वराह उपनिषद
वराह उपनिषद् एक गौण उपनिषद है जिसकी रचना १३वीं और १६वीं शताब्दी के मध्य हुए होने का अनुमान है। यह कृष्ण यजुर्वेद के ३२ उपनिषदों में से एक तथा २० योग उपनिषदों में से एक है।
वराह उपनिषद में पाँच अध्याय हैं जो वराह अवतार में विष्णु तथा ऋषि ऋभु के बीच सम्वाद के रूप में है। इसमें 'तत्त्व', आत्मा, ब्रह्म, शिक्षा के ७ चरण, जीवन्मुक्ति, तथा चार प्रकार के जीवन्मुक्त मनुष्य पर चर्चा है। अन्तिम अध्याय योग से सम्बन्धित है।