रुहेलखंड व कुमाऊँ रेलवे
उद्योग | रेलवे |
---|---|
स्थापित | 1882 |
समाप्त | 1 जनवरी 1943 |
उत्तराधिकारी | अवध व तिरहुत रेलवे |
मुख्यालय | |
सेवा क्षेत्र | उत्तरी भारत |
सेवाएँ | रेल परिवहन |
रुहेलखंड व कुमाऊँ रेलवे (R&KR) भारत में मीटरगेज की रेलवे कंपनी थी, जिसका नेटवर्क 953 किलोमीटर था। [1] 1 जनवरी 1943 को इसे भारत सरकार को हस्तांतरित कर दिया गया और इसका विलय अवध व तिरहुत रेलवे में हो गया।
इतिहास
वर्ष 1884 में बरेली के पास स्थित भोजीपुरा से एक लाइन काठगोदाम तक बनाई गई। फिर इसके बाद रेलवे लाइनें बढ़ती चली गईं और 1912 तक इसका नेटवर्क 256 मील (412 किमी) तक फैल गया। इसने 296 मील (476 किमी) लंबी लखनऊ-बरेली स्टेट रेलवे का भी कार्य किया।[1]
यह एक कंपनी थी और इसकी स्थापना 1882 में हुई थी। 1883 में एलेक्जेंडर आइजैट को इसका डायरेक्टर नियुक्त किया गया। इससे पहले आइजैट पी.डब्लू.डी. में कार्यरत थे और उन्होंने भारत के अनेक भागों में काम किया और उन्हें मीटरगेज लाइनों का भी अनुभव था।[2] उन्होंने इंडियन रेलवे कान्फ्रेंस एसोशियेशन में इस रेलवे कंपनी का प्रतिनिधित्व किया और 1904 में अपने रिटायरमेंट तक डायरेक्टर ही बने रहे। 1918 में उन्हें लंदन स्थित हेडक्वार्टर में चेयरमैन बना दिया गया।[3]
रुहेलखंड व कुमाऊँ रेलवे 1943 में राष्ट्रीयकृत हुई और इसका विलय बंगाल व नॉर्थ-वेस्टर्न रेलवे, लखनऊ-बरेली स्टेट रेलवे के साथ अवध व तिरहुत रेलवे में कर दिया गया। 1952 में अवध व तिरहुत रेलवे भारतीय रेलवे में पूर्वोत्तर रेलवे का एक हिस्सा बन गया।
रुहेलखंड व कुमाऊँ रेलवे के लखनऊ-बरेली स्टेट रेलवे (मीटरगेज) और पोवायाँ लाइट रेलवे (नैरोगेज) के साथ कुछ अनुबंध थे। हालाँकि ये तीनों एक-साथ काम करती थीं, लेकिन फिर भी ये अलग-अलग थीं।
संचालित मार्ग
- भोजीपुरा-काठगोदाम मेनलाइन भोजीपुरा (बरेली) से काठगोदाम, 1884; 54 मील (84 किमी)[3]
- कासगंज एक्सटेंशन लाइन बरेली से सोरों, 1885; से कासगंज, 1906; 63 मील (100 किमी)[3]
- रामनगर एक्सटेंशन लाइन मुरादाबाद से रामनगर, 1907-8; 48 मील (76 किमी)[3]
- काशीपुर एक्सटेंशन लाइन लालकुआ से काशीपुर, 1907; 36 मील (57 किमी)[3]
- शाहजहाँपुर एक्सटेंशन लाइन पीलीभीत 1911; से शाहजहाँपुर 1916; 56 मील(89 किमी)[3]
- लखनऊ-बरेली स्टेट रेलवे, 1891 में मीटरगेज की एक रेलवे लाइन लखनऊ और बरेली के बीच बनाई गई। इससे पहले ये दोनों शहर अवध व रुहेलखंड रेलवे की ब्रॉडगेज लाइन से जुड़े हुए थे। [3]
- पोवायाँ लाइट रेलवे, शाहजहाँपुर से पोवायाँ और मैलानी को 2-फीट की नैरोगेज रेलवे लाइन से जोड़ा गया।[3]
- पीलीभीत-सीतापुर रेलवे, 1905-06 में पीलीभीत-बीसलपुर-शाहजहाँपुर-सीतापुर मीटरगेज लाइन का सर्वे हुआ; [4] पीलीभीत-शाजहाँपुर सेक्शन 1911 और 1916 के बीच खोला गया और शाहजहाँपुर-सीतापुर सेक्शन का निर्माण 1916 में शुरू हुआ।
- दुधवा ब्रांच एक्सटेंशन और रामनगर घाट एक्सटेंशन, का प्रस्ताव 1895 में रखा गया।[5]
- पीलीभीत-ब्रह्मदेव ब्रांच, का सर्वेक्षण 1903 में हुआ।[5]
गेज परिवर्तन
इस रेलवे का ब्रॉडगेज में परिवर्तन का कार्य 1990 के दशक में आरंभ हुआ और अभी तक चल रहा है।
सन्दर्भ
- ↑ अ आ Google Books “The Making of India: The Untold Story of British Enterprise” by Kartar Lalvani, page 218 Archived 2017-03-19 at the वेबैक मशीन; Retrieved 8 Dec 2016
- ↑ Grace's Guide "Alexander Izat" Archived 2017-03-19 at the वेबैक मशीन; Retrieved on 18 July 2016
- ↑ अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ "Administration Report on the Railways in India – corrected up to 31st March 1918"; Superintendent of Government Printing, Calcutta; page 196 Archived 2019-05-02 at the वेबैक मशीन; Retrieved 8 Dec 2016
- ↑ “Histories of (Indian)Railway Projects ...up to June 1906” page 42; Retrieved 8 Dec 2016
- ↑ अ आ “Histories of (Indian)Railway Projects ...up to June 1906” page 42; Retrieved 8 December 2016
बाहरी कड़ियाँ
- Rohilkund and Kumaon Railway on FIBIS
- L/AG/46/35 “Records of the India Office relating to the Rohilkund and Kumaon Railway Company; 1882-1931”[1]
- L/F/7/2382-2391 “Collection 380: Rohilkund and Kumaon Railway, date unspecified"[1]
- ↑ अ आ “British Library Archives and Manuscripts Catalogue” - Search Archived 2015-11-22 at the वेबैक मशीन; Retrieved 27 Jan 2016