐसे विलायक या तरल जिनमें दुर्बल का गुण नहीं पाया जाता है अध्रुवीय विलायक कहलाते हैं। ऐसे विधायकों में विधुत ऋणात्मकता बहुत कम होती है। अर्थात यहां यह कहा जा सकता है कि परमाणु के मध्य में विद्युत ऋणात्मकता का अंतर बिल्कुल शून्य के बराबर होता है। इनके कुछ उदाहरण जैसे कि हेक्सेन, पेंटेन, बेंजीन टॉल्यून आदि हैं। और पढ़ें

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ