रुकू
इस्लाम |
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रुकू (इंग्लिश: Ruku) इस्लाम में नमाज़ में झुक कर जो उपासना में पढ़ा और किया जाता है उसे रुकू कहते हैं। क़ुरआन की सूरा के पेराग्राफ को भी रुकू कहते हैं
विवरण: क़ुरआन की 114 सूरा में 540 या 558 रुकू होते हैं, नमाज़ में झुक कर भी उपासना करना अनिवार्य है।[1]
रुकु मेंं क्या करते और पढ़ते हैं?
नमाज़ की हर रकात में घुटनों पर हाथ रख कर झुक कर तीन बार "सुब्ह़ाना रब्बियल अज़ीम"(अनुवाद:पाक है मेरा रब अज़मत वाला)”कहते हैं।
क़ुरआन में रुकु (झुकना)
- और नमाज़ क़ायम करो और ज़कात दो और (मेरे समक्ष) झुकनेवालों के साथ झुको (क़ुरआन 2:43)
- और दीन (धर्म) की दृष्टि से उस व्यक्ति से अच्छा कौन हो सकता है, जिसने अपने आपको अल्लाह के आगे झुका दिया (क़ुरआन 4:125)
- कहो, “मुझे आदेश हुआ है कि सबसे पहले मैं उसके आगे झुक जाऊँ। और (यह कि) तुम बहुदेववादियों में कदापि सम्मिलित न होना।” (क़ुरआन 6:14)
- वे ऐसे हैं, जो तौबा करते हैं, बन्दगी करते है, स्तुति करते हैं, (अल्लाह के मार्ग में) भ्रमण करते हैं, (अल्लाह के आगे) झुकते है, सजदा करते है, भलाई का हुक्म देते है और बुराई से रोकते हैं और अल्लाह की निर्धारित सीमाओं की रक्षा करते हैं -और इन ईमानवालों को शुभ-सूचना दे दो (क़ुरआन 9:112)
- ऐ ईमान लाने वालो! झुको और सजदा करो और अपने रब की बन्दगी करो और भलाई करो, ताकि तुम्हें सफलता प्राप्त हो (क़ुरआन 22:77)
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ "नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ का तरीक़ा". https://islamqa.info.
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में बाहरी कड़ी (मदद)