रॉल प्रमेय
कलन विधियों में रॉल प्रमेय अथवा रोल का प्रमेय (Rolle's theorem) के अनुसार यदि किसी अवकलनीय फलन का मान दो अलग-अलग बिन्दुओं पर समान है तो आवश्यक रूप से उन दोनो बिन्दुओं के मध्य कम से कम एक बिन्दु ऐसा होगा जिसका अवकलज (फलन के ग्राफ में स्पर्शज्या का ढाल) शून्य अर्थात (०) होगा। रॉल का प्रमेय, माध्यमान प्रमेय (mean value theorem) का एक विशिष्ट रूप है। रॉल के प्रमेय का उपयोग मध्यमान प्रमेय को सिद्ध करने के लिये किया जाता है। टेलर के प्रमेय को सिद्ध करने का आधार भी यही प्रमेय है।
प्रमेय का गणितीय रूप
वास्तविक मान वाला फलन f इस प्रकार परिभाषित है कि यह बन्द अन्तराल [a,b] में सतत है, खुले अन्तराल (a,b) में अवकलनीय है और f(a) = f(b) तब ∃ c ∈ (a,b), इस प्रकार होगा की
सन्दर्भ
इन्हें भी देखें
- माध्यमान प्रमेय (मीन वैल्यू थिअरम)
- मध्यवर्ती मान प्रमेय (Intermediate value theorem)
- उच्चिष्ट और निम्निष्ट (मैक्सिमा ऐण्ड मिनिमा)