वर्षण
वर्षण या अवक्षेपण एक मौसम विज्ञान की प्रचलित शब्दावली है जो वायुमण्डलीय जल के संघनित होकर किसी भी रूप में पृथ्वी की सतह पर वापस आने को कहते हैं। वर्षण के कई रूप हो सकते हैं जैसे वर्षा, फुहार, हिमवर्षा, हिमपात और ओलावृष्टि इत्यादि।[2] अतः वर्षा वर्षण का एक रूप या प्रकार है।
वर्षण का महत्व जलविज्ञान में भी है क्योंकि किसी भी जलसम्भर का जल बजट तय करने में इसकी प्रमुख भूमिका होती है।[3]
ऊपर उठती गर्म एवं आर्द्र वायु के संतृप्त होने तथा ओसांक की प्राप्ति के बाद संघनन होने पर वायुमंडलीय जलवाष्प के या तो तरल रूप (ओस, जलवर्षा) या ठोस रूप (हिमपात) में नीचे गिरने को वर्षण कहते हैं।
सन्दर्भ
- ↑ Karger, Dirk Nikolaus; एवं अन्य (2016-07-01). "Climatologies at high resolution for the Earth land surface areas". Scientific Data. 4: 170122. arXiv:1607.00217. PMID 28872642. डीओआइ:10.1038/sdata.2017.122. पी॰एम॰सी॰ 5584396. बिबकोड:2016arXiv160700217N.
- ↑ वर्षण या अवक्षेपण[मृत कड़ियाँ] (इण्डिया वाटर पोर्टल से)।
- ↑ टोड, डी के - ग्राउण्डवाटर हाइड्रोलोजी, जॉन वाइली प्रकाशन।