रंजना लिपि
ब्राह्मी |
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ब्राह्मी तथा उससे व्युत्पन्न लिपियाँ |
रंजना लिपि ११वीं शती में ब्राह्मी से व्युत्पन्न एक लिपि है। यह मुख्यतः नेपाल भाषा लिखने के लिए प्रयुक्त होती है किन्तु भारत, तिब्बत, चीन, मंगोलिया और जापान के मठों में भी इसका प्रयोग किया जाता है। यह प्रायः बाएँ से दाएँ लिखी जाती है किन्तु 'कूटाक्षर प्रारूप' के लिये ऊपर से नीचे लिखी जाती है।[1] यह मानक नेपाल की लिपि मानी जाती है।
वर्णमाला
a अ | i इ | u उ | ṛ ऋ | ḷ ऌ | e ए | o ओ |
ā आ | ī ई | ū ऊ | ṝ ॠ | ḹ ॡ | ai ऐ | au औ |
aṃ अं | aḥ अः |
k क | kh ख | g ग | gh घ | ṅ ङ |
c च | ch छ | j ज | jh झ | ñ ञ |
ṭ ट | ṭh ठ | ḍ ड | ḍh ढ | ṇ ण |
t त | th थ | d द | dh ध | n न |
p प | ph फ | b ब | bh भ | m म |
y य | r र | l ल | v व | |
ś श | ṣ ष | s स | h ह |
kṣ क्ष | tr त्र | jñ ज्ञ |
अंक
0 ० | 1 १ | 2 २ | 3 ३ | 4 ४ | 5 ५ | 6 ६ | 7 ७ | 8 ८ | 9 ९ |
सन्दर्भ
- ↑ "Jwajalapa". मूल से 10 मार्च 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 अक्तूबर 2014.