मृदगलोपनिषद
मृदगलोपनिषद | |
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पाठ में कथित है कि विष्णु आदिम, आध्यात्मिक वास्तविकता और वैयक्तिक आत्मा हैं। | |
शीर्षक का अर्थ | एक वैदिक ऋषि |
प्रकार | सामान्य [1] |
सम्बद्ध वेद | ऋग्वेद |
अध्याय | 4 |
दर्शन | वैष्णव |
मुद्गलोपनिषद् ऋग्वेद शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद संस्कृत भाषा में लिखित है। इसके रचियता वैदिक काल के ऋषियों को माना जाता है परन्तु मुख्यत वेदव्यास जी को कई उपनिषदों का लेखक माना जाता है
रचनाकाल
उपनिषदों के रचनाकाल के सम्बन्ध में विद्वानों का एक मत नहीं है। कुछ उपनिषदों को वेदों की मूल संहिताओं का अंश माना गया है। ये सर्वाधिक प्राचीन हैं। कुछ उपनिषद ‘ब्राह्मण’ और ‘आरण्यक’ ग्रन्थों के अंश माने गये हैं। इनका रचनाकाल संहिताओं के बाद का है। उपनिषदों के काल के विषय मे निश्चित मत नही है समान्यत उपनिषदो का काल रचनाकाल ३००० ईसा पूर्व से ५०० ईसा पूर्व माना गया है। उपनिषदों के काल-निर्णय के लिए निम्न मुख्य तथ्यों को आधार माना गया है—
- पुरातत्व एवं भौगोलिक परिस्थितियां
- पौराणिक अथवा वैदिक ॠषियों के नाम
- सूर्यवंशी-चन्द्रवंशी राजाओं के समयकाल
- उपनिषदों में वर्णित खगोलीय विवरण
निम्न विद्वानों द्वारा विभिन्न उपनिषदों का रचना काल निम्न क्रम में माना गया है[2]-
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सन्दर्भ
- ↑ Tinoco 1996, पृ॰ 87.
- ↑ Ranade 1926, pp. 13–14
बाहरी कड़ियाँ
- उपनिषदों ने आत्मनिरीक्षण का मार्ग बताया
- उपनिषदों Archived 2023-01-31 at the वेबैक मशीन
- रचनाकाल Archived 2023-01-31 at the वेबैक मशीन
मूल ग्रन्थ
अनुवाद
- Translations of major Upanishads
- 11 principal Upanishads with translations
- Translations of principal Upanishads at sankaracharya.org
- Upanishads and other Vedanta texts
- डॉ मृदुल कीर्ति द्वारा उपनिषदों का हिन्दी काव्य रूपान्तरण
- Complete translation on-line into English of all 108 Upaniṣad-s [not only the 11 (or so) major ones to which the foregoing links are meagerly restricted]-- lacking, however, diacritical marks