सामग्री पर जाएँ

विद्यानिवास मिश्र

डॉ. विद्यानिवास मिश्र, डॉ. अर्चना द्विवेदी को साक्षात्कार देते हुए ।

विद्यानिवास मिश्र (14 जनवरी 1926 - 14 फरवरी 2005) संस्कृत के विद्वान, जाने-माने भाषाविद्, हिन्दी साहित्यकार और सफल सम्पादक (नवभारत टाइम्स) थे। उन्हें सन १९९९ में भारत सरकार ने साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था। ललित निबन्ध परम्परा में ये आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी और कुबेरनाथ राय के साथ मिलकर एक त्रयी रचते है। पं॰ हजारीप्रसाद द्विवेदी के बाद अगर कोई हिन्दी साहित्यकार ललित निबंधों को वांछित ऊँचाइयों पर ले गया तो हिन्दी जगत में डॉ॰ विद्यानिवास मिश्र का ही उल्लेख होता है।

जीवनी

पं. विद्यानिवास मिश्र का जन्म 14 जनवरी 1926 को उत्तरप्रदेश के गोरखपुर जिले के पकड़डीहा गाँव में हुआ था। वाराणसी और गोरखपुर में शिक्षा प्राप्त करने वाले श्री मिश्र ने गोरखपुर विश्वविद्यालय से वर्ष 1960-61 में पाणिनी की व्याकरण पर डॉक्टरेट की उपाधि अर्जित की थी।

उन्होंने अमेरिका के बर्कले विश्वविद्यालय में भी शोध कार्य किया था तथा वर्ष 1967-68 में वाशिंगटन विश्वविद्यालय में अध्येता रहे थे। मध्यप्रदेश में सूचना विभाग में कुछ समय कार्यरत रहने के बाद वे अध्यापन के क्षेत्र में आ गए। वे 1968 से 1977 तक वाराणसी के सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में अध्यापक रहे। कुछ वर्ष बाद वे इसी विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे। उनकी उपलब्धियों की लंबी शृंखला है। लेकिन वे हमेशा अपनी कोमल भावाभिव्यक्ति के कारण सराहे गए हैं। उनके ललित निबंधों की महक साहित्य- जगत में सदैव बनी रहेगी।

गोरखपुर विश्‍वविद्यालय ने ‘पाणिनीय व्‍याकरण की विश्‍लेषण पद्धति' पर आपको डॉक्‍टरेट की उपाधि प्रदान की। लगभग दस वर्षों तक हिन्‍दी साहित्‍य सम्‍मेलन, रेडियो, विन्‍ध्‍य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश के सूचना विभागों में नौकरी के बाद आप गोरखपुर विश्‍वविद्यालय में प्राध्‍यापक हुए। कुछ समय के लिए आप अमेरिका गये, वहाँ कैलीफोर्निया विश्‍वविद्यालय में हिन्‍दी साहित्‍य एवं तुलनात्‍मक भाषा विज्ञान का अध्‍यापन किया एवं वाशिंगटन विश्‍वविद्यालय में हिन्‍दी साहित्‍य का अध्‍यापन किया। आपने ‘वाणरासेय संस्‍कृत विश्‍वविद्यालय' में भाषा विज्ञान एवं आधुनिक भाषा विज्ञान के आचार्य एवं अध्‍यक्ष पद पर भी कार्य किया। राष्‍ट्र ने आपकी साहित्‍यिक सफलताओं को तरहीज देते हुए सासंद नियुक्‍त किया। साथ ही देश ने उनकी सफलताओं और त्‍याग तथा ईमानदारी के लिए पद्य भूषण सम्‍मान से भी विभूषित किया। वर्तमान में प्रो॰ मिश्र ‘भारतीय ज्ञानपीठ के न्‍यासी बोर्ड के सदस्‍य थे और मूर्ति देवी पुरस्‍कार चयन समिति के अध्‍यक्ष सहित ज्ञानपीठ के न्‍यासी बोर्ड के सदस्‍य थे।

प्रो॰ विद्यानिवास मिश्र स्‍वयं को 'भ्रमरानन्‍द' कहते थे और छद्यनाम से आपने अधिक लिखा है। आप हिन्‍दी के एक प्रतिष्‍ठित आलोचक एवं ललित निबन्‍ध लेखक हैं, साहित्‍य की इन दोनों ही विधाओं में आपका कोई विकल्‍प नहीं हैं। निबन्‍ध के क्षेत्र में मिश्र जी का योगदान सदैव स्‍वर्णाक्षरों में अंकित किया जाएगा।

प्रो॰ विद्यानिवास मिश्र के ललित निबन्‍धों की शुरूआत में पहला निबन्‍ध संग्रह 1952 ई0 में ‘छितवन की छाँह' प्रकाश में आया है। आपने हिन्‍दी जगत को ललित निबन्‍ध परम्‍परा से अवगत कराया।

निष्‍कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि प्रो॰ मिश्र जी का लेखन आधुनिकता की मार देशकाल की विसंगतियों और मानव की यंत्र का चरम आख्‍यान है जिसमें वे पुरातन से अद्यतन और अद्यतन से पुरातन की बौद्धिक यात्रा करते हैं। ‘‘मिश्र जी के निबन्‍धों का संसार इतना बहुआयामी है कि प्रकृति, लोकतत्‍व, बौद्धिकता, सर्जनात्‍मकता, कल्‍पनाशीलता, काव्‍यात्‍मकता, रम्‍य रचनात्‍मकता, भाषा की उर्वर सृजनात्‍मकता, सम्‍प्रेषणीयता इन निबन्‍धों में एक साथ अन्‍तग्रंर्थित मिलती है।

रचनाएँ

श्री विद्यानिवास मिश्र की हिन्दी और अंग्रेज़ी में दो दर्ज़न से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हैं। इसमें "महाभारत का कव्यार्थ" और "भारतीय भाषादर्शन की पीठिका" प्रमुख हैं। ललित निबंधों में "तुम चंदन हम पानी",1957, "वसंत आ गया पर कोई उत्कंठा नहीं", 1972 और शोधग्रन्थों में "हिन्दी की शब्द संपदा" चर्चित कृतियां हैं। अन्य ग्रन्थ हैं-

  • स्वरूप-विमर्श, 2001 (सांस्कृतिक पर्यालोचन से सम्बद्ध निबन्धों का संकलन)
  • कितने मोरचे (2007 ई०)
  • गांधी का करुण रस (2002 ई०)
  • चिड़िया रैन बसेरा
  • छितवन की छाँह (1953 ई०) (निबन्ध संग्रह)
  • हल्दी धूप(1955 ई०)
  • कदम की फूली डाल (1996 ई०)
  • आंगन का पंछी बंजारा मन(1963 ई०)
  • मैंने सिल पहुंचाई(1966 ई०)
  • मेरे राम का मुकुट भीग रहा है (1974 ई०)
  • परंपरा बंधन नहीं (1976 ई०)
  • कंटीले तारों के आरपार (1976 ई०)
  • अग्निरथ (निबन्ध संग्रह)
  • लागो रंग हरो (निबन्ध संग्रह) (1985 ई०)
  • तुलसीदास भक्ति प्रबंध का नया उत्कर्ष
  • थोड़ी सी जगह दें (घुसपैठियों पर आधारित निबन्ध) (2004 ई०)
  • फागुन दुइ रे दिना (1994 ई०)
  • बसन्त आ गया पर कोई उत्कण्ठा नहीं (1972 ई०)
  • भारतीय संस्कृति के आधार (भारतीय संस्कृति के जीवन पर आधारित पुस्तक)
  • भ्रमरानंद का पचड़ा (श्रेष्ठ कहानी-संग्रह) (1981 ई०)
  • रहिमन पानी राखिए (जल पर आधारित निबन्ध)
  • राधा माधव रंग रंगी (गीतगोविन्द की सरस व्याख्या)
  • लोक और लोक का स्वर (लोक की भारतीय जीवनसम्मत परिभाषा और उसकी अभिव्यक्ति) (2000ई०)
  • वाचिक कविता अवधी (वाचिक अवधी कविताओं का संकलन)
  • वाचिक कविता भोजपुरी
  • व्यक्ति-व्यंजना (विशिष्ट व्यक्त व्यंजक निबन्ध)
  • सपने कहाँ गए (स्वाधीनता संग्राम पर आधारित पुस्तक)
  • साहित्य के सरोकार, 2007
  • हिन्दी साहित्य का पुनरावलोकन
  • हिन्दी और हम
  • आज के हिन्दी कवि-अज्ञेय

पुरस्कार एवं सम्मान

बाहरी कड़ियाँ