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लिग्नाइट

लिग्नाइट और लिग्नाइट ब्रिक़्वेट

लिग्नाइट (Lignite) निकृष्ट वर्ग का पत्थर कोयला है। इसका रंग कत्थई या काला-भूरा होता है तथा आपेक्षिक घनत्व भी पत्थर कोयला से कम होता है। यह वानस्पतिक ऊतक (plant tissue) के रूपांतरण की प्रारंभिक अवस्था को प्रदर्शित करता है।

लाखों वर्ष पूर्व वानस्पतिक विकास की दर संभवत: अधिक द्रुत थी। वानस्पतिक पदार्थों का संचयन तथा उनके जीवरसायनिक क्षय (biochemical decay) से पीट (peat) की रचना हुई, जो गलित काष्ठ (rotten wood) की भाँति होता है। यह प्रथम अवस्था थी। संभवत: द्वितीय अवस्था में मिट्टियों आदि के, जो युगों तक पीट के ऊपर अवसादित होती रहीं, दबाव ने जीवाणुओं की क्रियाओं को समाप्त कर दिया और पीट के पदार्थ को अधिक सघन तथा जलरहित एक लिग्नाइट में परिवर्तित कर दिया। जब लिग्नाइट पर अधिक दबाव विशेषत: क्षैतिज क्षेप (thrust) और भी बढ़ जाता है, तो लिग्नाइट अधिक सघन हो जाता है तथा इस प्रकार कोयले का जन्म होता है।

विश्व में कोयले का उत्पादन

लिग्नाइट का उत्पादन (मिलियन मेट्रिक टन में)
देश19701980199020002001
 जर्मनी369.300388.000356.500167.700175.400
 सोवियत संघ127.000141.000137.300--
 रूस---86.40083.200
 संयुक्त राज्य5.40042.30082.60083.50080.500
 ऑस्ट्रेलिया24.20032.90046.00065.00067.800
 यूनान8.10023.20051.70063.30067.000
 भारतn.a.n.a.n.a.21.1[1]24.8[2]
 पोलैण्ड32.80036.90067.60061.30059.500
 तुर्की4.40015.00043.80063.00057.200
 चेकोस्लोवाकिया67.00087.00071.000--
 चेक गणराज्य---50.10050.700
 चीन13.00022.00038.00040.00047.000
 यूगोस्लाविया26.00043.00060.000--
 सर्बिया---35.50035.500
 रोमानिया14.10027.10033.50017.90029.800
 उत्तरी कोरिया5.70010.00010.00026.00026.500
Total804.0001,028.0001,214.000877.400894.800

भारत में लिग्नाइट के प्राप्ति स्थान

गुडलूर (Cuddalore) तथा पांडिचेरी क्षेत्र (मद्रास) - पांडिचेरी तथा गूडलूर के बीच स्थित तटीय समतलों में लिग्नाइट मिला है, जिसका अन्वेषण सन् 1884 में ही हो चुका था।

दक्षिण आर्काडु क्षेत्र - सन् 1930 में भूमिज्ञानियों का ध्यान नेवेली के लिग्नाइट की ओर गया। सन् 1943-46 के मध्य भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने इस क्षेत्र में अनेक वेधन किए, जिनसे लगभग 23 वर्ग मील के क्षेत्र में लिग्नाइट के अस्तित्व की पुष्टि हुई। तत्कालीन मद्रास प्रदेश में ईंधन तथा शक्ति के अभाव के कारण मद्रास की राज्य सरकार का ध्यान लिग्नाइट के विकास की ओर गया। सन् 1949-51 के मध्य और भी अनेक वेधन किए गए, जिनसे अनुमान लगा कि इस क्षेत्र में लिग्नाइट की मात्रा लगभग 200 करोड़ टन है तथा क्षेत्र का विस्तार लगभग 100 वर्ग मील में है। इस क्षेत्र के लगभग केंद्र में साढ़े पाँच वर्ग मील का क्षेत्र मिला है। यहाँ 20 करोड़ टन के लगभग लिग्नाइट के खनन योग्य निक्षेप प्राप्त हुए हैं जिनपर अत्यंत सुगमता एवं पूर्ण आर्थिक तथा औद्योगिक दृष्टि से कार्य किया जा सकता है। लिग्नाइट स्तर की औसत मोटाई 55 फुट है, जो 180 फुट की गहराई पर स्थित है।

नेवेली लिग्नाइट योजना - सन् 1955 में इस योजना को पूर्ण रूपेण नवीन रूप दिया गया और केंद्रीय सरकार ने योजना के आर्थिक उत्तरदायित्व को अपने ऊपर ले लिया। मेसर्स पॉवेल डफरिन टेकनिकल सर्विसेज़ लिमिटेड से भारत सरकार ने नेवेली समायोजना के लिए अनेक सेवाएँ प्राप्त की। इस योजना के अंतर्गत प्रति वर्ष 35 लाख टन लिग्नाइट का खनन किया जाएगा। लगभग टन कच्चे लिग्नाइट का तापीय मूल्य एक टन उत्तम कोयले के समान होता है। इस प्रकार नेवेली के वार्षिक उत्पादन का लक्ष्य 14 लाख टन उत्तम कोयले के समान होगा। 35 लाख वार्षिक उत्पादन की दर के अनुसार इस क्षेत्र का संपूर्ण लिग्नाइट 57 वर्ष में समाप्त हो जाएगा। अनेक और भी निक्षेप आर्थिक एवं वाणिज्य स्तर पर शोषित किए जा सकेंगे, ऐसी संभावना है। ढाई लाख किलोवाट प्रतिस्थापित क्षमता (installed capicity) का एक तापीय शक्ति स्टेशन भी यहाँ स्थापित किया गया है, जिसके साथ एक "पश्च निपीट टरबाइन संयंत्र" (back pressure turbine plant) का भी प्रतिस्थापन किया गया।

पलाना क्षेत्र बीकानेर (राजस्थान) - एक गहरे कत्थई वर्ण का रेज़िनी (resinous), काष्ठीय तथा पीटीय (peaty) लिग्नाइट बीकानेर के पलाना नामक स्थान में सन् 1896 में ही पाया जा चुका था। पलाना के पश्चिम में लगभग 20 मील की दूरी पर मघ नामक स्थान पर 100 फुट की गहराई में लिग्नाइट प्राप्त हुआ है। चनेरी के समीप तल से 180 फुट की गहराई पर एक अन्य स्तर पाया गया है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि बीकानेर के लिग्नाइट स्रोत भी विचारणीय महत्व के हैं।

शाली गंगा तथा हंडवारा (कश्मीर) - कश्मीर की करेवा संरचनाओं में प्राप्त लिग्नाइट तृतीयक युग का है। रायथान तथा लन्यालान वेसिन के शाली गंगा क्षेत्र में लिग्नाइट की चालीस लाख टन मात्रा विद्यमान है। हंडवारा क्षेत्र में 3.2 करोड़ टन लिग्नाइट है, जिस पर सुगमता से कार्य किया जा सकता है। काश्मीर घाटी स्थित करेवा वेसिन के दक्षिण-पश्चिमी भाग में भी लिग्नाइट प्राप्त होने के संकेत मिले हैं। यह निम्न कोटि का लिग्नाइट है तथा अपेक्षाकृत अशुद्ध ईंधन है, जिसमें औसतन 15% आर्द्रता, 28% वाष्पशील पदार्थ (volatile matter), 27% कार्बन तथा 30% राख होती है।

बाहरी कडियाँ

सन्दर्भ

  1. "Statewise Production of Coal and Lignite" (अंग्रेज़ी में). http://infochangeindia.org/. मूल से 8 दिसंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2015-12-22. |publisher= में बाहरी कड़ी (मदद)
  2. "India - Coal - Production of Lignite Coal" (अंग्रेज़ी में). World Data Atlas http://knoema.com/. मूल से 23 दिसंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2015-12-22. |publisher= में बाहरी कड़ी (मदद)