राष्ट्रीय राजमार्ग २१९ (चीन)
राष्ट्रीय राजमार्ग २१९, जिसे तिब्बत-शिंजियांग राजमार्ग भी कहा जाता है, चीन द्वारा निर्मित एक राजमार्ग है जो भारत की सीमा के नज़दीक शिंजियांग प्रान्त के कारगिलिक शहर से लेकर तिब्बत के शिगात्से विभाग के ल्हात्से शहर तक जाता है। इसकी कुल लम्बाई २,७४३ किलोमीटर है।[1] इसका निर्माण सन् १९५१ में शुरू किया गया था और यह सड़क १९५७ तक पूरी हो गई।[2][3] यह राजमार्ग भारत के अक्साई चिन इलाक़े से निकलता है जिसपर चीन ने १९५० के दशक में क़ब्ज़ा कर लिया था और जिसको लेकर १९६२ का भारत-चीन युद्ध भी भड़क गया।
इतिहास
१९५४ में चीन ने तिब्बत पर क़ब्ज़ा किया। उस दौरान चीन के विरुद्ध वहाँ विद्रोह भड़कते रहते थे, जिस वजह से चीनी सरकार ने पश्चिमी तिब्बत पहुँचने के लिए एक नए मार्ग को तेज़ी से पूरा करने की ठानी। भारत इस क्षेत्र में सैनिक गश्तें नहीं लगता था क्योंकि उस समय 'हिंदी-चीनी भाई-भाई' के नीति ज़ोरों पर थी। १९५७ में जब सड़क तैयार हो गई तो इस बात की घोषणा एक सरकारी चीनी अख़बार में की गई। चीन में भारत के दूतावास ने इसे देखकर सितम्बर १९५७ में दिल्ली में भारत सरकार को सतर्क किया। उस समय लद्दाख़ में भयंकर सर्दी थी इसलिए जुलाई १९५८ में भारत सरकार ने दो दस्ते सड़क का मुआइना करने भेजे। पहला दस्ता सड़क के दक्षिणी हिस्से को देखकर अक्टूबर १९५८ में वापस पहुंचा और सरकार को ख़बर दी। दूसरा दस्ता सड़क के उत्तरी भाग का मुआइना करने गया लेकिन नहीं लौटा।[4]
विवरण
तिब्बत-शिंजियांग राजमार्ग दुनिया की सबसे ऊँची पक्की सडकों में से है और यह हिन्दुओं द्वारा मान्य कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील के धार्मिक स्थलों के पास से गुज़रती है। (दक्षिण से उत्तर की ओर चलते हुए) सैलानियों के लिए तिब्बत के रुतोग ज़िले के दृश्य दुनिया में अद्वितीय माने जाते हैं। अक्साई चिन के कोने पर चीनी सेना ने दोमर नामक एक खेमों और चूने के मकानों की बस्ती बनाई हुई है जो बहुत ही भीहड़ इलाक़ा है। मज़ार के शहर के पास बहुत से पर्यटक कराकोरम पर्वतों और के२ पर्वत की तरफ निकल जाते हैं। यहाँ यह पांगोंग त्सो झील के पास से भी निकलती है जिसका कुछ भाग भारत के लद्दाख़ ज़िले में आता है।
शिंजियांग प्रांत में दाख़िल होने से पहले तिब्बत का अंतिम पड़ाव त्सेरंग दबंग नामक एक क़स्बा है जो एक ५,०५० मीटर ऊँचे एक पहाड़ी दर्रे में है। यहाँ तिब्बती ख़ानाबदोश अपने यैकों और दो कुब्बे वाले बैक्ट्रीयाई ऊँटों को हांकते हुए नज़र आते हैं। यहाँ पर सड़क पश्चिमी कुनलुन पर्वतों में चढ़ चुकी होती है, जो शिंजियांग और तिब्बत की सीमा पर एक दीवार की तरह खड़े हैं। इन पहाड़ों से उतरते हुए यह राजमार्ग और भी ३,००० से ४,००० मीटर ऊँचे दर्रों से गुज़रता है। आख़री दर्रे से नीचे बहुत दूर टकलामकान रेगिस्तान के ज़बरदस्त दृश्य नज़र आते हैं और सड़क धीरे-धीरे काराकाश नदी की घाटी में उतर जाती है।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ "Xinjiang-Tibet Highway (Yecheng-Burang)". मूल से 28 मई 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 दिसंबर 2011.
- ↑ MemCons of Final sessions with the Chinese Archived 2011-12-16 at the वेबैक मशीन, White House, 1971-08-12
- ↑ 50th anniversary of Xinjiang-Tibet Highway marked Archived 2010-05-28 at the वेबैक मशीन, China Tibet Information Center, 2007-11-01
- ↑ Robert Johnson. "A region in turmoil: South Asian conflicts since 1947". Reaktion Books, 2005. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781861892577.