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वर्जना

वर्जना या टाबू किसी ऐसे व्यवहार या कार्य पर लगे प्रतिबंध को कहते हैं जिसे साधारण व्यक्ति के लिये या तो अधिक पवित्र या फिर शापित समझा जाये। इन कार्यों के बारे में मान्यता होती है कि इन्हें करना व्यक्ति को अलौकिक दंड का पात्र बनाता है। इस तरह की रोक प्राय: हर समुदाय में उपस्थित है। सामाजिक विज्ञान में वर्जना शब्द का प्रयोग कुछ हद तक उन मानव गतिविधियों या प्रथाओं का निषेध है जिन्हें नैतिक अथवा धार्मिक मान्यताओं के आधार पर पवित्र अथवा निषिद्ध माना जाता है। "वर्जना भंग" को आमतौर पर किसी भी संस्कृति में आपत्तिजनक माना जाता है। क्योंकि संस्कृति में हमने देखा कि कई ऐसे भी कार्य होते हैं जो समाज के लोगों को कार्य करना अनिवार्य होता है जिसमें हम सभ्यता से उधर पाकर हम सीखते हैं कि हमारी समाज का यह कार्य करना अति आवश्यक है तथा उस में रहते हुए हम उन की मर्यादा उनके कामकाज का पालना करना अनिवार्य माना जाता है सोशल विभाग सोशल मीडिया पर एक किसी घटना के तहत किसी आम इंसान को समाज से परे करने के लिए वर्जना साबित पर्याप्त होता है डॉक्टर रमेश चौधरी बाड़मेर के अनुसार जो व्यक्ति समाज के साथ समन्वय नहीं उठा पाता है समाज के कार्यों को पूर्ण कर नहीं पाता है तो वहां वर्जना का शिकार हो जाता है क्योंकि समाज गांव देश एक संविदा पर कार्य करने वाला माना जाता है और जिसमें उस का हनन तथा उसका शोषण होता है।[1]

टाबू शब्द की उत्पत्ति

टोंगाई भाषा में "टापू" (tapu) शब्द है, जिसका अर्थ प्रशांत महासागर के सामाजों में धार्मिक व सामाजिक मान्यता में वर्जित चीज़ों से सम्बन्धित है। यह शब्द अब विश्व की लगभग सभी भाषाओं में प्रवेश कर चुका है।

उदाहरण

कुछ व्यवहार क़रीब-क़रीब सभी समाजों में टाबू माने जाते हैं। मसलन बहन व भाई का विवाह करना या मानव-माँस खाना लगभग सभी मनुष्य समाजों में वर्जित हैं। तथा यह सामाजिक असला होने के साथ-साथ एक व्यावहारिक तौर पर भी मनुष्य की भावनाओं तथा उसके गुणों उसके व्यवहार और उसकी सभ्यता संस्कृति का भी ज्ञान करवाता है तथा इस रचना के अंतर्गत हमने देखा कि प्रत्येक समाज के अंदर फैली प्रांतीय जिससे हम एक परिक्षेपण मानते हुए इस समाज की कसौटी को एक धारणा के रूप में लेकर स्वयं को नहीं पहचान पाते हैं तथा कई सामाजिक तथ्यों में हमने देखा महिलाएं तथा बच्चों के साथ दुर्व्यवहार होता है जिससे उनका मनोबल तथा स्वतंत्रता का अनुभव नहीं हो पाता है तथा स्वयं को घुटन महसूस करते हैं और समाज में कई ऐसी भी बुरा है जो व्यक्ति को बाधित करती हैं कि समाज का नागरिक होने के नाते उसे यह काम करना होगा और समाज की अवधारणा 1 वर्ष के रूप में पेश आती है और वजह से कई महिलाओं की मौत से कई बच्चों को मजदूरी पर जाना और कई प्रकार के होते हैं जिसमें बाल विवाह प्रथा प्रदा जैसी समस्याओं का उद्गम हुआ है।

सन्दर्भ

  1. Merriam-Webster's Online Dictionary, 11th Edition. "Taboo Archived 2016-03-30 at the वेबैक मशीन."