राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला, भारत
राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला | |
संस्था अवलोकन | |
---|---|
स्थापना | ४ जनवरी १९४७ |
मुख्यालय | नई दिल्ली |
संस्था कार्यपालक | डॉ॰ डी.के. असवाल, कार्यपालक निदेशक |
मातृ संस्था | वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद |
वेबसाइट | |
nplindia.ernet.in |
राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला, भारत में नई दिल्ली में स्थित देश की मापन्मानक प्रयोगशाला है। इसे भारत का राष्ट्रीय मेट्रोलॉजिकल संस्थान (एन.एम.आई.) भी कहा जाता है। ये भारत में एस.आई इकाइयों का अनुरक्षण तथा राष्ट्रीय भार तथा माप के मानकों का अंशांकन (कैलीब्रेशन) करती है। इस प्रयोगशाला की स्थापना वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद के अधीन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु द्वाआ ४ जनवरी, १९४७ को हुई थी। डॉ॰ के एस कृष्णन इस प्रयोगशाला के प्रथम निदेशक थे। प्रयोगशाला का मुख्य भवन औपचारिक तौर पर भारत के उपप्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा २१ जनवरी, १९५० को आरम्भ की गई थी। पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी द्वारा प्रयोगशाला की रजत जयन्ती का उद्घाटन २३ दिसम्बर १९७५ को किया गया था।
लगभग हरेक आधुनिक हुए राष्ट्र में एक राष्ट्रीय मापिकी संस्थान होता है, जो मापन मानक की देखरेख करता है। यूके में नेशनल फिजिकल लैबोरेटरी है। भारत में ये उत्तरदायित्व राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला को मिला हुआ है।
उद्देश्य
प्रयोगशाला का मुख्य उद्देश्य भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के बहुमुखी विकास हेतु भौतिकी आधारित अनुसन्धान एवं विकास को सशक्त और उन्नत बनाना है। इसके विशेष उद्देश्य इस प्रकार हैं-
- लगातार अनुसन्धान द्वारा मापन के राष्ट्रीय मानकों की स्थापना, रख-रखाव तथा सुधार करना और अन्तर्राष्ट्रीय पद्धति पर आधारित मात्रक उपयोग करना ।
- भौतिकी के विभिन्न क्षेत्रों का पता लगाना और उनमें से देश की आवश्यकताओं के अनुसार सबसे उपयुक्त क्षेत्रों का चुनाव करके उनमें अनुसंधान कार्य करना।
- परिशुद्ध मापन, अंशांकन, साधनों और प्रक्रियाओं के विकास तथा भौतिकी सम्बंधी अन्य सम्बद्ध समस्याओं के समाधान द्वारा उद्योगों, राष्ट्रीय तथा अन्य एजेन्सियों के विकासात्मक कार्यों में सहायता करना ।
उपरोक्त उद्देश्यों को साकार करने के लिए प्रयोगशाला के अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम को वर्तमान में तीन मुख्य अनुसंधान केन्द्रों में बांटा गया है ।
- (१) पदार्थ केन्द्र
- (२) रेडियो और वायुमण्डलीय विज्ञान केन्द्र
- (३) मापिकी केन्द्र
इन अनुसन्धान केन्द्रों के अनुसन्धान और विकास गतिविधियों (आर एण्ड डी) को प्रयोगशाला के विभिन्न अनुसन्धान प्रभागों के तहत किया जाता है यथा:-
- ऊर्जा संचयन भौतिकी
- पदार्थ एवं अभियांत्रिकी
- रेडियो एवं वायुमण्डलीय विज्ञान
- समय और आवृत्ति (फ्रीक्वेंसी) मानक
- शीर्षस्तरीय मानक एवं औद्योगिकी मापिकी
- क्वांटम परिघटना एवं अनुप्रयोग
- परिष्कृत और विश्लेषणात्मक उपकरण।
समाज के प्रति एन.एम.आई. का योगदान
इसके द्वारा प्रतिपादित एक महत्त्वपूर्ण अनुसंधान गतिविधि में भारतीय चुनाव में प्रयोग की जाने वाली स्याही के लिये रासायनिक सूत्र ढूंढना है, जिससे कि चुनावों में फर्जी मतदान एवं धोखाधड़ी आदि से बचाव हो सके। ये स्याही मैसूर पेंट्स एण्ड वार्निश वर्क्स लि. द्वारा बनायी जाती है और मतदाताओं की अंगुली पर उन्होंने मत दे दिया है, ये दर्शाने हेतु लगायी जाती है।
एन आई एम की प्रमुख उपलब्धियाँ निम्नलिखित हैं-
2.7 नैनोसेकंड की सटीकता के साथ भारतीय मानक समय (IST)[1]
एन.पी.एल का समय प्राधिकरण सीज़ियम एटॉमिक क्लॉक्स और हाइड्रोजन मेसर पर आधारित है। यहां, घड़ियां इतनी सटीक हैं की लगभग तीन लाख वर्षों में वे एक सेकंड की त्रुटि दिखाती हैं। बी.आई.पी.एम के साथ समय के पैमाने के साथ तालमेल की क्षमता कुछ नैनो-सेकंड के स्तर पर है।
स्ट्रक्चरल टाइल्स में अपशिष्ट प्लास्टिक बैग का रूपांतरण[2]
अजैवनिघ्नीकरणीय अपशिष्ट प्लास्टिक बैग का स्थायित्व इसके निराकरण को कठिन बनाता है। प्लास्टिक के कचरे के निपटान के लिए पारंपरिक उपाय जैसे की जलाने जैसे उपाय जो की पर्यावरण को प्रदूषित करते है, समस्या को हल करने में सक्षम नहीं हैं। इस समस्या के समाधान के लिए, एन.पी.एल ने एक अनोखी तकनीक प्रस्तुत की है, जो प्लास्टिक कचरे को उपयोगी टाइलों में बदल सकती है। यह वास्तव में ‘वेल्थ फ्रॉम वेस्ट ' का एक मजबूत उदाहरण है। ये तकनीक बेहतर संरचनात्मक स्थिरता के साथ मौसम प्रतिरोधी, एसिड प्रूफ जैसी क्षमताऐ प्रदान करती हैं और पर्यावरण को प्लास्टिक डंपिंग से बचाती हैं।
PM2.5 सैंपलर का विकास- वायु प्रदूषण के खिलाफ एक नया गैस मानक[3]
सटीकता दर्शाती है की माप अपने वास्तविक मूल्य के कितने करीब है। वायु प्रदूषक की जाँच करने के लिए सटीक वायु गुणवत्ता माप भी आवश्यक है। इसके लिए, एन.पी.एल ने एक कस्टम एयर सैंपलर बनाया है जो मौजूदा उपकरणों की तुलना में PM2.5 के स्तर को मापने में अधिक सक्षम है।
सर्टिफाइड रेफरन्स मैटेरियल्स का स्वदेशी उत्पादन (भारतीय निर्देशक द्रव्य, ट्रेडमार्क - BNDTM), वाणिज्य मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से[4]
सर्टिफाइड रेफरन्स मैटेरियल्स (सी.आर.एम) गुणवत्ता नियंत्रण की दिशा में सहायक हैं। विश्लेषण के परिणामों को सत्यापित करने के लिए ये महत्वपूर्ण हैं। एन.पी.एल ने 1986 के आसपास सर्टिफाइड इंडियन रेफरन्स मैटेरियल्स कार्यक्रम शुरू किया। इनके सराहनीय प्रयासों से, 31 से अधिक इंडियन सर्टिफाइड रेफरन्स मैटेरियल्स उपयोग के लिए उपलब्ध हैं।
भारत सरकार आयुष, नैनोटेक्नोलाजी, चिकित्सा, खाद्य, कृषि और जीवविज्ञान के क्षेत्र में बी.एन.डी विकसित करने के लिए एन.पी.एल का समर्थन कर रही है।
सन्दर्भ
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 26 सितंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 अप्रैल 2020.
- ↑ https://www.indianbureaucracy.com/nrdc-licensed-csir-npl-developed-technology-on-recycling-of-plastic-waste-into-useful-tiles/
- ↑ https://www.thehindu.com/news/national/new-gas-standards-in-the-works-to-fight-pollution/article21011471.ece
- ↑ https://www.geographyandyou.com/indian-certified-reference-materials-indispensable-for-the-quality-assurance-of-products-and-processes/