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रेमिंगटन (हिन्दी कुञ्जीपटल)

रेमिंगटन (Remington) एक टच टाइपिंग प्रणाली है। यह हिन्दी टाइपिंग की सबसे पुरानी विधि है। इसके लिए पहले से टाइपराइटर पर हिन्दी टाइपिंग सीखी होनी चाहिए। कंप्यूटर पर इस प्रणाली से टाइपिंग सीखना मुश्किल कार्य है। यह सिर्फ उनके लिए उपयोगी है जिन्होंने पहले से टाइपराइटर पर हिन्दी टाइपिंग सीखी हो तथा इसके अभ्यस्त हों। हाँ यदि आप पहले से रेमिंगटन टाइपिंग जानते हों तब यह आपके लिए एकदम सही है। यह विधि अब काफी हद तक समयातीत (आउटडेटेड) हो चुकी है तथा नए सिरे से हिन्दी टाइपिंग सीखने वालों के लिए उपयोगी नहीं है। आजकल इसका प्रयोग मुख्य रूप से नॉन-यूनिकोड ग्राफिक्स तथा डीटीपी (डेस्कटॉप पब्लिशिंग) प्रोग्रामों में किया जाता है। कृतिदेव एक प्रसिद्ध तथा प्रचलित रेमिंगटन फॉण्ट है।

रेमिंगटन की टंकण शैली

रेमिंगटन की टंकण शैली इस प्रकार से होती हैः— जैसे की आपको ‘‘कविता’’ लिखना है तो टंकण क्रम इस प्रकार से होगाः— क + ि + व + त + ा = कविता

इसी प्रकारः—

क + ा + य + र् = कार्य

क + फ + ़ + ् + य + ू + र् = कर्फ़्यू

स् + प + ा + े + ट + ् + र् + स = स्पोर्ट्स

ब + ि + ढ + ़ + य + ा = बढ़िया

ॐ ञ प्रशनवाचक चिन्‍ह और बहुत सारे शब्‍द है उन स्‍पेशल सिंबल को कैसे लिखें।

उबुन्टू और रेमिंगटन विधि

तात्काल में उबुन्टू पर उपलब्ध रेमिंगटन लेखन विधि में कई प्रकार की समस्याऐं आती हैं। उदाहरण के तौर पर जब आप इस लेखन विधि के साथ मात्रायें लगाते हो तब मात्रा अलग-थलग दिखाईं पड़ती हैं। इसके अलावा जब आप कोई हलन्त के साथ वाला कोई शब्द जैसे 'श्', 'थ्', 'ध्', 'ध्', 'भ्', ज्ं आदि लिखते हो तो 'अ' या 'ा' की मात्रा उसका हलन्त नहीं मिटाती जो अंत तक बरकरार रहता है, अगर आप उसे अलग से न मिटाओ। पारम्परिक विधि, जिसका प्रयोग कृतिदेव लेखन विधि के रूप में Microsoft Word में होता है, उसमें ऐसी कोई कमी नहीं है पर वो यूनीकोड विधि न होने के कारण Microsoft Word के बाहर कहीं भी समर्थित नहीं होती।

समाधान

रेमिंगटन विधि की इस कमी को दूर करने के लिये शिव शंकर गुप्ता" ने नई रेमिंगटन विधि "क्लासिक-रेमिंगटन" विधि का आविष्कार किया।

इन्हें भी देखें

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