विलहम कॉनरैड रॉटजन
विल्हेल्म रण्ट्गन | |
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जन्म | विल्हेल्म कॉन्राड रण्ट्गन 27 मार्च 1845 लेन्नेप, राइन प्रान्त, जर्मन परिसंघ |
मृत्यु | 10 फ़रवरी 1923 म्यूनिख, बायर्न, जर्मनी | (उम्र 77)
राष्ट्रीयता | जर्मन |
क्षेत्र | भौतिकी एक्स-रे खगोल विज्ञान |
संस्थान |
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शिक्षा |
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डॉक्टरी सलाहकार | अगस्त कुण्ड्ट |
डॉक्टरी शिष्य |
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प्रसिद्धि | ऍक्स किरणे |
उल्लेखनीय सम्मान | मेत्तेच्ची मेडल (1896) रुमफोर्ड मेडल (1896) इलियट क्रेसन मेडल (1897) बर्नार्ड मेडल (1900) भौतिकी में नोबेल पुरस्कार (1901) |
विल्हेल्म कॉन्राड रण्ट्गन एक जर्मन यान्त्रिक अभियन्ता और भौतिक शास्त्री थे,[1] जिन्होंने 8 नवम्बर 1895 को X-किरणों के रूप में जानी जाने वाली तरंग दैर्घ्य रेंज में विद्युच्चुम्बकीय विकिरण का उत्पादन और पता लगाया, एक उपलब्धि जिसने उन्हें 1901 में भौतिकी में नोबेल पुरस्कार का उद्घाटन किया।[2] रण्ट्गन की उपलब्धियों के सम्मान में, 2004 में शुद्ध और प्रयुक्त रासायनिकी के अन्तर्राष्ट्रीय संघ ने उनके नाम पर तत्त्व 111, रण्ट्गनियम, एक रेडियोधर्मी तत्व का नाम दिया, जिसमें कई अस्थिर समस्थानिक होते हैं। मापन की मात्रक रण्ट्गन का नाम भी उन्हीं के नाम पर रखा गया था।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ Redactie, Auteur: (2010-10-31). "Wilhelm Röntgen (1845-1923) - Ontdekker röntgenstraling". Historiek (डच में). अभिगमन तिथि 2023-04-05.सीएस1 रखरखाव: फालतू चिह्न (link)
- ↑ Stoddart, Charlotte (2022-03-01). "Structural biology: How proteins got their close-up". Knowable Magazine | Annual Reviews (अंग्रेज़ी में). आइ॰एस॰एस॰एन॰ 2575-4459. डीओआइ:10.1146/knowable-022822-1.