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मेसोपोटामिया का इतिहास

प्राचीन मध्य पूर्व
Portal:Ancient Near East
क्षेत्र तथा राज्य
मेसोपोटामिया • अक्कडियन साम्राज्य • असीरिया • बेबीलोन • नव असीरियाई साम्राज्य • नव बेबीलोनिया साम्राज्य • सुमेर

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पुरातात्विक काल
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भाषाएं
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साहित्य
Babylonian literature • Hittite texts • Sumerian literature
पौराणिक कथा
Babylonian mythology • Hittite mythology • Mesopotamian mythology • Egyptian mythology
अन्य विषय
Assyrian law • Babylonian astronomy • Babylonian law • Babylonian mathematics • Cuneiform law

मेसोपोटामिया मूल रूप से दो शब्दो से मिलकर बना है-मेसो+पोटामिया,मेसो का अर्थ मध्य (बीच) और पोटामिया का अर्थ नदी है अर्थात दो नदियोँ के बीच के क्षेत्र को मेसोपोटामिया कहा जाता था। पश्चिमी एशिया में फारस की खाड़ी के उत्तर में स्थित वर्तमान इराक को प्राचीन समय में मेसोपोटामिया कहा जाता था मेसोपोटामिया की सभ्यता दजला और फरात दो नदियोँ के मध्य क्षेत्र में जन्म पली और विकसित हुई। इन नदियोँ के मुहाने पर सुमेरिय बीच में बेबीलोनिया तथा उत्तर में असीरिया सभ्यता का विकास हुआ इन सभ्यताओ के विषय में यह कहावत प्रचालित हैै की सुमेरिया ने सभ्यता को जन्म दिया बेबीलोनिया ने उसे उत्पत्ति के चरम शिखर तक पहुँचाया और असीरिया ने उसे आत्मसात किया दुसरे शब्दो में सुमेरिया, बेबीलोनिया और असीरिया इन तीनो सभ्यताओ के सम्मिलन से जो सभ्यता विकसित हुई उसे मेसोपोटामिया की सभ्यता कहा गया। मेसोपोटामिया में चार प्रसिद्ध सभ्यताएं हुईं हैं -सुमेरिया, बेबीलोन, असीरिया, कैल्ड्रिया।[1] दो नदियों दजला और फरात के बीच की धरती पर इंसानी सभ्यता के पहले शहर बसे. ईसा पूर्व चौथी सदी से करीब 3,000 सालों तक मेसोपोटामिया की सभ्यता के सबूत मिलते हैं. ईसा पूर्व पहली सदी आते आते वहां बेबीलोन और निनवे जैसे कई शहर बस चुके थे.

पहला साम्राज्य:- आज जहां इराक और सीरिया जैसे देश स्थित हैं उसी धरती पर कभी मेसोपोटामिया सभ्यता हुआ करती थी. वह प्राचीन सभ्यता उत्तरी असीरिया और दक्षिणी बेबीलोनिया में विभाजित थी. फिर इसे निचले स्तर पर भी कई प्रांतों में बांटा गया था. ईसा पूर्व तीसरी सदी से इन छोटे इलाकों को मिलाकर एक साम्राज्य के रूप में साथ लाया गया.

कृषि करने वाले पहले लोग:-औरत ने ही खेती करने,घर बनाने की शुरूआत की गई । संग्रहकर्ता से शिकारी और फिर किसान और पशुपालक बनने तक का सफर ऐतिहासिक है. इस सभ्यता में इंसान के खेती करने और पशुओं को पालने के पहले साक्ष्य मिलते हैं. उस समय सिंचाई के लिए व्यवस्था भी विकसित की गई और पशुओं के दूध से कई तरह के उत्पाद भी बनने शुरू हुए. दिव्य पदानुक्रम:- इस सभ्यता के लोग आस्तिक थे और कई सारे देवताओं को मानते थे. देवों की भी श्रेणियां थीं. सबसे बड़े देवता को उससे छोटे देवता पूजते थे. इस श्रेणी में सबसे अंत में आता था मानव. जिसे सबको पूजना होता और सबकी आज्ञा का पालन करना होता था. जीवन और धर्म गहराई से जुड़े थे. अंत:- सिकंदर महान ने 331 ईसा पूर्व में मेसोपोटामिया की सभ्यता को नष्ट कर दिया और वहां ग्रीक संस्कृति का प्रचार प्रसार किया. इसी के साथ मेसोपोटामियाई परंपराएं और जीवन दर्शन खो गया. फिर उसे हजार साल बाद फिर से खोद कर निकाला गया और अब इसे लुव्रे म्युजियम में सहेजकर रखा गया है. (लिया अलब्रेष्ट/आरपी)

सुमेरिया की सभ्यता

18 वी शताब्दी तक संसार इस महान मानव सभ्यता के ज्ञान से बहुत दूर था 19 वी शताब्दी के प्रारभ्भ में इंग्लैण्ड व फ्रांस के पुराविदो ने इस सभ्यता को खोज निकाले में सफलता प्राप्त की 1850 ईस्वी में अंग्रेजी पुराविद् रालिन्सन ने बिहिस्तून के पास एक उँचे टीले पर ईरानी शासक डेरियस द्वारा उत्कीर्ण कराया गया एक शिलालेख खोज निकाला इस सिलालेख पर फारसी और बेबीलोनियन भाषा का मिश्रण अंकित था और अधिक प्रयास के बाद रालिन्सन ने इसे पढ़ने में सफलता अर्जित की और परिणामस्वरुप मेसोपोटामिया सभ्यता का आवरण खुल गया।

  • शिलालेख

काले पत्थर से एक दूसरा शिलालेख सन् 1901 में सूसा प्राप्त हुआ इस शिलापट्ट पर बेबीलोनिया की भाषा में एक कानूनी संहिता लिपिबध्द थी। 19 वी सदी 1ए आरभ्भ मेंही सर लियोनार्ड वूली ने ईरान के अति प्राचीन नगर उर के उत्खनन द्वारा कतिपय महत्वपूर्ण अवशेष प्राप्त किये इस नगर की खुदाई में मिट्टी की तख्तियाँ इमारतो के खण्डहर, विभिन्न कलात्मक वस्तुएँ तथा शासकों की समाधिया आदि प्राप्त हुई उत्खनन में प्राप्त विभिनन वस्तुओ व शिलालेखो को पढ़ने के फलस्वरुप मेसोपोटामिया की महान सभ्यता मानव प्रकाश में आयी।

सभ्यता के मूल निवासी

सुमेरियन सभ्यता के जनक कौन थे यह प्रशन अद्यतन विवादगस्त है इस सभ्यता के मूल निवासियो के सम्बन्ध में सुपुष्ट प्रमाणो का अभाव है अत विध्दानो में मतवैभिन्य बना हुआ है कुछ विध्दानो का मत है कि सुमेरिया के मूल निवासी मंगोल अथव द्रविड़ रहें होंगे तो कुछ विध्दानो मत है कि सुमेरियान सभ्यता में आर्य और द्रविड़ सभ्यताओ के तत्वो का समावेश है कुछ इतिहासकारो के अनुसार भूमध्य सागरीय लोग सुमेरिया सभ्यता के जनक थे। लेकिन डा. कीथ का मत है कि सन्धु और सुमेरियन दोनो सभ्यताओ में पर्याप्त सामनता प्रतीत होती है।

सुमेरियन सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ

सुमेरियन सभ्यता प्राचीन विश्व की महानतम सभ्यताओ में से एक थी खनन द्वारा प्राप्त पुरातात्तविक सामग्री व विभिन्न शिलालेखो के आधार पर सुमेरियन सभ्यता का जो जीवन्त रूप व विशेषताएँ उभरकर समाने आयी।

सामाजिक जीवन

सुमेरिया का सामाज मुख्तयता ती वर्गो में विभाजित था प्रथम उच्च वर्ग दूसरा मध्य वर्ग व तीसरा निम्न वर्ग. उच्च वर्ग में राजा शासक , पुरोहित व राज्य के वड़े अधिकारी सम्मिलित थे इन्हे समाज में सर्वाधिक सम्मान प्राप्त था। मध्य वर्ग में वड़े कृषक, व्यापारी आदि थे। तृतीय वर्ग में दास श्रमिक और छोटे किसान होते थे सुमेरियन सामाज में दास प्रथा का प्रचलन था सामाज में स्त्रियों की स्थिति अच्छी थी उन्हें अपनी सम्पत्ति रखने का अधिकार था वे स्वतंत्र व्यवसाय भी कर सकती थी सामाज में स्त्रियों का सम्मान होता था सुमेरिया सामाज में प्राय: लोग एक ही विवाह करते थे किन्तु कतिपय उच्चवर्गीय लोग वहुविवाह भी करते थे, सुमेरियन खान पान व रहन सहन उच्च कोटि का था वे ऊनी तथा सूती वस्त्रो का प्रयोग करते थे पक्के मकानो में रहतें थे स्वच्छता और पवित्रा उनके जीवन के प्रमुख अंग थे। कंगन गले का हार, अँगूठी और कर्णफूल उनके प्रमुख आभूषण थे। गेहूँ , जौ खजूर इनके प्रिय खाद्य पदार्थ थे और समाज में दहेज प्रथा का प्रचन था।

राजनीतिक जीवन

सुमेरियन सभ्यता की काल अवधि निर्धारण के सुपुष्ट प्रमाण उपलब्ध नहीं है फिर भी अधिकांश विध्दान 4500 ईसा पूर्व से लेकर 2550 ईसा पूर्व के से समय से ही इस सभ्यता की अवधि मानते हैं। 3500 ईसा पूर्व तक सुमेरिया में केन्द्रीय शासन स्थापित हो गया था उर, उरुक, किश, निप्पुर, लगाश, उम्मा आदि इस सभ्यता के प्रमुख नगर दे उर के राजा उर एंगर, लगाश के शासक गुड़िया, किश की शासक अजगबाऊ इस सभ्यता के लोकप्रिय शासक थे इन राजाओं के शासनकाल में कला, साहित्य, व्यापार, आदि के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई कलान्तर में 2600 ईसा पूर्व के बाद शासकों ने शक्ति क्षीण होने लगी थी सुमेरिया की सभ्यता में शासन धर्म पर आधारित था राजा को ईश्वर का प्रतीक माना जाता था। सुमेरियन शासकों की कमजोरी का लाभ उठाकर समेटिक जाति की घुमन्तू जीवन जीनेवाली एक शाखा ने आक्रमण कर सम्पूर्ण सुमेरिया अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया। सारगो प्रथम इस वंश का शाक्तिशाली शासक था इसके काल सुमेरियन साम्राज्य फारस की खाड़ी से लेकर भूमध्य सागर के मध्य तक फेल गया था कलान्तर में 200 वर्षो के बाद इस वंश का पतन हो गया।

प्रशासन

सुमेरियपा प्राचीन काल में छोटे छोटे नगर राज्यो में विभक्त था प्रत्येक राज्य का स्वतंत्र शासका होता था जिसे सम्भवत फ्तेसी अथवा फ्तेस्ती कहा जाता था खुदाई में प्राप्त भग्नावशेषो से पता चलता है कि राजा एक विशाल महल में रहता था और कई अधिकारियों, कर्मचारियो तथा पुरोहित की सहायता से राजकीय कार्यो व शासन सम्बन्धी कार्यो का संचालन करता था ऐसा प्रतीत होता है कि प्रारम्भ में सुमेरिया में लोकतान्त्रिक शासन प्रणाली स्थापित थी प्रत्येक नगर राज्य में समय समय पर जनसभा होती थी और राज्य का प्रत्येक वयस्क नागरिक इसका सदस्य होता था इस जनसभा द्वारा ही शासन के कार्य संचालित होते थे किन्तु 3000 ईसा पूर्व के लगभग सुमेरिया में राजतन्त्रीय शासन प्रणाली की स्थापना हुई राजा राज्य शासन का प्रमुख होता था उसका आदेश अन्तिम होता था सुमेरिया में कड़ाई से कानूनों का पालन कराया जाता था। यहाँ दो प्रकार के न्यायालयो की व्यवस्था थी पहला धार्मिक न्यायालय जिनमें पुरेहित निर्णय किया करता था दूसरा राजकीया न्यायालय जिसमें राजा प्रमुख न्यायाधीश होता था। प्रशासनिक कठोरता के कारण समाज में पूर्णतया शान्ति स्थापित थी मुकदमो की सुनवाई का रिकार्ड लिखित रूप में रखा जाता था। बहुत से रिकार्ड मिट्टी की तख्तियो पर उत्खनन से प्राप्त हुए हैं उर एंगर तथा डूँगी आदि शासकों ने कानूनी संहिता का निर्माण भी कराया था परिवार व्यापार तथा सामाजिक जीवन से सम्वन्धित कानून बनाये गये थे।

सन्दर्भ

  1. "Middle Eastern Mythologies".