राष्ट्रीय वाहन सुरक्षा तथा ट्रैकिंग प्रणाली
राष्ट्रीय वाहन सुरक्षा तथा ट्रैकिंग प्रणाली की स्थापना की मंजूरी जनवरी 2014 को भारत सरकार द्वारा दी गई। भारत में सार्वजनिक सड़क परिवहन में महिलाओं तथा लड़कियों की सुरक्षा के लिए निर्भया कोष के अंतर्गत योजना के संचालन का विस्तृत ढांचा तैयार किया जा रहा है। 16 दिसम्बर 2012 को दिल्ली में चलती बस में हुए गैंगरेप जैसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है।
परियोजना
इस प्रस्ताव में राष्ट्रीय स्तर (राष्ट्रीय वाहन सुरक्षा तथा ट्रैकिंग प्रणाली) पर एकीकृत कमान तथा राज्य स्तर पर (शहर कमान तथा नियंत्रण केंद्र) पर एकीकृत कमान बनाना शामिल है ताकि वाहन के स्थान की जीपीएस ट्रैकिंग हो सके, आपातकालीन बटन का उपयोग किया जा सके तथा सार्वजनिक परिवहन वाले वाहनों में घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग की जा सके। पहले चरण में देश के 13 राज्यों के 10 लाख और उससे अधिक आबादी वाले 32 शहरों में यह योजना लागू की जाएगी।
लागत
परियोजना की कुल अनुमानित लागत 1404.68 करोड़ रूपए हैं और इसे 'निर्भय कोष' मद से वित्त मंत्रालय देगा। 10 लाख और उससे अधिक आबादी वाले शहरों में एक बार इस योजना के चालू हो जाने पर देश में सुरक्षित, विश्वसनीय तथा आरामदेह सार्वजनिक यात्री बस सेवा संभव हो सकेगी।
परियोजना का उद्देश्य व संभावित लाभ
सार्वजनिक वाहनों के मार्गों का नक्शा तैयार करने, नियत मार्ग पर वाहन की ट्रैकिंग करने, विजुअल तथा लिखित संकेतों के जरिए नियमों के उल्लंघन को बताने, विजुअल, लिखित तथा ध्वनि संकेतों के जरिए परिवहन तथा पुलिस व्यवस्था को सचेत करने के लिए खतरे का बटन दबाने के मामले में इस योजना का असर पड़ेगा। इसका असर परमिट, पंजीकरण तथा लाइसेंस रद्द करने पर भी होगा ताकि कम समय में संकट में फंसी महिला या लड़की को सुरक्षा उपलब्ध कराई जा सके। सार्वजनिक परिवहन वाहनों में बैठने की व्यवस्था की वीडियो रिकॉर्डिंग को सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया जाएगा। इससे संभावित अपराधों की रोकथाम हो सकेगी। [1]
सन्दर्भ
- ↑ "सार्वजनिक सड़क परिवहन में महिलाओं की सुरक्षा के लिए 'निर्भय कोष' योजना". पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकार. 7 फ़रवरी 2014. मूल से 25 दिसंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 फ़रवरी 2014.