यशोवर्मन द्वितीय (चन्देल)
यशोवर्मन् द्वितीय (शासनकाल ११६४-११६५ ई) महाराज मदनवर्मन अपने पुत्र यशोवर्मन को सम्राट बना कर सन्यास ले लिया था। यशोवर्मन के राजा बनते ही बघलेखंड का सामंत राजा जम्भे विद्रोह करने लगा। महाराज ने बघेलखंड पे चढ़ाई कर दी, जिसमे वो बुरी तरह घायल हो गए और कुछ दिन बाद अक्समात ही उनकी मृत्यु हो गई। संभवत यशोवर्मन एक कुशल राजा बन सकते थे परंतु समय के पहले ही वो वीरगति को प्राप्त हो गए। यशोवर्मन की मृत्यु के बाद 3 महीने राजसिंहासन खाली रहा जिससे लगभग पूरे चन्देल साम्राज्य के सामंत राजा ही स्वतंत्र हो गए।
यशोवर्मन् द्वितीय | |||||||||
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परमभट्टरक महाराजाधिराज परमवैष्णव महोबानरेश श्रीकलंजराधिपति श्रीमंत-सम्राट | |||||||||
नृपत श्री कालिंजराधिपति सम्राट | |||||||||
शासनावधि | c. 1165-1165 CE | ||||||||
पूर्ववर्ती | मदनवर्मन | ||||||||
उत्तरवर्ती | परमर्दिदेव चन्देल | ||||||||
जन्म | 1146 ई0 कालिंजर दुर्ग, महोबा, उत्तर प्रदेश | ||||||||
निधन | 1165 ई0 महोबा, उत्तर प्रदेश | ||||||||
संतान | परमर्दिदेव चन्देल | ||||||||
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घराना | हैहय, चन्द्रवंश | ||||||||
राजवंश | चन्देल | ||||||||
पिता | मदनवर्मन | ||||||||
धर्म | वैष्णव धर्म, हिंदू धर्म |
इन्हें भी देखें
- यशोवर्मन द्वितीय -- ख्मेर साम्राज्य का शासक