विभंग
विभांगा (डिवीजन या वर्गीकरण) [1] में 18 अध्याय होते हैं, प्रत्येक एक अलग विषय से निपटते हैं। उदाहरण के लिए, पहला अध्याय पांच योगों से संबंधित है। एक सामान्य अध्याय में तीन भाग होते हैं। इन हिस्सों में से पहला सूत्र सुट्टा विधि के अनुसार विषय को समझाता है, अक्सर वास्तविक सूट्टा के रूप में शब्द-के-शब्द। दूसरा अभिमम्मा स्पष्टीकरण है, मुख्य रूप से धम्मसंगानी में समानार्थी शब्दों की सूचियों द्वारा। तीसरा माइकिका के आधार पर प्रश्न और उत्तर नियोजित करता है, जैसे कि "कितने योग अच्छे हैं?
- विभंग
इस ग्रंथ में विभंग का आशय विभाजन एवं विवेचना से है। इसमें धम्मसंगनी की तरह विभंग ग्रंथ को भी स्कंध, आयतन आदि विशयों को 18 भागों में बाटा गया है। इसमें अट्ठारह भाग निम्नलिखित प्रकार से होता है।
1-खंध या स्कंध विभंग- इसमें रूप, वेदना, संज्ञा, संस्कार और विज्ञान का अत्यधिक विवरण मिलता है।
2- आयतन विभंग- इसमें बारह आयतनों में पाँच इन्द्रियाँ जैसे- चक्खु, स्रोत, घ्राण, जिह्वा एवं काया आता है इन सभी आयतन को पाँच विसय आयतनों में रूप, शब्द, गन्ध, रस, एवं स्पर्श आयतन एवं दो आयतनों में मन और धम्म कम्म आयतन आते हैं।
3-धातु विभंग- यह भी आयतन विभंग की तरह इसमें मानसिक काय धातुओं में चक्खु, रूप, स्रोत, शब्द, घ्राण, गंध, जिह्वा, रस, काय और स्पर्श दस होते हैं एवं भौतिक विज्ञान धातु आठ चक्खु, रूप, स्रोत, शब्द, घ्राण, गंध, जिह्वा, काय, मन, मनोविज्ञान और धम्म धातुओं सहित कुल अट्ठारह आयतन होते हैं।
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