योगाचारभूमिशास्त्र
योगाचारभूमिशास्त्र बौद्ध धर्म की महायान शाखा का एक विशाल एवं प्रभावशाली ग्रन्थ है। परम्परा से यह असङ्ग या बोधिसत्व मैत्रेय की रचना मानी जाती है। चीनी भाषा तथा तिब्बती भाषा में इसके अनुवाद हुए जो अब भी अपने सम्पूर्ण रूप में प्राप्य हैं। किन्तु मूल संस्कृत ग्रन्थ का लगभग ५० प्रतिशत भाग ही (९ टुकड़ों में) प्राप्त हो पाया है।
असंग ने योगाचारभूमिशास्त्र में प्रत्यक्ष, अनुमान और आगम - ये तीन प्रमाण ही स्वीकार किए हैं। प्रतिज्ञा, हेतु, दृष्टान्त साधर्म्य एवं वैधर्म्य को अनुमान का ही अंग माना है। इस प्रकार असंग अपनी प्रमाण-व्यवस्था में किसी सीमा तक न्याय दर्शन से निकटता रखते हैं। यद्यपि इनकी व्याख्याओं को लेकर इनका न्याय दर्शन से स्पष्ट मतभेद भी देखा जा सकता है।
योगाचारभूमिशास्त्र के दो भाग है- (१) मौल्यभूमयः (२) परिशिष्ट । मौल्यभूमयः में १४ भूमियों का वर्णन है-
१ - पञ्चविज्ञानकायसम्प्रयुक्ता भूमिः
२ - मनोभूमि
३ - सवितर्कसविचारादिभूमि
४ - समाहिता भूमिः
५ - असमाहिता भूमिः
६ - सचित्तिका अचित्तिका भूमिः
७ - श्रुतमयी भूमिः
८ - चिन्तामयी भूमिः
९ - भावनामयी भूमिः
१० - श्रावकभूमि
११ - प्रत्येकबुद्धभूमि
१२ - बोधिसत्त्वभूमि
१३ - सोपधिका भूमिः
१४ - निरुपधिका भूमिः
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
- योगाचारभूमिशास्त्र की शब्दावली (तिब्बती से संस्कृत)