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मेलेनोमा

मेलेनोमा कैंसर का एक ऐसा प्रकार हैं, जों वर्णक युक्त कोशिकाओं से विकसित होता हैं, जिन्हें मेलेनोसाइट्स[1] कहा जाता हैं। मेलेनोमा को मैलीगनेंट (घातक) मेलेनोमा भी कहा जाता हैं। मेलेनोमा ज्यादातर त्वचा में ही होता हैं, बहुत ही कम देखा जाता हैं क यह आँख[2] या मुहं में हो। महिलाओं में यह आमतौर पर पैरों पर ही देखा जाता हैं, जबकि पुरुषों में यह पीठ[3] पर देखा जाता हैं। यह कभी-कभी तिल के आकर में वृद्धि, अनियमित किनारों, रंग में परिवर्तन, खुजली या त्वचा के टूटने से विकसित होते हैं।

मेलेनोमा

मेलेनोमा का प्राथमिक कारक परबैंगनी प्रकाश हैं, जब पराबैंगनी प्रकाश (यूवी) की किरणे त्वचा के निम्न-स्तर वाले रंगद्रव्य पर पड़ती हैं, तो इसका खतरा बढ़ जाता हैं। यूवी प्रकाश या तो सूर्य से या फिर अन्य टैनिंग स्त्रोतों[4] से आ सकता हैं। लगभग २५% तिल से विकसित होते हैं। जिन लोगो को तिल ज्यादा होते हैं, इतिहास में परिवार का कोई सदस्य पहले प्रभावित हुआ हो, या जिसका प्रतिरक्षी तंत्र कमजोर हो उनको इस बीमारी का खतरा रहता हैं। ज़ेरोडर्मा पिग्मेंटोसम[5] जैसे दुर्लभ अनुवांशिक दोष भी इसका खतरा बढ़ाते हैं। निदान के लिए बायोप्सी या त्वचा पे लगी कोई चोट या जख्म (जों संभावित रूप से कैंसर होने का संकेत दे) से जांच की जा सकती हैं। धूपरोधी क्रीम या यूवी प्रकाश से दूर रह कर मेलेनोमा से बचा जा सकता हैं। उपचार सर्जरी के द्वारा किया जाता हैं। जिन लोगो में यह कैंसर थोडा बड़ा होता हैं, उनमे लसिका ग्रंथि को भी प्रसार के लिए परिक्षण किया जाता हैं। यदि प्रसार ज्यादा न हुआ हो तो ज्यादातर लोगो को बचाया जा सकता हैं। जिन लोगो में मेलेनोमा फैल जाता हैं, उन्हें इम्म्युनोथेरेपी, जैविक चिकित्सा, विकिरण चकित्सा या कीमोथेरेपी जीवन के अस्तित्व में सुधार कर सकती हैं। इस बात की संभावना कि यह कैंसर वापस आएगा या फैल जाएगा इस पर निर्भर करता हैं कि मेलेनामो कितना मोटा हैं, कोशिकाएं कितनी तेज़ी से विभाजित हो रही हैं, या फिर उसकी ऊपर त्वचा टूटी हैं या नहीं। मेलेनोमा सबसे खतरनाक प्रकार का त्वचा कैंसर हैं। वैश्विक स्तर पर यह साल २०१२ में २३२,००० लोगो में हुआ। २०१५ में ३१ लाख लोगो में पाया गया[6]। ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैण्ड में मेलेनोमा सबसे ज्यादा पाया जाता हैं। एशिया, अफ्रीका, और लैटिनअमेरिका में यह कम पाया जाता हैं।

संकेत और लक्षण

तिलों का आकार बढ़ना, रंग में बदलाव शुरुआती लक्षणों में शामिल, या नोड्युलर मेलेनोमा (त्वचा के किसी अन्य भाग पर गाठ बनना) इसके शुरूआती लक्षणों में शामिल हैं। बाद के चरणों में तिल में खुजली, अलसर (सड़ना), या खून[7] आना आ सकता हैं। मेलेनोमा के शुरूआती संकेतो को निमोनिक "ऐबीसीडीई" से सारांशित किया जा सकता हैं।

  1. विषमता
  2. सीमाये (अनियमित किनारे और कोनो के साथ)
  3. रंग (बहुरंगी)
  4. व्यास (६ मिमी.से अधिक पेंसिल के रबड़ के आकर का)
  5. समय के साथ विकसित होने वाला

यह वर्गीकरण सबसे खतरनाक मेलेनोमा- नोड्युलर मेलेनोमा पर लागू नहीं होता। उसकी अपनी अलग विशेषताए हैं-

  1. जों त्वचा की सतह से ऊपर उठ गया हो
  2. जों छूने में मजबूत हो
  3. बढ़ने वाला

मेटास्ततिक मेलेनोमा के कुछ गैर विशिष्ट पैरेनोंप्लास्टिक लक्षण पैदा कर सकता हैं जैसे- भूख न लगना, उलटी आना, थकान रहना। शुरुआती मेलेनोमा का मेटास्टेसिस संभव है, लेकिन अपेक्षाकृत दुर्लभ। मेटास्टासिस मेलेनोमा वाले लोगो में मस्तिष्क मेटास्टासिस आम हैं। यह यकृत, हड्डियों, पेट या दूर के लसीकाओ तक भी पहुच सकता हैं।

कारण

मेलेनोमा ज्यादातर सूर्य की यूवी प्रकाश के असर से डीएनऐ को होने वल्ली क्षति से होता हैं। जीन भी एक हिस्सा निभाते हैं। ५० से ज्यादा टिल होना मेलेनोमा के होने का खतरा जाहिर करता हैं। कमज़ोर प्रतिरक्षी तंत्र भी इसका खतरा बाधा देता हैं, क्युकी उनमे कैंसर कोशिकाओं से लड़ने की ताकत नहीं होती[8]

पराबैंगनी किरणे

टैनिंग बेड से निकलने वाली पराबैंगनी किरणे मेलेनोमा का खतरा बढाती हैं। कैंसर पर अनुसन्धान करने वाली अमरीकन एजेंसी ने पाया कि टैनिंग बेड लोगो के लिए कैंसर का कारक हैं। जों लोग यह उपकरण ३० वर्ष की आयु से पहले इस्तेमाल करने लगते हैं उनमे इसका खतरा ७५% ज्यादा बढ़ जाता हैं। जों लोग हवाईजहाज पर काम करते हैं उनमे पराबैंगनी किरणे के असर के कारण मेलेनोमा होने का खतरा होता हैं। मेलेनोमा महिलाओं में पैरो और पुरुषों में पीठ पर पाए जाते हैं। अकुशल श्रमिको की तुलना में यह पेशेवर और प्रशासनिक श्रमिको में अधिक पाया जाता हैं। अन्य कारको में उत्परिवर्तन व ट्यूमर सपरेसर जीन की मई होना शामिल हैं।

बचाव

पराबैंगनी विकिरण से बचाव इसमें बहुत सहायक हैं, सूर्य संरक्षण उपाय और सूरज सुरक्षात्मक कपड़े पहने (लंबी आस्तीन वाली शर्ट, लंबे पतलून, और व्यापक छिद्रित टोपी) सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं। शारीर विटामिन डी उत्पन्न करने के लिए प्रराबैंग्नी प्रकाश का प्रयोग करता हैं इसीलिए स्वस्थ विटामिन डी का स्तर बनाये रखन जरूरी हैं जिससे मेलेनोमा का खतरा न बढे। पूरे दिन की शारीर की विटामिन डी की कमी आधे घंटे की धूप में पूरी हो जाती हैं, परन्तु इसी समय में श्वेतवर्ण वाले लोगो को आतपदाह हो जाता हैं।

इलाज

मेलेनोमा के इलाज में सर्जरी लाभदायक हैं। कीमोथेरेपी, इम्म्युनोथेरेपी, और रेडिएशन थेरेपी इसके इलाज में प्रयोग की जाति हैं।

सन्दर्भ

  1. "Melanoma Treatment–for health professionals (PDQ®)". National Cancer Institute. June 26, 2015. Archived from the original on 4 July 2015. Retrieved 30 June 2015.
  2. "Melanoma Treatment–for health professionals (PDQ®)". National Cancer Institute. June 26, 2015. Archived from the original on 4 July 2015. Retrieved 30 June 2015.
  3. World Cancer Report 2014 (PDF). World Health Organization. 2014. pp. Chapter 5.14. ISBN 978-9283204299. Archived (PDF) from the original on 2014-05-30.
  4. World Cancer Report 2014 (PDF). World Health Organization. 2014. pp. Chapter 5.14. ISBN 978-9283204299. Archived (PDF) from the original on 2014-05-30.
  5. Azoury, SC; Lange, JR (October 2014). "Epidemiology, risk factors, prevention, and early detection of melanoma". The Surgical Clinics of North America. 94 (5): vii, 945–62. doi:10.1016/j.suc.2014.07.013. PMID 25245960.
  6. GBD 2015 Mortality and Causes of Death, Collaborators. (8 October 2016). "Global, regional, and national life expectancy, all-cause mortality, and cause-specific mortality for 249 causes of death, 1980–2015: a systematic analysis for the Global Burden of Disease Study 2015". Lancet. 388 (10053): 1459–1544. doi:10.1016/s0140-6736(16)31012-1. PMC 5388903. PMID 27733281.
  7. "MelanomaWarningSigns.com". Archived from the original on 2015-08-01.
  8. "Melanoma Risk factors". Mayo Clinic. Archived from the original on 2017-04-10. Retrieved 2017-04-10.