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वहीदा रहमान

वहीदा रहमान
जन्म 3 फ़रवरी 1938 (1938-02-03) (आयु 86)[1][2][3]
विजयवाड़ा, आन्ध्र प्रदेश, ब्रिटिश भारत
पेशाअभिनेत्री
कार्यकाल 1955–1991, 2002–वर्तमान
ऊंचाई 5 फुट 4 इंच (163 सेमी०)
जीवनसाथी शशि रेखी (1974–2000 उनकी मृत्यु तक)

वहीदा रहमान (जन्म: ३ फरवरी, 1938) हिन्दी फिल्मों की एक अभिनेत्री हैं, जो मुख्य रूप से हिन्दी फिल्मों, साथ ही तेलुगु, तमिल और बंगाली फिल्मों में दिखाई दी है। वह 1950, 1960 और 1970 के दशक की शुरुआत तक फिल्मों की विभिन्न शैलियों में अपने योगदान के लिए जानी जाती हैं।[4] उन्हें अपने पूरे करियर में, फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए दो फिल्मफेयर पुरस्कार मिल चुके हैं।

प्रारंभिक जीवन

वहीदा रहमान का जन्म भारत के तमिलनाडु के चेंगलपट्टू में मुस्लिम परिवार में हुआ था। उन्होंने और उसकी बहन ने चेन्नई में भरतनाट्यम सीखा। जब वह किशोरावस्था में थी, उनके जिला आयुक्त पिता की मृत्यु हो गई थी। सबसे पहले उन्होंने 1955 में तेलुगू फिल्मों से शुरुआत की थी। फिर कुछ तमिल फिल्मों में भी उन्होंने काम किया।

करियर

वहीदा, प्यासा में (१९५७)

हिन्दी फिल्म में उनकी पहली उपस्थिति सी आई डी (1956) में हुई थी।[5] बाद में, उन्हें प्यासा (1957), 12 ओ'क्लॉक (1958), कागज़ के फूल (1959), साहिब बीबी और ग़ुलाम और चौदहवीं का चाँद (1961) सहित कई सफल फिल्मों में देखा गया। उनकी अन्य उल्लेखनीय फिल्मों में सोलवाँ साल (1958), बात एक रात की (1962), कोहरा (1964), बीस साल बाद (1962), गाइड (1965), मुझे जीने दो (1963), तीसरी कसम (1966), नील कमल (1968) और ख़ामोशी (1969) शामिल हैं।

उनका करियर 1960, 1970 और 1980 के दशक तक जारी रहा। उन्होंने गाइड (1965) में अपनी भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता। यहाँ वह अपने करियर के शिखर पर पहुँची। उन्होंने नील कमल (1968) के लिये भी ये पुरस्कार जीता।[6] लेकिन बाद की फिल्मों में उत्कृष्ट अभिनय के बावजूद जिसमें रेशमा और शेरा (1971) के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार जीतना शामिल रहा, उनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर असफल रहीं।

सत्तर के दशक के मध्य से, मुख्य हीरोइन के रूप में वहीदा का करियर समाप्त हो गया और चरित्र अभिनेत्री के रूप में उनका करियर शुरू हुआ। लम्हे (1991) में अपनी उपस्थिति के बाद, उन्होंने 12 साल के लिए फिल्म उद्योग से संन्यास ले लिया।

प्रमुख फिल्में

वर्षफ़िल्मचरित्रटिप्पणी
2006रंग दे बसंतीअजय की माँ
200515 पार्क एवेन्यूअंग्रेजी फ़िल्म
2005मैंने गाँधी को नहीं मारा
2002ओम जय जगदीशसरस्वती बत्रा
1991स्वयं
1991लम्हे
1989चाँदनी
1986सिंहासन
1986अल्ला रक्ख़ावकील सलमा अनवर
1984सनीगायत्री
1984मकसदशारदा
1984मशालसुधा कुमार
1983कुलीसलमा
1983महानजानकी
1983प्यासी आँखें
1983हिम्मतवाला
1982धर्म काँटाराधा सिंह
1982सवालअंजू मेहता
1982नमकीन
1982नमक हलाल
1980ज्वालामुखीसविता देवी
1980ज्योति बने ज्वालामाल्ती
1978त्रिशूलशांति
1976कभी कभीअंजली मल्होत्रा
1976अदालत
1973फागुन
1972सुबह ओ श्याम
1972ज़िन्दगी ज़िन्दगीमीता शर्मा
1971मन मन्दिरकृष्णा
1971रेशमा और शेरारेशमा
1970दर्पणमाधवी
1970प्रेम पुजारीसुमन मेहरा
1969मेरी भाभीमाया
1968नीलकमलनीलकमल / सीता
1968आदमीमीना
1967पत्थर के सनम
1967राम और श्यामअंजना
1966तीसरी कसम
1965गाइडनलिनी
1964कोहरा
1963एक दिल सौ अफ़सानेसुनीता
1963मुझे जीने दो
1962बात एक रात की
1962बीस साल बादराधा
1962अभियानबंगाली फ़िल्म
1962साहिब बीबी और ग़ुलाम
1962राखीराधा कुमार
1961रूप की रानी चोरों का राजारूपा
1960चौदहवीं का चाँद
1960काला बाज़ारअल्का
1960एक फूल चार काँटेसुषमा
1960गर्ल फ्रैंड
1959कागज़ के फूलशांति
1958सोलवाँ साललाज
1957प्यासागुलाबो

नामांकन और पुरस्कार

सन्दर्भ

  1. Rachana Dubey (2014-05-15). "Waheeda Rehman's date issues". द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया. मूल से 14 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 January 2015.
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 4 अक्तूबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 अक्तूबर 2015.
  3. "संग्रहीत प्रति". मूल से 5 अक्तूबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 अक्तूबर 2015.
  4. सोनी, प्रीति. "अभिनय की बुलंदियों पर रहीं ये 15 महिलाएं, आज भी करती हैं लोगों के दिलों पर राज". वेबदुनिया. मूल से 24 मार्च 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 मार्च 2019.
  5. "Bdy Spcl: इस फिल्म के बाद कभी गुरु दत्त से नहीं मिली थीं वहीदा रहमान, एक्टर ने कर ली थी सुसाइड". अमर उजाला. अभिगमन तिथि 24 मार्च 2019.[मृत कड़ियाँ]
  6. "81 साल की उम्र में भी बेहद चार्मिंग दिखती हैं वहीदा रहमान, देखें लेटेस्ट तस्वीरें". दैनिक जागरण. मूल से 24 मार्च 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 मार्च 2019.

बाहरी कड़ियाँ

वर्ष 2021का दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया