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रजाकार

रजाकार

Razakar units being trained
स्थापना 1938
संस्थापकBahadur Yar Jung
विघटन 1948
प्रकार Paramilitary volunteer force
उद्देश्य Support of the Nizam, Sir Osman Ali Khan, Asaf Jah VII, resisting the integration of Hyderabad State into India
मुख्यालयहैदराबाद
सेवित
क्षेत्र
हैदराबाद स्टेट
LeaderBahadur Yar Jung
Qasim Razvi
संबद्धतामजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन

रजाकार एक निजी सेना (मिलिशिया) थी जो निजाम मीर उस्मान अली ख़ान आसफ जाह VII के शासन को बनाए रखने तथा हैदराबाद स्टेट को नवस्वतंत्र भारत में विलय का विरोध करने के लिए बनाई थी।[1] यह सेना कासिम रिजवी द्वारा निर्मित की गई थी।

रजाकार के मुकाबले में स्वामी रामानंद तीर्थ के नेतृत्व में तेलंगाना के लोगोंं के साथ मिलकर आंध्र हिंदू महासभा का गठन किया और भारत के साथ राज्य के एकीकरण की मांग की। रजाकार तेलंगाना और मराठवाड़ा क्षेत्र में कई लोगों की नृशंस हत्या, बलात्कार आदि के लिए जिम्मेदार थे। रजाकार निर्दय लोग थे आखिरकार, भारतीय सेना ने ऑपरेशन पोलो के दौरान रजाकर का खात्मा करके कासिम रज़वी को पकड़ लिया। शुरू में उसे जेल में बंद किया और फिर शरण प्रदान करके पाकिस्तान जाने की अनुमति दी थी।

इतिहास

भारत की आज़ादी से पूर्व निजाम हैदराबाद उस समय भी दुनिया का सबसे अमीर आदमी था। निज़ाम हकुमत की अपनी रेलवे, डाक सेवा, संचार, जहाज रानी, एयरलाइन फ़ौज थी। हकुमत की जी डी पी बेल्जियम के बराबर थी। निज़ाम के पास 22,000 फौजियों की सेना थी जिसमे अरब, पठान,मनिहार, रोहिल्ले आदि शामिल थे। निज़ाम ने भारत में विलय करने से इंकार कर दिया था। सितम्बर 1948 तक कई वार्ताओं के दौर चले लेकिन निज़ाम टस से मस न हुए। निज़ाम की निजामशाही के खिलाफ़, उसके जमीदारों के खिलाफ आज़ाद भारत में आम जनता का पहला संगठित विद्रोह हुआ जिसका नेतृत्व भारत की कम्युनिस्ट पार्टी ने किया था।

उन दिनों मजलिस हुआ करती थी जिसका नेता कासिम रिज़वी था।[2] भाड़े के सैनिकों को रखने में माहिर निजाम की हकुमत बचाने के लिए कासिम ने निजाम के आदेश पर एक मिलिश्या का गठन किया जिसे 'रजाकार' के नाम से जाना जाता है। इसकी तादाद उन दिनों 2 लाख तक बतायी जाती है। आम मुस्लिम आबादी पर कासिम की पकड़ भी इस संगठन के जरिये समझी जा सकती है।

निज़ाम की हकुमत को 17 सितंबर 1948 में पांच दिन का भारतीय फ़ौजी अभियान 'आपरेशन पोलो' उर्फ़ पुलिस एक्शन के सामने घुटने टेक देने पडे। निजाम के अरब कमांडर अल इदरूस को जनरल चौधरी के सामने समर्पण करना पड़ा। इस लड़ाई में भारत के 32 फ़ौजी मरे, निजाम की तरफ से मरने वालो की संख्या 1863 बतायी गयी लेकिन उन हालात में हुई व्यापक हिंसा में मरने वालों की संख्या विभिन्न इतिहासकारों के माध्यम से 50 हजार से दो लाख तक बताई जाती है।

रज़ाकार के प्रकार

रजाकारों को 4 प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:[3]
मुस्लिम रज़ाकार : जिन्होंने 70 प्रतिशत रजाकार बल का गठन किय।
हिन्दू रज़ाकार : निजाम का पक्ष लेने के लिए हिंदू देशमुखों और जमींदारों द्वारा नियुक्त कार्मि।

नकली रज़ाकार

कम्युनिस्ट रज़ाकार - कम्युनिस्ट जिन्होंने रजाकार के रूप में पेश आकर कई बार लूट को अंजाम दिय।
कांग्रेस रज़ाकार - कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता जो सामान्य रज़ाकारों की आड़ में छिपकर, कुछ गाँवों में लूटपाट को अंजाम दिया।[4]

कैप्टन पांडुरंगा रेड्डी ने इन कांग्रेस कार्यकर्ताओं और कम्युनिस्टों को गद्दार करारा, जिन्होंने हिंसा को अपना एजेंडा फैलाने के लिए आम लोग को प्रोत्साहित किया।

लोकप्रिय संस्कृति

17 सितंबर 2023 को, तेलुगु फिल्म रजाकार: द साइलेंट जेनोसाइड ऑफ हैदराबाद का टीज़र जारी किया गया।[5] 2015 में इस संगठन के बारे में मराठी पूर्ण रजाकार ने भी विज्ञप्ति जारी की थी।

बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ

  1. "This day, that year: How Hyderabad became a part of the union of India". मूल से 30 दिसंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 सितंबर 2018.
  2. "Accession of Hyderabad: When a battle by cables forced the Nizam's hand".
  3. Ghayur, Syed Inam ur Rahman (17 सितम्बर 2019). "Truth behind the Razakars". Deccan Chronicle (अंग्रेज़ी में).
  4. ghayur, dailyhunt. https://m.dailyhunt.in//news/nepal/english/deccan+chronicle-epaper-deccanch/truth+behind+the+razakars-newsid-136827130. अभिगमन तिथि 20 मार्च 2021. गायब अथवा खाली |title= (मदद)
  5. "'Razakar' movie teaser: KTR to take up matter with Censor Board, requests Telangana Police to ensure peace". The Indian Express (अंग्रेज़ी में). 2023-09-18. अभिगमन तिथि 2023-09-18.