राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान
राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान लखनऊ में स्थित एक संस्थान है। यह सीएसआईआर के अंतर्गत है, एवं आधुनिक जीवविज्ञान एवं टैक्सोनॉमी के क्षेत्रों से जुड़ा है। इसके निदेशक डा• ए• के• शाशने हैं। संस्थान के वैज्ञानिकों ने बोगनवेलिया की एक नयी प्रजाति विकसित की है, जिसका नाम लोस बानोस वैरियेगाता- जयंती रखा है।[1]
यह संस्थान भारत की अग्रणी राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में से एक है जो कि वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली, के अन्तर्गत लखनऊ में कार्यरत है। यह संस्थान 'राष्ट्रीय वनस्पति उद्यान' के रूप में उत्तर प्रदेश सरकार के अंतर्गत कार्यरत था, जिसे 13 अप्रैल, 1953 को वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद् ने अधिग्रहीत कर लिया। उस समय से यह संस्थान वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में परम्परागत अनुसंधान करता आ रहा है।
समय के साथ इसमें नये-नये विषयों पर अनुसंधान कार्य किये गये, जिनमें पर्यावरण संबंधित व आनुवांशिक अध्ययन प्रमुख थे। अनुसंधान के बढ़ते महत्व व बदलते स्वरूप को ध्यान में रखकर 25 अक्टूबर, 1978 को इसका नाम बदलकर 'राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान' किया गया।
वर्तमान में संस्थान के पास लगभग 63 एकड़ भूमि पर वनस्पति उद्यान है जिसमें संस्थान की प्रयोगशालायें स्थापित हैं। इसके अतिरिक्त बंथरा में लगभग 260 एकड़ भूमि अनुसंधान हेतु उपलब्ध है जहाँ पर अनेक प्रयोग किये जा रहे हैं। संस्थान की छवि वर्तमान में एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर के संस्थान के रूप में है जिसके द्वारा प्रतिवर्ष अनेक उत्पाद विकसित किये जा रहे हैं तथा इनको विभिन्न उद्योग घरानों द्वारा व्यावसायिक स्तर पर बनाया जा रहा है। संस्थान द्वारा विकसित विभिन्न पुष्प प्रजातियाँ व गुलाल आज घर-घर में लोकप्रिय हैं।
अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम
संस्थान बहुआयामी होने के कारण विभिन्न समूहों के अंतर्गत कार्य करता है। इन समूहों के कार्य एवं विवरण अधोलिखित हैं :[2]
पौध जैव-विविधता एवं संरक्षण जैविकी
पौधों के विभिन्न समूहों की वाह्य एवं आंतरिक संरचना का अध्ययन जिसमें अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम, पुष्पीय (एन्जियोस्पर्म), शैवाल, ब्रायोफाइट, शैक, टेरिडोफाइट व सायकेड समुदाय सम्मिलित हैं
- सरंक्षण जैविकी
- जनजातीय (लोक) वनस्पति विज्ञान
- बीज विज्ञान
- आण्विक वर्गिकी
- पादपालय राष्ट्रीय सम्पदा
वनस्पति उद्यान एवं पुष्प कृषि
- उद्यान में वृक्ष - 400 प्रजातियाँ, टेरिडोफाइटा - 65 प्रजातियाँ,
संरक्षण गृह में गृह सज्जा में प्रयुक्त होने वाले पौधे - 500 प्रजातियाँ, कैक्टस-350 प्रजातियाँ, पाम-70 प्रजातियाँ, औषधीय पौधे - 300 प्रजातियाँ, साइकेड -45 प्रजातियाँ उपलब्ध हैं
- उद्यान में बोगेनवीलिया 200 प्रजातियाँ, गुलदाऊदी 250 तथा अमरेन्थ (चौलाई) की 250 किस्में जो 20 प्रजातियों के अंतर्गत आती हैं, उपलब्ध हैं
- वनस्पति उद्यान विभाग उद्यमियों हेतु विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षण कराता है। मुख्य विषय निम्न हैं : पुष्प कृषि, पुष्प निर्जलीकरण, भूदृश्यावली निर्माण इत्यादि
- पुष्प प्रदर्शनी व विज्ञान प्रदर्शनियों का आयोजन
- पुष्पीय व गृहसज्जा के पौधों के बीजों एवं पौधों की बिक्री
- विदेशी एवं स्थानीय पौधों का संग्रहण, संरक्षण, अध्ययन एवं सत्यापन
- समाज के विभिन्न वर्गों हेतु पर्यावरण शिक्षा, दृष्टिहीनों व विकलांगों के लिए उद्यान तथा गृहणियों के लिए पोषण उद्यान
- ग्रामीण विकास परियोजना
जैव प्रौद्योगिकी एवं पादप कार्यिकी
- ऊतक संवर्धन, कृत्रिम माध्यम में लाभदायक तथा विलुप्त हो रही प्रजातियों का वर्धी प्रजनन व संरक्षण, मूल संवर्धन, संरचना एवं विकास संबंधित अनुसंधान
- पादप कार्यिकी
आण्विक जीवविज्ञान तथा सूक्ष्म जैविकी
- पारजीनी पौधों का निर्माण
- पौधों से संबंधित आण्विक अध्ययन
- फलों के पकने से संबंधित आण्विक अध्ययन
- विषाणुओं की पहचान, आण्विक अभिलक्षणन तथा विषाणुरोधी पारजीनी पौधों का निर्माण
- रिकाम्बिनेन्ट डी.एन.ए. तकनीक द्वारा फसलों में फेरबदल
- नयी किस्मों का आनुवांशिक अभियांत्रिकी द्वारा उन्नयन जो कि कीटों व रोगों के प्रति प्रतिरोधी हों
- सूक्ष्म जीवियों का निष्कर्षण, सत्यापन व आनुवांशिक उन्नयन
जैव मात्रा जैविकी एवं पर्यावरण विज्ञान
- जैवमात्रा जैविकी व पुनःस्थापन पारिस्थितिकी
- पेट्रोलियम अपशिष्ट का सूक्ष्मजीवों द्वारा विद्यटन
- ग्रीन गैस उत्सर्जन एवं उसका वृक्षों पर प्रभाव
- पारिस्थितिकी विषाणु विज्ञान व जैविक पर्यावरण प्रबंधन
- प्राकृतिक एवं मानव-जनित बंथरा प्रक्षेत्र की जैव विविधता
- जैव उर्वरकों व वृक्षों में प्रयुक्त सूक्ष्मजीवियों के अन्तरंग संबंधों का अध्ययन
- विलुप्त हो रहे वृक्षों का सूक्ष्म प्रवर्धन
- जैविक ईंधन तथा जैव नियन्त्रक
- पर्यावरण लेखा प्रबन्धन
आनुवांशिक, पादप प्रजनन एवं कृषि तकनीक
- अफ़ीम की प्रजातियों का परम्परागत तथा आधुनिक प्रजनन तकनीकों द्वारा निर्माण
- अधिक प्रोटीन वाले अमरेन्थ (चौलाई) तथा अलसी की प्रजातियों का आनुवांशिक उन्नयन विधियों द्वारा विकास
पादप-सूक्ष्म जीवी समन्वयन
- आर्थिक रूप से लाभकारी उत्पादों हेतु सूक्ष्मजीवी सम्पदा का सर्वेक्षण
- पर्यावरण-प्रिय तरीकों से पादप रोगों का नियंत्रण
- समन्वित रोग नियंत्रण
भेषज अभिविज्ञान एवं लोकभेषजगुण विज्ञान
- आयुर्वेदिक व हर्बल औषधियों का मानकीकरण एवं जाँच तथा नये उत्पादों के विकास हेतु अनुसंधान
- हर्बल उत्पादों का छोटे औद्योगिक (पायलट) स्तर पर उत्पादन
पादप रसायन
- वायरस जनित रोगों (एच.आई.वी.) यकृतदोष, डायबिटीज आदि के नियन्त्रण/उपचार हेतु औषधीय पादपों और उनके सक्रिय घटकों का अध्ययन, तकनीकी एवं उत्पाद विकास
- वाष्पीय तेलों, बीज गोंद, रेज़िन, लिपिड, वसा व अन्य तेलों का पोषकता हेतु अध्ययन तथा हर्बल रंगों का सौन्दर्य प्रसाधनों, कपड़ों व खाद्यान्नों हेतु विकास
- पोषधीय रसायन विज्ञान
सहायक कार्यक्रम
आर्थिक वनस्पति विज्ञान सूचना सेवा
- त्रैमासिक संकलन एवं प्रकाशन
- वार्षिक प्रतिवेदन का संकलन एवं प्रकाशन
- अब्सट्रैक्टिंग जरनल का त्रैमासिक संकलन एवं प्रकाशन
- लोकसभा व राज्यसभा के प्रश्नों का स्पष्टीकरण
- तकनीकी सेवायें जैसे-फोटोकापी, कोम्ब बाइंडिंग इत्यादि उपलब्ध कराना
- संस्थान द्वारा प्रकाशित वैज्ञानिक प्रकाशनों का सम्पादन, प्रकाशन तथा बिक्री हेतु प्रबंधन
सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी
- सभी वैज्ञानिक तकनीक व प्रशासनिक विभागों को इन्टरनेट सेवा का प्रबंधन
- संस्थान की वेबसाइट का निर्माण व रख-रखाव
सूचना एवं जन-सम्पर्क विभाग
- सूचना एवं जन-सम्पर्क, प्रेस, मीडिया व अन्तर्राष्ट्रीय समन्वयन
- संस्थान में आयोजित सेमिनार, वर्कशाप, इत्यादि का समन्वयन
व्यापार विकास विभाग
- संस्थान द्वारा विकसित तकनीकों का औद्योगिक उद्यमियों को स्थानान्तरण
- छात्रों को प्रशिक्षण का समन्वयन
- बौद्धिक सम्पदा अधिकारों का समन्वयन
- संस्थान द्वारा विकसित तकनीकी का जन-सम्प्रेषण
ज्ञान संसाधन केन्द्र
- बहुमूल्य पुस्तकों एवं जिल्द बंध जरनल का संकलन (लगभग 56,500)
बंथरा अनुसंधान केन्द्र
ऊसर भूमि के विकास एवं प्रक्षेत्र प्रयोग तथा प्रदर्शन हेतु पाँच केन्द्र
अनुसंधान विकास एवं योजना अनुभाग
- संस्थान की अनुसंधान समिति का संचालन
- विभिन्न वित्त-पोषित परियोजनाओं का समन्वयन
- वित्त पोषण हेतु परियोजना निर्माण में सहायता
प्रभावी अनुसंधान
- संस्थान द्वारा अमरेन्थ, अमैरिलिस, एन्टीराइनम, बागे ने वीलिया, गलु दाउदी, डहलिया, ग्लैडिओलस, गेंदा, गुलाब, रजनीगंधा आदि शोभाकारी पौधों की नई किस्मों का विकास
- नेत्रहीनों तथा बधिरों हेतु उद्यान का विकास
- महिलाओं हेतु पोषण उद्यान का विकास
- भारत के विभिन्न प्रांतों की जैव विविधता का अध्ययन एवं संरक्षण
- जैव विविधता का आण्विक सत्यापन तथा रोग की समयबद्ध सूचना
- पुष्प निर्जलीकरण
- बंथरा अनुसंधान केन्द्र पर प्राकृतिक रंजक, औषधीय तथा सगन्ध पौधों का विकास
- केले व टमाटर की शीघ्र न पकने वाली प्रजातियों का आण्विक तकनीकी द्वारा विकास
- कपास व अन्य फसलों के ट्रांसजीनी पौधों का निर्माण
- वनस्पति जनित इन्जेक्शन
- विश्व प्रसिद्ध पादप संग्रहालय
- अफीम की नयी प्रजातियों का विकास
- अमरेन्थ (चौलाई) की अधिक प्रोटीनयुक्त किस्मों का विकास
- जैव नियंत्रकों का विकास
- हर्बल औषधियों का मानकीकरण एवं विकास
अन्य तकनीकी सेवायें
- पौधों का सत्यापन
- आर्थिक रूप से उत्तम पौधों का उत्पादन एवं विकास
- पौधों में जैव रसायनों का अध्ययन (प्रोटीन, अमीनोअम्ल, सूक्ष्म तत्व इत्यादि)
- हर्बल औषधियों के सत्यापन की सुविधा
- कन्फोकल सूक्ष्मदर्शी
- स्वचलित डी एन ए सीक्वेन्सर
- पर्यावरण सुधार एवं रख-रखाव हेतु महिलाओं व बच्चों हेतु कार्यक्रम
- माइक्रो ऐरे
संस्थान द्वारा विकसित व्यवसायिक प्रौद्योगिकियाँ
- स्वास्थ्य हेतु हर्बल पोषकीय उत्पाद (हर्बल नबीरा-सौफ)
- स्वास्थ्य हेतु ”नबीरा“ (हर्बल बियर का उत्पादन)
- क्रियाशील हर्बल लिपिस्टिक ”लवस्टिक“
- अल्सर नियंत्रक, कफ नियंत्रक व गले को अच्छे लगने वाले हर्बल उत्पाद
- जले व कटे के उपचार हेतु उत्पाद
- सिगरेट मुक्ति हेतु तम्बाकू नाशक हर्बल उत्पाद
- न्यूट्री-जैम
- जैव उर्वरक
- जैव नियंत्रक एवं जैव कीटपीड़क नाशक
- ट्रांसजीनिक बी.टी. कपास
- हर्बल गुलाल
सामाजिक उत्थान हेतु प्रौद्योगिकियाँ
- पुष्प निर्जलीकरण तकनीक
- उच्च-गुणवत्तायुक्त कम लागत नर्सरी प्रौद्योगिकी
- सब्जियों, औषधीय पौधों व अन्य आर्थिक रूप से उत्तम फसलों हेतु आर्गेनिक खेती संबंधित तकनीक
- पुष्पों के उत्पादन संबंधित प्रौद्योगिकी
- अफीम (पॉपी) व रामदाना की अधिक उत्पादन प्राप्त करने वाली किस्मों की कृषि प्रौद्योगिकी
सन्दर्भ
- ↑ "Scientists develop new variety of bougainvillea". मूल से 16 सितंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2008-08-11.
- ↑ "सी एस आई आर- एन बी आर आई" (PDF). मूल (PDF) से 5 अप्रैल 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 फ़रवरी 2016.