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विक्टर इमानुएल द्वितीय

विक्तर इमनुएल द्वितीय

विक्तर एमानुएल द्वितीय (Victor Emanuel II ; इतालवी: Vittorio Emanuele Maria Alberto Eugenio Ferdinando Tommaso ; १८२० - १८७८) वर्तमान इटली के 'जनक' ( Father of the Fatherland ; इतालवी : Padre della Patria ) माने जाते हैं। उनका नाम जर्मनी के प्रिंस बिस्मार्क और भारत के सरदार पटेल के दर्जे का माना जाता है। इन्होंने अनेक राज्यों में विभक्त देश को एक कर वर्तमान इटली का रूप दिया, सीमावर्ती प्रबल देशों से उसे निर्भय बनाया और उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा दिलायी।

परिचय

विक्टर चार्ल्स एलबर्ट का पुत्र था। पिता के गद्दी त्याग करने पर वह सार्दीनिया का राजा बना और अपनी वीरता, राजनीतिक कुशलता तथा दूरदर्शिता से सार्दीनिया के राज्य को संयुक्त इटली के महान राज्य में परिवर्तित कर दिया।

इटली के मैजिनी और गैरीबाल्डी तथा अन्य क्रांतिकारियों और प्रजातंत्रवादियों का सहयोग प्राप्त कर एमानुएल ने सबको एक किया। इन्होंने १० नवंबर, १८५९ को ज्यूरिक की संधि में लोबार्दी प्रदेश आस्ट्रिया से और सितंबर, १८७० में प्रशा-फ्रांस की लड़ाई में रोमन प्रदेश फ्रांस से प्राप्त किए। सिसली, नेपल्स, वेनिस, तस्कनी, जिचीज और रोमान्या के अलग-अलग राज्यों को इटली में मिलाने में उसने अपूर्व सफलता प्राप्त की। रोमन प्रदेश को इटली में मिलाने का घोर विरोध वातिकन के पोप ने किया, जिस कारण दोनों के संबंध वर्षो तक बिगड़े रहे। आंतरिक सुधारों में एक बड़ा कदम चर्च की अदालतों के अधिकारों को सीमित करना था। उसके कारण भी उसको पोप का कोपभाजन बनना पड़ा। स्वयं कैथोलिक होते हुए भी उसने उसकी परवाह नहीं की। अपनी जनता और संसद् का विश्वास उसे सदा प्राप्त रहा। आस्ट्रिया के आर्चड्यूक की लड़की से विवाह कर उसने फ्रांस के सम्राट् तृतीय नैपोलियन के साथ भी पारिवारिक संबंध कायम किए। दोनों की पुरानी शत्रुता से उसने पूरा लाभ उठाया; परंतु तृतीय नैपोलियन उसकी बढ़ती हुई शक्ति के प्रति सदा सशंक रहा। क्रीमिया के युद्ध में उसने रूस के विरुद्ध फ्रांस और इंग्लैंड का साथ देकर अपनी और इटली दोनों की प्रतिष्ठा में चार चाँद लगा दिए। पेरिस में तृतीय नैपोलियन और लंदन में महारानी विक्टोरिया ने तथा दोनों देशों की जनता ने भी उसका हार्दिक स्वागत किया। प्रशा और फ्रांस के युद्ध से भी उसने पूरा लाभ उठाया। फ्रांस ने पहली पराजय के बाद जब १,००,००० इटालियन सैनिकों की सहायता की माँग की तब उसने रोमन प्रदेश को फ्रांसीसी सेनाओं से खाली करवा कर ७ जुलाई, १८७१ को रोम को संयुक्त इटली में मिलाकर उसको राजधानी बनाया और उसका पुनर्निर्माण किया।

विक्टर इमानुएल द्वितीय सुदृढ़ प्रकृति, सहृदय स्वभाव, स्वाभिमानी, राजनीतिज्ञ और दूरदर्शी शासक था। सेनापति के रूप में जीवन का आरंभ कर वह सैनिक शक्ति की अपेक्षा अपनी बुद्धिमत्ता से संयुक्त इटली का सम्राट् बना। अपनी स्थिति को सांवैधानिक बनाकर उसने संसद् के सहयोग से शासनसूत्र का संचालन किया। शासन में कोई विशेष सुधार वह नहीं कर सका; देश की आर्थिक स्थिति को उसने काफी उन्नत बनाया और सेना का पुनर्गठन कर उसको शक्तिशाली बनाया। ९ फरवरी,१८७८ को रोम में ज्वर से उसकी मृत्यु हो गई।

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