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राज सिंह द्वितीय

मेवाड, राजस्थान के शिशोदिया राजवंश के शासक थे।इन के शासनकाल में मराठो और उन्होंने सभी राजपूत राजाओं को एकत्रित कर कर अहमद शाह दुर्रानी को भारत पर आक्रमण करने का न्योता भी दिया था। मराठो ने राजपूताना में भी अपना जाल बिछाना शुरू कर दिया और इसकी से नाराज होकर राज सिह द्वितीय भी अत्यधिक नाराज हो गए।मराठों की पानीपत के तृतीय युद्ध में हार के बाद 1761 में जो की हुई उसके बाद 1762 ईस्वी में राज सिंह द्वितीय का निधन हो गया

मेवाड़ के सिसोदिया राजवंश के शासक
(1326–1948 ईस्वी)
राणा हम्मीर सिंह(1326–1364)
राणा क्षेत्र सिंह(1364–1382)
राणा लखा(1382–1421)
राणा मोकल(1421–1433)
राणा कुम्भ(1433–1468)
उदयसिंह प्रथम(1468–1473)
राणा रायमल(1473–1508)
राणा सांगा(1508–1527)
रतन सिंह द्वितीय(1528–1531)
राणा विक्रमादित्य सिंह(1531–1536)
बनवीर सिंह(1536–1540)
उदयसिंह द्वितीय(1540–1572)
महाराणा प्रताप(1572–1597)
अमर सिंह प्रथम(1597–1620)
करण सिंह द्वितीय(1620–1628)
जगत सिंह प्रथम(1628–1652)
राज सिंह प्रथम(1652–1680)
जय सिंह(1680–1698)
अमर सिंह द्वितीय(1698–1710)
संग्राम सिंह द्वितीय(1710–1734)
जगत सिंह द्वितीय(1734–1751)
प्रताप सिंह द्वितीय(1751–1754)
राज सिंह द्वितीय(1754–1762)
अरी सिंह द्वितीय(1762–1772)
हम्मीर सिंह द्वितीय(1772–1778)
भीम सिंह(1778–1828)
जवान सिंह(1828–1838)
सरदार सिंह(1838–1842)
स्वरूप सिंह(1842–1861)
शम्भू सिंह(1861–1874)
उदयपुर के सज्जन सिंह(1874–1884)
फतेह सिंह(1884–1930)
भूपाल सिंह(1930–1948)
नाममात्र के शासक (महाराणा)
भूपाल सिंह(1948–1955)
भागवत सिंह(1955–1984)
महेन्द्र सिंह(1984–वर्तमान)