वालरस
वालरस | |
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वैज्ञानिक वर्गीकरण | |
जगत: | जंतु |
संघ: | रज्जुकी |
वर्ग: | स्तनधारी |
अध:वर्ग: | यूथेरिया |
गण: | मांसाहारी |
उपगण: | कैनीफोर्मिया |
अधिकुल: | युक्तांगुलित |
कुल: | ओडोबेनिडी एलन, 1880 |
वंश: | ओडोबेनस ब्रिसन, 1762 |
जाति: | O. rosmarus |
द्विपद नाम | |
Odobenus rosmarus (लीनियस, 1758) | |
उपप्रजाति | |
O. rosmarus rosmarus | |
वालरस का वितरण |
वालरस (Odobenus rosmarus), एक विशाल मीनपक्षी समुद्री स्तनपायी है जो आर्कटिक महासागर और उत्तरी गोलार्ध के उप आर्कटिक समुद्रों में असंतत परिध्रुवी वितरण के साथ पाया जाता है। वालरस ओडोबेनाइडी (Odobenidae) कुल और ओडोबेनस (Odobenus) वंश की एक मात्र जीवित प्रजाति है। इसका विभाजन तीन उपप्रजातियों; अन्ध महासागर में पायी जाने वाली अन्ध महासागरीय वालरस (O. rosmarus rosmarus); प्रशांत महासागर में पायी जाने वाली प्रशांत वालरस (O. rosmarus divergens) और लाप्टेव सागर में रहने वाली लाप्टेव वालरस (O. rosmarus laptevi) में किया जाता है।
वालरस की विशेषताओं में इसके खाँग, मूंछे और विशाल शरीर है। एक वयस्क नर प्रशांत वालरस का भार 2000 किलोग्राम (£ 4400) से ऊपर हो सकता है और युक्तांगुलित जीवों में इनसे बड़ा आकार गज सीलों की सिर्फ दो प्रजातियों का है। यह मुख्य रूप से उथले उपतटी समुद्री हिस्सों में निवास करते हैं और अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण भाग बर्फ़ीले समुद्र में भोजन की तलाश में गुजारते हैं। अपेक्षाकृत दीर्घ जीवी वालरस एक सामाजिक प्राणी है और आर्कटिक समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की यह सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है।
वालरस आर्कटिक के मूल निवासियों के जीवन का आधार है और यह लोग इसका शिकार मुख्यत: इसके मांस, वसा, त्वचा, दाँत और हड्डी के लिए करते हैं। 19 वीं और 20 वीं शताब्दियों में, वालरस का शिकार इसके खाँग और तिमिवसा (चर्बी) के लिए बड़े पैमाने पर किया गया जिसके कारण इनकी संख्या में अभूतपूर्व कमी दर्ज की गयी, हालाँकि अब इसकी संख्या में वृद्धि दर्ज की गयी है पर अन्ध महासागर और लाप्टेव सागर की वालरसों की संख्या अभी भी इनकी ऐतिहासिक संख्या से काफी कम है।
सन्दर्भ
- ↑ Lowry, L., Kovacs, K. & Burkanov, V. (IUCN SSC Pinniped Specialist Group) (2008). Odobenus rosmarus. 2008 संकटग्रस्त प्रजातियों की IUCN लाल सूची. IUCN 2008. Retrieved on 22 मार्च 2009. Database entry includes a brief justification of why this species is of data deficient