विज्ञान भैरव तन्त्र
विज्ञानभैरवतन्त्र काश्मीरी शैव सम्प्रदाय के त्रिक उपसम्प्रदाय का मुख्य ग्रन्थ है। यह भैरव (शिव के भयंकर रूप) और भैरवी (शक्ति) के संवाद के रूप में है। इसमें संक्षेप में ११२ धारणाओं (meditation methods) का वर्णन किया गया है।
विज्ञान भैरव तंत्र देवी के प्रश्नों से शुरू होता है। देवी ऐसे प्रश्न पूछती हैं, जो दार्शनिक मालूम होते हैं। लेकिन शिव उत्तर उसी ढंग से नहीं देते। देवी पूछती हैं- प्रभो आपका सत्य क्या है? शिव इस प्रश्न का उत्तर न देकर उसके बदले में एक 'विधि' देते हैं। अगर देवी इस विधि से गुजर जाएँ तो वे उत्तर पा जाएँगी। इसलिए उत्तर परोक्ष है, प्रत्यक्ष नहीं।शिव नहीं बताते कि मैं कौन हूँ, वे एक विधि भर बताते हैं। वे कहते हैं : यह करो और तुम जान जाओगे। तंत्र के लिए करना ही जानना है। [1]
सन्दर्भ
- ↑ "शिव की वाणी : विज्ञान भैरव तंत्र". मूल से 24 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 मार्च 2017.
==इन्हें भी देखें==pp
- भैरवविज्ञान भैरव तंत्र को अगर समझना है तो आप को एक बार भारत में स्थित कालभेरव मंदिर जरूर जाना पड़ेगा जो की मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में है
बाहरी कड़ियाँ
- विज्ञान भैरव तंत्र ( मूल पुस्तक की व्यख्या | archive.org | व्याख्याकार: व्रज वल्लभ द्विवेदी)
- विज्ञानभैरव (गूगल पुस्तक ; व्याख्याकार: व्रज वल्लभ द्विवेदी)
- विज्ञानभैरवतन्त्रम् (संस्कृत श्लोक तथा अंग्रेजी अर्थ सहित)
- शिव की वाणी : विज्ञान भैरव तंत्र (वेबदुनिया)