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रोमा (लोग)

रोमा लोगों का ध्वज

रोमा एक मानव-समुदाय है जो यूरोप के विभिन्न भागों में पाये जाते हैं किन्तु इनका मूल दक्षिण एशिया (भारत) है। इन्हें रोमानी भी कहते हैं। रोमानी लोग विश्व के भिन्न-भिन्न भागों में बिखरे हुए हैं किन्तु अधिकांश यूरोप में हैं (और यूरोप में भी मध्य व पूर्वी यूरोप में अधिक हैं)। रोमा लोगों की भाषा रोमानी (भाषा) कहलाती है जिसकी अनेक बोलियाँ हैं। इसके बोलने वालों की संख्या कोई २० लाख है जबकि रोमा लोगों की कुल संख्या ४० लाख के उपर है।

परिचय

एक रोमा परिवार और उसका घर
यूरोप के विभिन्न देशों में औसत अनुमानित रोमानी जनसंख्या
रोमा लोगों का प्रव्रजन

रोमा यूरोप का सबसे गरीब और बदहाल अल्पसंख्यक समुदाय है। घुमक्कड़ होने के कारण रोमा को 'जिप्सी' भी कहा जाता है। मुख्यत: पूर्वी यूरोपीय देशों में बसने वाले रोमाओं की कुल संख्या करीब डेढ़ करोड़ है। फ्रांस ने पिछले कुछ हफ्तों के दौरान हजारों रोमाओं को बुल्गारिया और रोमानिया खदेड़ दिया। राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी का यह निर्णय यूरोप की राजनीति में गरमागरम बहस का मुद्दा बन गया है। इटली भी ऐसा ही करने जा रहा है। रोमा समुदाय का भारत से गहरा जुड़ाव है। रोमा भाषा अन्य भारतीय भाषाओं से मिलती-जुलती है। यह तथ्य भी अब स्वीकार कर लिया गया है कि रोमा लोग जाट किसान थे जो करीब एक हजार साल पहले उत्तर भारत से यूरोप की ओर पलायन कर गए। बाद में ये बाइजेंटाइन साम्राज्य का हिस्सा बन गए। इतिहासकार यह मानते है कि जाट और बंजारा लोगों को हजारो की संख्या में महमूद गजनी द्वारा गुलाम बनाकर अफगानिस्तान ले जाया गया था। 15वीं शताब्दी के आस-पास वे आजाद होकर यूरोप चले गए थे।

भारत छोड़ने के बाद रोमा जहाँ भी गए, उन्हे वहाँ की स्थानीय बोली सीखनी पड़ी। शायद इसलिए उनकी भाषा और व्याकरण काफी बदल गई, लेकिन सैकड़ों साल पश्चिम एशिया और यूरोप में भटकने के बावजूद रोमा भाषा आज भी पश्चिम भारतीय बोलियों-राजस्थानी, पंजाबी और गुजराती के बहुत करीब है। रोमा समुदाय यूरोप के कई देशों में बिखरा हुआ है। यूरोप में रोमा-विरोधी अभियानों का लंबा इतिहास रहा है। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान नाजीपरस्त फ्रांसीसी सरकार ने भी रोमा समुदाय के हजारों लोगों को जर्मनी खदेड़ दिया था। नाजियों ने भी रोमा समुदाय पर भयंकर अत्याचार किए थे। सरकोजी ने फ्रांस के इस दागदार अतीत में एक नई कड़ी जोड़ दी है। इसे आश्चर्यजनक कहा जाए या शर्मनाक कि यूरोप के वे देश जो खुद को लोकतंत्र और मानवाधिकार का मसीहा मानते है, आज उन निर्दोष और निर्धन लोगों के समूह को बेवजह दंडित करने की कोशिश करने में जुटे है जिनका कोई अपना ठौर-ठिकाना नहीं है। 16 सितंबर को ब्रुसेल्स में यूरोपीय संघ की एक शिखर बैठक में तमाम आलोचनाओं को खारिज करते हुए सरकोजी ने जोर देकर कहा था कि जिप्सियों या रोमा लोगों को खदेड़ना सुरक्षा की दृष्टि से आवश्यक है और इस बारे में फ्रांस को किसी की नसीहत की जरूरत नहीं है। उन्होंने उखाड़े गए सौ रोमा शिविरों को आतंक, अपराध और वेश्यावृत्ति का अड्डा करार देते हुए कहा कि 'हम आगे भी इन अवैध शिविरों को नष्ट करते रहेगे।' सरकोजी ने अपने दावे की पुष्टि में अभी तक कोई ठोस आकड़े पेश नहीं किए हैं। यदि रोमा अपराध में लिप्त है भी तो उन्हे कानून सम्मत सजा मिलनी चाहिए। सामूहिक दंड देने का तालिबानी तरीका फ्रांस ने कैसे अपना लिया? ऐसा नहीं है कि फ्रास में सरकोजी के इस कदम का विरोध नहीं हुआ। पिछले दिनों पचास हजार फ्रांसिसियों ने पेरिस व अन्य शहरों में रोमा लोगों से हो रहे भेदभाव के खिलाफ प्रदर्शन किया। यूरोपीय संघ ने भी फ्रास पर आरोप लगाया है कि अवैध आव्रजकों के शिविरों को उखाड़ने के नाम पर वह यूरोप में नस्लवाद को बढ़ावा दे रहा है। वास्तविकता तो यह है कि सरकोजी की लोकप्रियता लगातार घट रही है और रोमा मुद्दे को राजनीतिक स्वार्थो के लिए भुनाकर वे घरेलू राजनीति में फिर से अपनी पकड़ मजबूत करना चाहते है। इदिरा गांधी द्वारा 1983 में रोमा महोत्सव में कही गई बात को यहा दोहराना प्रासंगिक होगा कि 'रोमा लोगों का इतिहास विपत्ति और वेदना का इतिहास है, लेकिन नियति के थपेड़ों पर मानवीय उत्साह की जीत का भी इतिहास है।' उम्मीद करनी चाहिए कि अक्टूबर में जब यूरोपीय संघ रोमा समुदाय को यूरोप में आत्मसात करने पर चर्चा करेगा तो इदिरा गांधी के इन शब्दों को याद रखा जाएगा।

विभिन्न देशों में रोमा लोगों की संख्या

विभिन्न देशों में रोमा लोगों की संख्या
Pays आधिकारिक स्रोत अन्य स्रोत
जनसंख्याप्रतिशतजनसंख्याप्रतिशत
जर्मनी70,0000,09 %
बुल्गारिया3,25,3434,9 %
स्पेन6,00,0001,62 %
फ्रांस20,000[1]0,03 %3,50,000 - 13,00,0000,5 - 1,2 %
ग्रीस2,00,000[2]1,82 %
हंगरी3,08,9573,6 %600 000 - 800 0006 - 8 %
इटली1,30,0000,22 %
कोसोवो35,7842,1 %
मेसिडोनिया53,8792,66 %
रोमानिया6,19,0073,25 %20,00,0009,8 %
यूके90,0000,15 %
रूस2,05,0070,15 %
सर्बिया1,47,6042,05 %
स्लोवाकिया1,05,7382,0 %
तुर्की5,00,0000,72 %

सन्दर्भ

  1. Nombre de Roms vivant dans des bidonvilles en 2012 selon le Ministère de l'Intérieur (cité par l'article d'Angela Bolis et Jules Bonnard « Où en est-on de l'hébergement des Roms en France ? Archived 2014-07-27 at the वेबैक मशीन », publié dans Le Monde, le 15 mai 2013).
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 14 सितंबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 अक्तूबर 2014.

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

अशासकीय संगठन

संग्रहालय एवं पुस्तकालय