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मोकलसर

मोकलसर
Mokalsar
मोकलसर is located in राजस्थान
मोकलसर
मोकलसर
राजस्थान में स्थिति
निर्देशांक: 25°37′N 72°31′E / 25.62°N 72.52°E / 25.62; 72.52निर्देशांक: 25°37′N 72°31′E / 25.62°N 72.52°E / 25.62; 72.52
ज़िलाबाड़मेर ज़िला
प्रान्तराजस्थान
देश भारत
जनसंख्या (2001)
 • कुल6,925
भाषा
 • प्रचलितमारवाड़ी, हिन्दी
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30)

मोकलसर (Mokalsar) भारत के राजस्थान राज्य के बाड़मेर ज़िले में स्थित एक गाँव है। राष्ट्रीय राजमार्ग ३२५ यहाँ से गुज़रता है मोकलसर गांव की स्थापना मारवाड़ नरेश राव रिड़मल जी के पोत्र  राव बाला जी के वंशज ठाकुर सा अखैराज सिंह जी बालावत ने की थी।पहले मोकलसर गांव वावखेडा नाम से था जो वर्तमान मे चामुंडा माता जी के मन्दिर के पास बसा हुआ था तत्कालीन ठाकुर सा अखैराज सिंह जी बालावत के सपने मे मोकड़ मामाजी ने आकर कहा की वावखेडा से मेरे  शरणो मे आकर बस जा तब ठाकुर सा  अखैराज सिंह जी ने मोकड़ मामाजी के स्थान के पास पहाड़ी के ऊपर अपने महल बनायें।

और मोकड़ मामाजी के नाम से गांव का नाम मोकलसर रखा।

#जोधपुर_री_ख्यात)

(भाखर जी,करण जी,कांधल जी,पाता जी च्यारु एक माया रिड़मल जी रा बेटा। #बांकीदास_री_ख्यात)

भाखर तिण री केड़ रा भाखरसींयोत गांव साहली दीनी (#राठौड़_वंश_री_विगत एवं वंशावली)

#उदयभाण_चापांवत री ख्यात के अनुसार बालौ भाखरोत,बाला लारे बालावत कहीजे। भाखर जी वेगा हीस राम कयो।

बाला जी को खारला,साहली व खारड़ी गांव जागीर में मिले।

#मारवाड़ के इतिहास के अनुसार मेवाड़ में रिड़मल जी की हत्या के पश्चात जब मेवाड़ की सेना ने जोधा जी का पीछा किया तब भाखर जी ने मेवाड़ की सेना को कपासन में रोक दिया और वीरतापूर्वक युद्ध किया जिसमें घायल होने से उनकी मृत्यु हो गई।

#कर्नल_जेम्स_टॉड के अनुसार बाला जी के वशंज बालावत जिन्हें पालासनी गांव मिला।

राव जोधा जी के समय चित्तौड़ पर चढाई के वक्त बाला जी सेठ पदमशाह को कैद कर खैरवा ले आए।

पदमचन्द ने जोधा जी को बहुत सारा धन भेट किया जिससे राव जोधा जी ने जोधपुर में मेहरानगढ़ की नींव रखी।

जोधा जी ने जोधपुर में पदम सागर तालाब बनाकर सेठ पदमशाह को सम्मान दिया।

बाला जी बहुत ही वीर योद्धा हुए वि.स.१५३६ में राठौड़ नरसिंह सिंधल ने राणा रायमल की सहायता से कापरड़ा के आस-पास का पशुधन घेर कर ले गए तब चांपा जी ने उनका पीछा किया और मणिहारी के निकट भीषण युद्ध हुआ जिसमें चांपा राठौड़ रणखेत रहे और इसके कुछ समय पश्चात ही राठौड़ बाला भाखरोत कुछ सैनिकों सहित रणभूमि में आ पहुंचे। बाला जी ने नरसिंह जी में भयंकर युद्ध हुआ जिसमें नरसिंह सिंधल रणखेत रहे।

इस प्रकार प्रकार बाला जी ने अपने काका श्री का वैर लिया ये घटना चेत्र सुद ११ को घटित हुई।

(#चांपावत_राठौड़ो_का_इतिहास)

#बीदा_भारमलोत भी शूरवीर योद्धा हुए कहते हैं की शेरशांह सूरी ने मालदेव से मल्ल युद्ध का प्रस्ताव रखा तो उन्होंने बीदा जी का नाम भेजा इस पर राव वीरमदेव जी मेड़तिया ने शेरशांह सूरी को समझाया की बीदा जैसे योद्धा से मल्ल युद्ध करने वाला आपके लश्कर में कोई योद्धा नही है। शेरशांह सूरी को बीदा जी से मल्ल युद्ध का प्रस्ताव वीरमदेव जी ने रखा और आखिर सूरी ने मल्ल युद्ध का प्रस्ताव खारिज कर दिया।

बालावत राठौड़ो का मुख्य ठीकाना #मोकलसर रहा है जिसे #बाहंपसाव का कूरब तथा #बेवडी_ताजीम प्राप्त थी।

#वशंक्रम --

राव सीहा जी--राव आस्थान जी--राव धूहड़ जी--राव रायपाल जी--राव कनकपाल जी--राव जालणसी--राव छाड़ा जी--राव तीड़ा जी--राव सलखा जी--- राव वीरमदेव जी----राव चूण्डा जी (मण्डोर)--राव रिड़मल जी--ठाकुर भाखर जी--बाला जी (बालावत राठौड़)--भारमल जी--नगराज जी--जैतसी--केसोदास जी--माधोदास जी--अखैराज जी---खींवराज जी--उदैराज जी--नाथुसिंह जी--लालसिंह जी--जवानसिंह जी--वन्नेसिंह जी--छतरसिंह जी--झुंझारसिंह जी--दुर्गादाससिंह जी--हिम्मतसिंह जी--मदनसिंह जी--दलपतसिंह जी--

#ऐतिहासिक_तथ्य--

देईंदास भारमलोत् साहली रेवतो जिनु अभै बालावत मारियो।

राठौड़ नगौ भारमलोत बड़ो ठाकुर हुओ राव मालदेव रे बड़ो उमराव हुवो १६१० मेड़ते काम आयो #दुनाड़ो मेड़ता रो।

मोकलसर रो धणी बालो उदैराज खींवकरण अखैराजोत महाराज अभैसिंघ जी आग्यासू कीटनोद धणी भाटी फतैसिंघ अमरावत ने मारियो गुड़ा राणा सूरजमल भाखरसी साहिबखानोत री मदद लेने।

उदैराज बाला और राणा सूरजमल जैतमालोत् मासियात भाई हेता।

प्रमुख युद्धों में #रणखेत रहे मुख्य बालावत राठौड़ वीर--

वि.स.१६०० में सुमेल गिरी युद्ध में शेरशाह सूरी के विरुद्ध भारमल बालावत व बीदा भारमलोत् #रणखेत रहे।

वि.स.१६१० वेशाख सुद २ को मालदेव की ओर से मेड़ता के युद्ध में वीरमदेव मेड़तिया के विरुद्ध बालावत धनराज भारमलोत् व नगराज भारमलोत् #रणखेत रहे।

वि.स.१७३० में महाराजा जसवंतसिंह के समय पठानो के विरुद्ध हुए युद्ध में बालावत मुकंददास कल्याणदासोत #रणखेत रहे।

वि.स.१७३७ में महाराजा अजीतसिंह जी के समय खेतासर के युद्ध में बालावत खंगार द्वारकादासोत #रणखेत रहे।

बालावत राठौड़ो ने मारवाड़ की ओर से सैकड़ो युद्धों में भाग लिया और अपना शौर्य प्रदर्शन करते हुए रणखेत भी रहे इनमें मुख्यत:मेड़ता,सुमेल-गिरी,जालोर, अहमदाबाद आदी अभियान है।

बालावत राठौड़ो के विभिन्न अभियानों में किए गए शोर्य प्रदर्शन का वर्णन #राजरुपक में विभिन्न #दोहे,#छंद व #छप्पय के रूप में किया गया है जिसमें से प्रमुख निम्न प्रकार है---

जैतमालां माला जठै,बाला साहस बधं।

पण जेता ज्रुध प्रांधिया,भारा धरा धर कधं।।

आखियौ जैतमालां सहित,मालो बालां उहडां।

आवियौ सबल वांटे आती,धणी तणै छल धूहड़ां।।

बाला अखई बोलिया,परगत सहत प्रचडं।

दूभर विरिया सांम छल,थभां ब्रहमडं।।

मिले जैतमालां मुदी वेल माला,वरापूर सूरां धजा संगि बाला।

बालां बल अग्गलां,जैतमालां जाणियारां।

महवेचां मारकां कमध ऊहड़ा अकारा।।

बालावत राठौड़ो के मुख्य ठीकाने मोकलसर में ११ गांव जिसमें दो पांती थी और इसके अलावा मेडा ऊपरला,ऐलाणा,निंबलाणा,बालवाड़ा,बिस्टु,मांडला आदी ठीकाने थे जो ताजीम प्राप्त थे।

वि.स.१८२२ में जोधपुर राज्य के कुल गांव की स्थिति में बालावत राठौड़ो को २० के लगभग गांव प्राप्त थे जिसमें सिवाना परगने के १२ व जालोर परगने के ८ गांव थे।

#मारवाड़_परगना_री_विगत के अनुसार

मोकलसर,लोधराड़ो,फूलन,करमास,बालू,सुजरे,मोतीसरो,रमणीयो,सिणली (जोधपुर),भूती,फतापरो,काठा (गोड़वाड़),देवड़ो,बालवाड़ो,आबलज,नारनाडी,बुगरड़ो,नरसाणो,मांडवला,सांवलतो खुरद,काठेड़ी,जैसावो,पीसाणो,चुंरा,थलुड़ो,एलाणो, जोजावर री वासणी (गोड़वाड़),गगारड़ी,कलापरो, बिशनगढ,बासण,हथुजो,देभावास,गुड़ा सावंलदास,ओडवाड़ो,कुहाड़ो,डाभली, महेश रो बाड़ो,बाधनवाड़ो,बारोला वासलो,धोकड़ा,सापणी,सावंलीयास,मेलावास,नींबलाणो,डांगरो,धानपड़,रामासनी,सुखवासणी, हणाद(गुजरात)आदी जागीर गांव थे।

बालावत राठौड़ो का मारवाड़ रियासत में महत्वपूर्ण व अतुलनीय योगदान रहा है।

भँवर हितेंद्रप्रताप सिंह बालावत मोकलसर

प्रपोत्र राय बहादुर मुसाहिब हिम्मत सिंह जी बालावत मोकलसर(मारवाड़ )। [1][2]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. "Lonely Planet Rajasthan, Delhi & Agra," Michael Benanav, Abigail Blasi, Lindsay Brown, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787012332
  2. "Berlitz Pocket Guide Rajasthan," Insight Guides, Apa Publications (UK) Limited, 2019, ISBN 9781785731990