राष्ट्रीय नवप्रवर्तन संस्थान
रानप्र- भारत | |
प्रकार: | विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार का स्वायत्तशासी संस्थान |
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स्थापना: | 2000 |
कर्मचारी: | 80 |
पता: | राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान- भारत, ग्रामभारती, नजदीक ग्रामभारती चार रास्ता, अमरापुर, गांधीनगर- महुदी रोड, गांधीनगर गुजरात- 382721 दूरभाष- 02764- 261131/32/38/39 |
ई-मेल: | info@nifindia.org |
वेबसाइट: | https://web.archive.org/web/20170222201340/http://nif.org.in/hindi/ |
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार का स्वायत्तशासी संस्थान
राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान- भारत, भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग का स्वायत्तशासी संस्थान है। इसका मुख्यालय भारत के गुजरात राज्य के गांधीनगर शहर में स्थित है। हनी बी नेटवर्क के दर्शन पर आधारित व संस्थापित राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान-भारत (रानप्र) ने मार्च, 2000 में तृणमूल प्रौद्योगिकीय नवप्रवर्तनों एवं विशिष्ठ पारंपरिक ज्ञान को सशक्त करने की राष्ट्रीय पहल के रूप में कार्य करना आरंभ किया। इसका ध्येय तृणमूल प्रौद्योगिकीय नवप्रवर्तकों के लिए नीतियों के विस्तार और सांस्थानिक फैलाव के जरिए एक सृजनात्मक एवं ज्ञान आधारित समाज बनाने का है। रानप्र तृणमूल नवप्रवर्तकों एवं विशिष्ठ पारम्परिक ज्ञानधारकों को पहचान दिलाने के साथ उन्हें सम्मानित और पुरस्कृत करता है। दस्तावेजीकरण, मूल्य परिवर्धन, बौद्धिक संपदा प्रबंधन के साथ नवप्रवर्तनों के व्यवसायिक व गैरव्यवसायिक प्रसार के जरिए रानप्र भारत को नवप्रवर्तनशील राष्ट्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
परिकल्पना या दृष्टि
भारत को नवप्रवर्तनशील राष्ट्र बनाने के साथ इसके विशिष्ठ पारम्परिक ज्ञान के आधार को आगे बढ़ाना।
ध्येय
रानप्र का ध्येय नवप्रवर्तनशील एवं सृजनशील समाज के जरिए भारत को वहनीय प्रौद्योगिकियों में विश्व में अग्रणी देश के रूप में स्थापित करने का है, जिससे बिना किसी सामाजिक और आर्थिक बाधाओं के नए तृणमूल नवप्रवर्तनों का क्रम विकास और प्रसार होता रहे।
विषय सूची
1 नवप्रवर्तकों को मिल रही पहचान
1.1. राष्ट्रीय द्विवार्षिक प्रतियोगिता
1.2. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम इग्नाइट प्रतियोगिता
2 राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान-भारत की स्थापना
3 शासी मंडल
4 रानप्र की गतिविधियां
4.1. खोज एवं दस्तावेजीकरण
4.2. मूल्य परिवर्धन शोध एवं विकास
4.3. व्यवसाय विकास और सूक्ष्म उद्यम अभिनव कोष
4.4. बौद्धिक संपदा प्रबंधन
4.5. सूचना प्रसार एवं सामाजिक प्रसार
5 नवप्रवर्तन उत्सव
5.1. नवप्रवर्तन उत्सव- 2017
5.2. नवप्रवर्तन उत्सव- 2016
5.3. नवप्रवर्तन उत्सव- 2015
6 नेटवर्क सहयोगी
6.1. हनी बी नेटवर्क
6.2. सृष्टि
6.3. ज्ञान
7 पहल
8 संदर्भ
9 बाहरी कड़ियाँ
10 यह भी देखें
नवप्रवर्तकों को मिल रही पहचान
राष्ट्रीय द्विवार्षिक प्रतियोगिता
राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान-भारत, बुनियादी स्तर पर विकसित हुए गैर-सहायता प्राप्त प्रौद्योगिकीय नवप्रवर्तन और विशिष्ठ पारंपरिक ज्ञान के लिए राष्ट्रीय द्विवार्षिक प्रतियोगिता का आयोजन करता है। इसके तहत तृणमूल नवप्रवर्तकों, विशिष्ठ पारम्परिक ज्ञानधारकों, बच्चों और स्थानीय समुदाय को पहचान दिलाने के साथ उन्हें पुरस्कृत किया जाता है। आठवीं राष्ट्रीय द्विवार्षिक प्रतियोगिता के विजेता नवप्रवर्तकों को माननीय राष्ट्रपति ने 7 मार्च 2015 को नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में पुरस्कत किया था। प्रतियोगिता के बारे में ज्यादा जानकारी sd@nifindia.org पर मेल कर प्राप्त की जा सकती है।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम इग्नाइट प्रतियोगिता
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम इग्नाइट प्रतियोगिता के जरिए रानप्र देश के बच्चों की छिपी हुई रचनात्मकता को बढ़ावा देने के साथ उन्हें किताबों की दुनिया से बाहर सोचने का मौका देता है। नौवें इग्नाइट प्रतियोगिता (2016) तक करीब 1 लाख 54 हजार 389 बच्चे भाग ले चुकें है। इसमें 277 बच्चों को 201 इग्नाइट पुरस्कार दिया गया है। साल 2008 से 2014 तक इग्नाइट पुरस्कार डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा किया गया। साल 2015 में इग्नाइट पुरस्कार माननीय राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा 30 नवंबर को भारतीय प्रबंध संस्थान अहमदाबाद में दिया गया था, जबकि इग्नाइट-2016 के विजेताओं को 7 नवंबर 2016 को माननीय राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में पुरस्कृत किया गया। इग्नाइट पुरस्कार की घोषणा प्रतिवर्ष पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के जन्मदिवस (15 अक्टूबर) के मौके पर की जाती है, जिसे रानप्र बच्चों की रचनात्मकता और नवप्रवर्तन दिवस के रूप में भी मनाता है। डा. एपीजे अब्दुल कलाम इग्नाइट प्रतियोगिता में 17 साल से कम उम्र के (कक्षा 12 तक के सभी छात्र या स्कूल छोड़ चुके) बच्चे भाग ले सकते हैं। प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए अपना आवेदन (मौलिक तकनीकी विचार या नवप्रवर्तन) डाक के जरिए राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान-भारत के पते पर या फिर मेल (ignite@nifindia.org) के जरिए भेज सकते हैं।
रानप्र के कार्य
- खोज एवं दस्तावेजीकरण
- मूल्य परिवर्धन शोध एवं विकास
- व्यवसाय विकास और सूक्ष्म उद्यम अभिनव कोष
- बौद्धिक संपदा प्रबंधन
- सूचना प्रसार एवं सामाजिक प्रसार
गतिविधियां
हनी बी नेटवर्क के स्वयंसेवकों के सहयोग से राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान- भारत, ने देश के करीब 585 जिलों से 225000 विचारों, नवप्रर्वतन और विशिष्ठ पारंपरिक ज्ञान (सभी विशिष्ठ नहीं) का एक वृहद डाटा बेस तैयार किया है। शोध एवं विकास संस्थानों, शैक्षिक संस्थानों, कृषि संस्थानों और पशुचिकित्सा विश्वविद्यालयों के सहयोग से रानप्र ने 1000 से भी अधिक तृणमूल नवप्रवर्तनों के प्रमाणीकरण और मूल्य संर्वधन का कार्य किया है। रानप्र ने तृणमूल प्रौद्योगिकी नवप्रवर्तनों के मूल्य संर्वधन के लिए
मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी बोस्टन) के सहयोग से एक फैब्रिकेशन लैब की स्थापना की है। इसी तरह से रानप्र और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के सहयोग से सृष्टि (सोसाइटी फॉर रिसर्च एंड एनिसिएटिव फॉर संसटेबल टेक्नालॉजी एंड इंस्टीट्यूशन) प्राकृतिक उत्पाद प्रयोगशाला में हर्बल टेक्नोलॉजी का मूल्य संर्वधन किया जाता है।
तृणमूल नवप्रवर्तकों और विशिष्ठ पंरपरागत ज्ञानधारकों की तरफ से रानप्र अब तक करीब 750 से अधिक पेटेंट फाइल कर चुका है, जिसमें आठ यूएस और 27 पेटेंट कॉरपोरेशन ट्रीटी के तहत किए गए हैं। इनमें भारत में 39 और अमेरिका में पांच को स्वीकृति मिल चुकी है। हनी बी की सहभागिता से रानप्र ने अब तक पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (प्लांट वेरायटी एंड फॉमर्स राइटस अथॉरिटी,इंडिया) के तहत देश के किसानों द्वारा तैयार किए गए 38 पादप (फसलों) प्रजातियों के पंजीकरण का आवेदन किया गया है। इसमें पांच पादप प्रजातियों का सफलतापूर्वक पंजीकरण हो चुका है।
राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान-भारत, विभिन्न राष्ट्रीय द्विवार्षिक प्रतियोगिताओं और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम इग्नाइट प्रतियोगिताओं के जरिए अब तक देश के 816 तृणमूल नवप्रवर्तकों और बच्चों को पहचान दिला चुका है।
भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) के सहयोग से सूक्ष्म उद्यम नवप्रवर्तन निधि के माध्यम से अब तक रानप्र ने 193 परियोजनाओं को उसके विभिन्न चरणों में उद्भवन के लिए जोखिम पूंजी उपलब्ध करायी है। इनमें ज्यादातर मामलों में नवप्रवर्तकों द्वारा राशि की पूर्ण वापसी की जा चुकी है। 31 मार्च 2016 तक विश्व के करीब 108 देशों से रानप्र के 950 से अधिक उत्पादों के बारे में जानकारी ली गई है। रानप्र विश्व के सभी छह महाद्वीपों के विभिन्न देशों में अपने उत्पादों का व्यवसायीकरण करने के साथ 89 तकनीकियों का लाइसेंसीकरण भी कर चुका है।
रानप्र ने देशभर में 37 सामुदायिक कार्यशाला तैयार किए हैं और तृणमूल प्रौद्योगिकीय नवप्रवर्तन अधिग्रहण निधि (जीटीआईएफ) के तहत नवप्रवर्तकों के 78 तकनीकियों का अधिकार प्राप्त किया है। रानप्र लोकहित में जिसका प्रसार (बहुत ही कम या फिर निशुल्क) करने के लिए प्रयासरत है। राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान-भारत, के ग्रासरूट टू ग्लोबल परिकल्पना ने तृणमूल नवाचारकों के रचनात्कता के प्रति लोगों के देखने का नजरिया बदल दिया है।
राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान-भारत की स्थापना
राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान- भारत, हनी बी नेटवर्क और सृष्टि (सोसाइटी फॉर रिसर्च एंड एनिसिएटिव फॉर संसस्टेबल टेक्नोलॉजी) के सिद्धांत पर आधारित है। हनी बी नेटवर्क स्वयंसेवकों का एक ऐसा नेटवर्क है, जो विश्व के करीब 75 देशों में टिकाऊ ज्ञान के पारिस्थितिकी तंत्र के विकास के लिए कार्य करता है। सृष्टि एक गैर सरकारी संगठन है, जिसकी संस्थापना 1993 में हनी बी नेटवर्क से जुड़े नवप्रवर्तकों के नवप्रवर्तन और विशिष्ट पारंपरिक ज्ञान के दस्तावेजीकरण में सहायता के लिए की गई। हनी बी नेववर्क और सृष्टि की स्थापना भारतीय प्रबंध संस्थान, अहमदाबाद के प्रोफेसर अनिल गुप्ता ने की थी। साल 2010 में राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान- भारत, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार का स्वायत्तशासी संस्थान बन गया।
शासी मंडल
राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान- भारत, के शासी मंडल में डॉ. रघुनाथ अनंत माशेलकर (पूर्व डायरेक्टर जनरल सीएसआईआर) अध्यक्ष और प्रो. अनिल गुप्ता कार्यकारी उपाध्यक्ष हैं। इसमें कुल 19 सदस्य शामिल हैं।
राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान- भारत, के प्रमुख कार्य
राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान- भारत, के पांच प्रमुख कार्य खोज एवं दस्तावेजीकरण, मूल्य परिवर्धन शोध एवं विकास, व्यवसाय विकास एवं सूक्ष्म अभिनव उद्यम अभिनव कोष, बौद्धिक संपदा प्रबंधन, सूचना प्रसार एवं सामाजिक प्रसार है।
खोज एवं दस्तावेजीकरण एवं डाटा बेस मैनेजमेंट (एसएंडडी)
रानप्र-भारत, देशभर के जमीनी स्तर के नवप्रवर्तकों और विशिष्ट पारंपरिक ज्ञानधारकों की खोज करता है। इसके साथ तृणमूल स्तर के नवाचार और पारंपरिक ज्ञान के लिए राष्ट्रीय द्विवर्षीय प्रतियोगिता और बच्चों के मौलिक विचारों/ नवप्रवर्तनों के लिए एपीजे अब्दुल कलाम इग्नाइट प्रतियोगिता के लिए आवेदन आमंत्रित करता है। राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान- भारत, सृष्टि की शोध यात्रा में भी मदद करता है, जिसके जरिए देशभर की छुपी हुई प्रतिभाओं को खोजने का कार्य किया जाता है। रानप्र-भारत, कृषि से जुड़े नवप्रवर्तक उपायों को खोजने और विभिन्न प्रकार के परेशानियों को समझने के लिए देशभर में आयोजित होने वाले विभिन्न कृषि मेला/प्रदर्शनियों में भी भाग लेता है। रानप्र-भारत, सृष्टि द्वारा आयोजित किए जाने वाले खाद्य महोत्सव (फूड फेस्टिवल) सात्विक में भी भाग लेता है, जिसमें देशभर के विभिन्न पारंपरिक व्यंजनों को शामिल किया जाता है। अब तक रानप्र-भारत, द्वारा देश के करीब 585 जिलों (सभी से नहीं) से 2,25,000 विचारों, नवप्रर्वतन और विशिष्ठ पारंपरिक ज्ञान (सभी हटकर नहीं ,सभी अलग नहीं) का एक वृहद डाटाबेस तैयार किया जा चुका है।
मूल्य परिवर्धन, शोध एवं विकास (वार्ड)
रानप्र-भारत, खोज के दौरान मिलने वाले जमीनी स्तर के नवाचारों के मूल्य परिवर्धन एवं विकास का कार्य करता है। रानप्र मूल्य परिवर्धन शोध एवं विकास कार्य उच्च शिक्षण संस्थानों जैसे सीएसआईआर, आईसीएमआर, आईसीएआर, बीएसआई, आईआईटी, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के साथ मिलकर करता है।
व्यवसाय विकास एवं सूक्ष्म उद्यम अभिनव कोष
रानप्र-भारत, अभिनव तकनीकी नवप्रवर्तनों के लाइसेंसीकरण और व्यवसायीकरण में मदद करता है। नवप्रवर्तक की इच्छा होने पर उसे उद्यमी बनने के लिए प्रेरित करता है। इसके लिए वह उसे आर्थिक और अन्य मदद उपलब्ध कराता है। नवप्रवर्तकों को यह पूंजी उद्यम के विभिन्न स्तरों जैसे बाजार शोध, टेस्ट मार्केटिंग, प्रोटोटाइप विकास और प्रारंभिक उत्पादन के लिए समय-समय पर उपलब्ध कराया जाता है। ज्यादातर उद्यम पूंजी (वेंचर कैपिटल) ज्यादा जोखिम वाले उद्यमों को राशि देने से साफ इनकार कर देता है, जबकि रानप्र इसके लिए पहल करता है।
बौद्धिक संपदा प्रबंधन (आईपीआर)
रानप्र-भारत, तृणमूल नवप्रवर्तकों और विशिष्ठ पंरपरागत ज्ञानधारकों के बौद्धिक संपदा प्रबंधन का कार्य करता है। इसके तहत नवप्रवर्तकों, विशिष्ठ पंरपरागत ज्ञानधारकों और नवप्रवर्तक बच्चों के नाम से पेटेंट का आवेदन करता है।
सूचना प्रसार एवं सामाजिक प्रसार (डीएसडी)
रानप्र विशिष्ठ ज्ञान एवं नवप्रवर्तनों का उस इलाके में या फिर देशभर के अन्य जगहों पर प्रसार करता है। वेबसाइट, न्यूज़लेटर, पोस्टर, सीडी, कियोस्क, कार्यशाला, सेमिनार, प्रदर्शनी, व्यापार मेला, मीडिया के जरिए नवप्रवर्तनों का प्रचार और प्रसार करता है। तृणमूल प्रौद्योगिकीय नवप्रवर्तन अधिग्रहण निधि (जीटीआईएफ) के तहत नवप्रवर्तकों से अधिकार प्राप्त 78 तकनीकियों का लोकहित में प्रसार (बहुत ही कम या फिर नि:शुल्क) करने के लिए प्रयासरत है।
नवप्रवर्तन उत्सव
साल 2010 से राष्ट्रीय द्विवार्षिक प्रतियोगिता के नवप्रवर्तक विजेताओं को देश के राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत किया जाता है। इसके साथ ही देश में रचनात्मक संस्कृति और तृणमूल नवाचार को बढ़ावा देने के लिए रानप्र द्वारा साल 2010 से राष्ट्रपति भवन में तृणमूल नवाचारों की प्रदर्शनी का आयोजन किया जाता था। साल 2015 में भारत के माननीय राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने नवप्रवर्तन उत्सव (FOIN) की घोषणा की और देशभर के नवप्रवर्तकों को जोड़ने और उनके नवप्रवर्तन व विचारों को देशभर में फैलाने के लिए अपने दरवाजे खोल दिए। यह एक ऐसा प्रयास है, जिससे इससे पहले देश में कभी नहीं किया गया था। नवप्रवर्तन उत्सव (FOIN) का आयोजन मार्च 2015 से राष्ट्रपति सचिवालय द्वारा भारत सरकार के विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग की स्वायत्तशासी संस्थान राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान- भारत (रा.न.प्र.) और सृष्टि (हनी बी नेटवर्क का भाग है) के सहयोग से किया जा रहा है। एक सप्ताह तक चलने वाले इस नवप्रवर्तन उत्सव के दौरान विभिन्न प्रकार के आयोजन जैसे, समावेशी नवप्रवर्तन पर वैश्विक गोलमेज सम्मेलन, नवप्रवर्तन के वित्तीय पोषण पर चर्चा, बच्चों की रचनात्मक कार्यशाला, नवप्रवर्तन क्लब की बैठक आदि का आयोजन होता है। प्रति दूसरे वर्ष नवप्रवर्तन उत्सव के पहले दिन राष्ट्रीय द्विवार्षिक प्रतियोगिता पुरस्कार समारोह का आयोजन किया जाता है। इससे पहले राष्ट्रीय द्विवार्षिक पुरस्कार समारोह का आयोजन 7 मार्च 2015 को किया गया था।
https://web.archive.org/web/20170222195216/http://nif.org.in/foin
नवप्रवर्तन का उत्सव
नवप्रवर्तन यानि इनोवेशन की उत्पत्ति लैटिन शब्द इन्नोवेयर’ से हुई है, जिसका तात्पर्य एक नए विचार, अधिक प्रभावी उपकरण और प्रक्रिया से है। इसे नई आवश्यकताओं, अस्पष्ट जरूरतों या मौजूदा बाजार की जरूरतों के बेहतर समाधान के रूप में भी देखा जा सकता है। राष्ट्रपति भवन में आयोजित होने वाला नवप्रवर्तन उत्सव, रचनात्मक समुदायों को सशक्त बनाने का एक अनूठा प्रयास है। साल 2015 में भारत के माननीय राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने नवप्रवर्तन उत्सव (FOIN) की घोषणा की थी। इसके साथ ही उन्होंने देश भर के नवप्रवर्तकों को जोड़ने और उनके नवप्रवर्तन व विचारों को देशभर में फैलाने के लिए अपने दरवाजे खोल दिए। यह एक ऐसा प्रयास है, जिससे इससे पहले देश में कभी नहीं किया गया था।
प्रति वर्ष मार्च माह में आयोजन
नवप्रवर्तन उत्सव (FOIN) का आयोजन प्रति वर्ष मार्च माह में किया जाता है। एक सप्ताह तक चलने वाले इस आयोजन की मेजबानी राष्ट्रपति भवन में माननीय राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। अब तक दो बार नवप्रवर्तन उत्सव (FOIN) का आयोजन राष्ट्रपति भवन में सफलतापूर्वक किया जा चुका है। पहली बार इसका आयोजन 7 मार्च 2015 से 13 मार्च 2015 तक किया गया था, जिसमें भारत में रहने वाले आर्थिक रूप से कमजोर, लेकिन ज्ञान की दृष्टि से समृद्ध लोगों की क्षमता की तरफ देश का ध्यान आकृष्ट हुआ। इस उत्सव के दूसरे संस्करण का आयोजन 12 मार्च 2016 से 19 मार्च 2016 तक किया गया, जिसमें राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों की भागीदारी देखने को मिली।
राष्ट्रपति के सचिवालय द्वारा भारत सरकार के विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग की स्वायत्त संस्था राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान (रा.न.प्र.) और सृष्टि (हनी बी नेटवर्क का भाग) के सहयोग से नवप्रवर्तन उत्सव (FOIN) का आयोजन किया जाता है। ‘हनी बी नेटवर्क’ की शुरुआत 25 साल पहले देश में एक सामाजिक आंदोलन के रूप में की गई थी, जिसका उददेश्य छिपी हुई नवप्रवर्तक प्रतिभाओं को खोजना और उन्हें सम्मान दिलाना है। हनी बी ने भारत को रचनात्मक, सहानुभूतिशील व सहयोगी समाज बनाने में मदद करने वाले हमारे समाज के गुमनाम नायकों को मान्यता, सम्मान और पुरस्कार दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
नवप्रवर्तन उत्सव के तीसरे संस्करण (FOIN-2017) का आयोजन राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में 4 मार्च से 10 मार्च 2017 तक किया जाएगा।
नवप्रवर्तन उत्सव- 2017 (प्रस्तावित)
नवप्रवर्तन उत्सव- 2016
नवप्रवर्तन उत्सव – 2015
नवप्रवर्तन उत्सव- 2017 (प्रस्तावित)
तीसरे नवप्रवर्तन उत्सव का आयोजन 4 से 10 मार्च 2017 तक राष्ट्रपति भवन में प्रस्तावित है। सप्ताह भर चलने वाले इस उत्सव का शुभारम्भ भारत के राष्ट्रपति माननीय प्रणब मुखर्जी करेंगे, जिसका उदेश्य विभिन्न हितधारकों जैसे छात्र, बैंकों के संचालक, तृणमूल नवप्रवर्तक और नीति निर्माताओं को एक मंच पर लाना है।
माननीय राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 4 मार्च 2017 को नवप्रवर्तन उत्सव के शुभारम्भ के साथ नौवीं राष्ट्रीय द्विवार्षिक प्रतियोगिता के विजेता तृणमूल नवप्रवर्तकों और विशिष्ठ पारंपरिक ज्ञानधारकों को पुरस्कृत करेंगे। रानप्र के औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्रों के सहयोगियों, तृणमूल नवप्रवर्तनों को बढ़ावा देने वाले पत्रकारों, तृणमूल नवप्रवर्तकों और विशिष्ठ पारंपरिक ज्ञानधारकों का पता लगाने में असाधारण योगदान देने वाले व्यक्तियों को भी सम्मानित किया जाएगा। नवाचार विद्वान और लेखकों के लिए आयोजित की जाने वाली 14 दिवसीय इन रेजिडेंस प्रोग्राम की शुरुआत 4 मार्च को होगी। नवप्रवर्तन उत्सव नवप्रवर्तकों को उनकी तकनीकियों को वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं और उद्यमियों के सामने प्रदर्शित करने का मौका देता है। नवप्रवर्तन उत्सव भ्रमण के दौरान माननीय राष्ट्रपति इनोवेश स्कॉलर के चौथे बैच से मुलाकात करेंगे।
नवप्रवर्तन उत्सव- 2016
नवप्रवर्तन उत्सव (FOIN) 2016 का शुभारंभ तृणमूल नवप्रवर्तनों की प्रदर्शनी से हुई। इसमें भारत के माननीय राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी के साथ केंद्रीय विज्ञान-प्रौद्योगिकी व पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री डॉ.नजमा ए हेपतुल्ला, राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान (रा.न.प्र.) के अध्यक्ष डॉ. आरए माशेलकर, विज्ञान-प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के सचिव प्रो.आशुतोष शर्मा और रा.न.प्र. के कार्यकारी उपाध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार गुप्ता भी उपस्थित थे।
इस आयोजन में 65 तृणमूल नवप्रवर्तनों को प्रदर्शित किया गया। इसके साथ ही छह दिनों तक चला वैश्विक गोलमेज सम्मेलन और भारत में नवप्रवर्तन परियोजनाओं की प्रगति एवं भविष्य की योजना पर विचार करने के लिए राष्ट्रीय नवप्रवर्तन क्लबों की बैठक भी आयोजन का हिस्सा रहा। नोबेल पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी और दूसरे अन्य विशिष्ट चिंतक, नीति निर्माता, शिक्षाविद और देश-विदेश के उद्यमियों ने इस सम्मेलन में हिस्सा लिया। नवप्रवर्तन उत्सव (FOIN) का पहला संस्करण 7-13 मार्च, 2015 को संपन्न हुआ था।
नवप्रवर्तन उत्सव (FOIN) 2016 के तहत हुए आयोजन :-
- 12 मार्च: माननीय राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा नवप्रवर्तन प्रदर्शनी का शुभारंभ और रिहायशी कार्यक्रम के नवप्रवर्तन विद्वानों और लेखकों से परिचय
- 12 मार्च (दोपहर) : (1) समावेशी नवप्रवर्तन; (2) विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवप्रवर्तन के लाभ : समावेशी पारिस्थितिकी तंत्र; और (3) समावेश नवप्रवर्तन विकास के लिए शिक्षा पर गोलमेज सम्मेलन
- 12 मार्च (शाम) : समावेशी नवप्रवर्तन पर वैश्विक गोलमेज सम्मेलन की रिपोर्ट का माननीय राष्ट्रपति के लिए संक्षेपण
- 13 मार्च : गांधीवादी युवा प्रौद्योगिकी नवप्रवर्तन (GYTI) पुरस्कार समारोह और उसके बाद नवप्रवर्तन स्टार्ट-अप के लिए समावेशी नवप्रवर्तन, उद्भवन और वेगवृद्धि मॉडल पर वैश्विक गोलमेज सम्मेलन
- 13 मार्च (दोपहर) : (1) नवप्रवर्तन और कौशल विकास; (2) सार्वजनिक नीति व कार्यक्रमों में नवप्रवर्तन के लिए प्रोत्साहन; (3) व्यापक पैमाने पर बदलाव के लिए सामाजिक नवप्रवर्तन; और (4) ब्रेक-अवे सत्र : समूह चर्चा और गोलमेज सम्मेलनों में चार ब्रेक अवे समूहों के सुझाव
- 13 मार्च (शाम) : सांस्कृतिक कार्यक्रम (अदिति मंगलदास और साथियों की कत्थक प्रस्तुति)
- 14 मार्च : लोक सेवा पर वैश्विक गोलमेज सम्मेलन - (1) नवप्रवर्तन के लिए वृहद स्तरीय पहल और (2) समावेशन के लिए तृणमूल कार्रवाई
- 14 मार्च (दोपहर) : नवप्रवर्तक और रचनात्मक बच्चों की कार्यशाला
- 14 मार्च (शाम) : आगंतुक पुरस्कार, 2016 का प्रस्तुति समारोह
- 15 मार्च : राष्ट्रीय नवप्रवर्तन क्लबों की बैठक, और उसके बाद भारत और विदेश से आए शिक्षाविदों, प्रौद्योगिकी व्यवसाय प्रोत्साहित करने वालों, वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक
- 15 मार्च (दोपहर) : राष्ट्रीय नवप्रवर्तन क्लबों और प्रौद्योगिकी व्यवसाय प्रोत्साहित करने वालों (टीबीआइएस) की बेहतरीन उपलब्धियों पर पोस्टर प्रदर्शनी
- 16 मार्च : चिकित्सा विज्ञान और जैव प्रौद्योगिकी में नवप्रवर्तन पर गोलमेज सम्मेलन और उसके बाद तृणमूल नवप्रवर्तकों के साथ वैज्ञानिकों का विचार विमर्श
- 17 मार्च : वित्तीय नवप्रवर्तन के बारे में बैंकिंग व वित्तीय क्षेत्रों के विशेषज्ञों के साथ नीति और परामर्श पर बातचीत और उसके बाद माननीय राष्ट्रपति के लिए गोलमेज विमर्श के प्रमुख सुझावों की प्रस्तुति
- 18 मार्च: स्वच्छ भारत से जुड़े उत्कृष्ट नवप्रवर्तनों की प्रदर्शनी, और कृषक नवप्रवर्तकों व रा.न.प्र के सामुदायिक कार्यशाला समन्वयकों की सीबीए, एमआइटी, यूएसए के निदेशक प्रो. नील गरशेनफेल्ड की ओर से आयोजित कार्यशाला
- 19 मार्च : नवप्रवर्तन की प्रदर्शनी का अंतिम दिन, सामाजिक नवप्रवर्तनों के लिए हैकथॉन
नवप्रवर्तन उत्सव (FOIN) 2015 में हुए आयोजन :
- 7 मार्च: भारत के राष्ट्रपति माननीय श्री प्रणब मुखर्जी के हाथों रा.न.प्र. के द्विवार्षिक तृणमूल नवप्रवर्तन पुरस्कार समारोह
- 7 मार्च (दोपहर): समावेशी नवप्रवर्तन पर वैश्विक गोलमेज सम्मेलन
- 8 मार्च: प्रौद्योगिकी व अभियांत्रिकी छात्रों को गांधीयन युवा प्रोद्योगिकी नवप्रवर्तन (GYTI) पुरस्कार और वैश्विक गोलमेज सम्मेलन
- 9 मार्च: बच्चों की रचनात्मक कार्यशाला
- 10 मार्च: राष्ट्रीय नवप्रवर्तन क्लबों की बैठक
- 11 मार्च: तृणमूल स्तर पर प्रयोग के लिए जैव चिकित्सीय उपकरण और जैव प्रौद्योगिकी नवप्रवर्तन
- 12 मार्च: स्वच्छता, जैव उपचयन और अपशिष्ट प्रबंधन में नवप्रवर्तन पर प्रदर्शनी
- 13 मार्च: नवप्रवर्तन के लिए वित्त पोषण, बैंकों, नाबार्ड, भारतीय बैंक संघ, वित्त मंत्रालय के चेयरमैन व वरिष्ठ अधिकारियों के साथ राष्ट्रीय गोलमेज सम्मेलन और राष्ट्रपति के संबोधन के साथ नवप्रवर्तन उत्सव (FOIN) का समापन।
नेटवर्क सहयोगी
अपने ध्येय के लिए राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान- भारत, देश के विभिन्न संस्थानों, हनी बी नेटवर्क, सृष्टी, ज्ञान, शोध एवं विकास संस्थानों, बौद्धिक संपदा प्रबंधन (आईपीआर) और कानून, डिज़ायन, विश्वविद्यालयों और स्वयंसेवी संस्थानों के साथ मिलकर कार्य करता है।
हनी बी नेटवर्क
'हनी बी नेटवर्क’ की शुरुआत करीब 25 वर्ष पहले (साल 1988-89), छुपी हुई नवप्रवर्तक प्रतिभाओं को उजागर करने के लिए एक सामाजिक आंदोलन के रूप में की गयी थी और तभी से इसने भारत को रचनात्मक, सहानुभूतिशील व सहयोगी समाज बनाने में मदद करने वाले हमारे समाज के गुमनाम नायकों को मान्यता, सम्मान और पुरस्कार दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
सृष्टि (सोसाइटी फॉर रिसर्च एंड एनिसिएटिव फॉर संसटेबल टेक्नालॉजी एंड इंस्टीट्यूशन)
ज्ञान के मामले में समृद्ध और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की सहायता के लिए सृष्टि की स्थापना साल 1993 में की गई। यह हनी बी नेटवर्क को सांस्थानिक सहयोग प्रदान करता है। इसके द्वारा हनी बी न्यूजलेटर का प्रकाशन हिन्दी, अंग्रेजी, गुजराती भाषा में किया जाता है, जो कि नेटवर्क का संदेश लोगों तक पहुंचाने में मददगार होता है। इसके द्वारा अहमदाबाद में प्रतिवर्ष सात्विक खद्य महोत्सव (फूड फेस्टिवल) का आयोजन किया जाता है।
ज्ञान (ग्रासरूट इनोवेशन एग्यूमेंटेशन नेटवर्क)
ज्ञान (ग्रासरूट इनोवेशन एग्यूमेंटेशन नेटवर्क) की स्थापना साल 1997 में गुजरात सरकार के सहयोग से की गई, जिसे ज्ञान पश्चिम के नाम से जाना जाता है। इसके बाद साल 2002 में राजस्थान सरकार ने ज्ञान नार्थ, जयपुर की स्थापना में मदद की। ज्ञान टेक्नोलॉजी बिजनेस इनक्यूबेटर के रूप में अनट्रेंड, अनक्वालिफाइड, नवप्रवर्तकों को व्यापार की शुरुआत में मदद करता है। ज्ञान सेल की स्थापना साल 2009 में कश्मीर विश्वविद्यालय में हो चुकी है।
पहल
तृणमूल नवप्रवर्तन डिजाइन स्टूडियो (ग्रिड्स)
तृणमूल नवप्रवर्तन डिजाइन स्टूडियो (ग्रिड्स) देश के विभिन्न संस्थानों जैसे राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान-अहमदाबाद (एनआईडी), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गांधीनगर, राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान (श्री गरंद), सृष्टि स्कूल ऑफ़ आर्ट्स डिजायन एंड टेक्नोलॉजी के सहयोग के जरिये तृणमूल नवप्रवर्तकों को डिजायन संबंधी सलाह उपलब्ध कराता है।
नवप्रवर्तन संवर्धन के लिए छात्रों का क्लब (एससीएआई)
देशभर के प्रसिद्ध तकनीकी और प्रबंधन संस्थानों के छात्र इस क्लब से जुड़े हैं। यह क्लब तृणमूल नवप्रवर्तकों और विशिष्ठ पारंपरिक ज्ञानधारकों को उत्पाद विकास, शिक्षण और निगरानी संबंधी समर्थन प्रदान करता है।
सूक्ष्म उद्यम नवप्रवर्तन निधि (एमवीआईएफ)
सिडबी के सहयोग से रु. 4 करोड़ की सूक्ष्म उद्यम एवं नवप्रवर्तन निधि (प्रबंधन रानप्र द्वारा) की शुरूआत वर्ष 2003 में गाँधी जयंती की पूर्वसंध्या पर हुई। इसके तहत उन प्रौद्योगिकियों के लिए निवेश किया गया, जिनके लिए बाज़ार कम है और जहां असफल होने की आशंका पूरी थी। सूक्ष्म उद्यम नवप्रवर्तन निधि द्वारा अब तक 193 परियोजनाओं को विभिन्न चरणों में समर्थन दिया जा चुका है। यह एक मात्र सूक्ष्म उद्यम जोखिम पूंजी, जो तृणमूल नवप्रवर्तकों को एक साधारण करारनामे पर पर आर्थिक समर्थन प्रदान करता है।
तृणमूल तकनीकी नवाचार अधिग्रहण निधि (जीटीआईएफ)
कई प्रौद्योगिकीयों को उत्पाद या सेवाओं के रूप में तब्दील होने में समय लगता है। हो सकता है कि कुछ प्रौद्योगिकियों में कोई भी व्यावसायिक संभावना न हो, लेकिन सामाजिक प्रसार के लिए खुला हो। तृणमूल तकनीकी नवाचार अधिग्रहण निधि (जीटीआईएएफ) ऐसे मसलों का समाधान निकालता है। रानप्र ऐसी प्रौद्योगिकियों के अधिकार हासिल करता है, जिन्हें फिर निम्न कीमत पर या बिना किसी कीमत के छोटे उद्यमियों को लाइसेंस के द्वारा प्रदान किया जाता है। इनमें से कुछ प्रौद्योगिकियां सार्वजनिक क्षेत्र में प्रवेश करती हैं और समुदायों तक प्रसारित होती हैं, जिनके सदस्य उनका उपयोग करते हैं।
रानप्र इनक्यूबेशन एंड इंटरप्रेन्योर काउंसिल
- नए उद्यम की स्थापना : वित्तीय एवं नेटवर्किंग समर्थन और सलाह के जरिये नए तृणमूल प्रौद्योगिकी उद्यमों को प्रोत्साहन।
- प्रौद्योगिकियों का व्यवसायीकरण : तृणमूल नवप्रवर्तकों तय शर्तों के आधार पर प्रौद्योगिकियों के शीघ्र व्यवसायीकरण के लिए एक मंच प्रदान करना।
- इन-सीटू इन्क्यूबेसन : नवप्रवर्तकों को सहयोग प्रदान कर स्थानीय स्तर पर उद्यमिता को बढ़ावा देना।
- इंटरफेसिंग एंड नेटवर्किंग: नवप्रवर्तक और उद्यमियों के लिए तकनीकी, वित्त, डिजायन, उत्पादन, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन शैक्षणिक विशेषज्ञों का नेटवर्क तैयार करना
- मूल्य परिवर्धन : औपचारिक तथा अनौपचारिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थानों और ज्ञान प्रणालियों के बीच सहभागिता के लिए मंच प्रदान करना।
- अन्य सहयोग : प्रौद्योगिकियों से जुड़ी बौद्धिक संपदा प्रबंधन विषयों, बाज़ार की रणनीतियां, व्यापार योजना और अन्य प्रकार के सहयोग प्रदान करना।
ग्रासरूट टू ग्लोबल (जी टू जी)
राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान-भारत, ने यह सिद्ध कर दिया है कि भारत के जमीनी स्तर के नवप्रवर्तक अपने रचनात्मकता से देश ही नहीं बल्कि विश्व के किसी कोने की समस्या को हल कर सकते हैं। वह स्थानीय वस्तुओं के इस्तेमाल के जरिए बेहतर और टिकाऊ विकल्प उपलब्ध कराते हैं।
गांधीवादी समावेशी नवप्रवर्तन चैलेंज पुरस्कार
भारत के राष्ट्रपति की उपस्थिति में डॉ. आरए माशेलकर द्वारा तीन चुनौतियों यानी कि धान ट्रांसप्लांटर, लकड़ी के चूल्हे और चाय की पत्ती तोड़ने का उपाय, के लिए नए समाधान विकसित करने हेतु चुनौती पुरस्कारों की घोषणा।
नवप्रवर्तन का अपवर्तन मॉडल
अपवर्तन मॉडल का अर्थ है की बच्चे आविष्कार करते है, इंजीनियर और डिजायनर फैब्रिकेशन करते हैं, और कंपनिया वाणिज्यीकरण करती हैं।