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मृत्यु के बाद भारतीय अनुष्ठान

मृत्यु के बाद वैदिक अनुष्ठान सहित हिंदू अनुष्ठान, हिंदू धर्म में औपचारिक अनुष्ठान हैं, जो संस्कार में से एक है (वेद और अन्य हिंदू ग्रंथ पर आधारित मार्ग का पाठ, जो एक इंसान की मृत्यु के बाद उनके मोक्ष के लिए किया जाता है।

शमाशना-दाह संस्कार या कब्रिस्तान

श्मशान स्थल को शमाशना कहा जाता है और पारंपरिक रूप से यह नदी के किनारे होता है,,बहुत से लोग रामेश्वरम के अवसर पर काशी (वाराणसी) हरिद्वार, प्रयागराज (इलाहाबाद) श्रीरंगम, ब्रह्मपुत्र जैसे विशेष पवित्र स्थानों पर जा सकते हैं,ताकि जल में राख के विसर्जन के इस संस्कार को पूरा करते हैं ।[1]

अन्त्येस्ती-दाह संस्कार

31 जनवरी 1948 को राजघाट पर महात्मा गांधी का अंतिम संस्कार। इसमें सरदार वल्लभ भाई पटेल, जवाहरलाल नेहरू, लॉर्ड एंड लेडी माउंटबेटन, मौलाना आजाद, डॉ. अंबेडकर, राजकुमारी अमृत कौर, सरोजिनी नायडू और अन्य राष्ट्रीय नेताओं ने भाग लिया। उनके पुत्र देवदास गांधी ने चिता को प्रज्वलित किया।[2]
भारत के वाराणसी में मणिकर्णिका के जलते घाट।


1. अंत्येष्टि (अंतिम संस्कार):

  • अंत्येष्टि, जिसे “अंतिम संस्कार” भी कहा जाता है, मृत आत्मा के लिए किया जाने वाला अंतिम धार्मिक आयोजन होता है।
  • यह धार्मिक रस्म वेदों और अन्य हिन्दू ग्रंथों पर आधारित है।
  • कुछ सामान्य तत्व हैं:
    • शव दहन (अग्न्याधान): अधिकांश हिन्दू शव दहन की प्राथमिकता देते हैं। शव को चिता पर रखकर पुत्र या निकट रिश्तेदार आग जलाते हैं। इसका मान्यता है कि शव दहन के द्वारा आत्मा शरीर से मुक्त हो जाती है।
    • अश्थि विसर्जन: दहन के बाद अश्थि को एक पवित्र नदी (आमतौर पर गंगा) या किसी अन्य पवित्र जलमार्ग में डाल दिया जाता है। इससे आत्मा का अगला यात्रा किया जाता है।
    • श्राद्ध संस्कार: यह अंतिम संस्कार के बाद किया जाने वाला आयोजन होता है। इसमें पुजारियों को भोजन देना और कौवों को भी खिलाना शामिल होता है। यह आत्मा के पूर्वजों को आशीर्वाद देने के लिए किया जाता है।
    • पिण्ड दान: वर्ष के कुछ विशेष दिनों पर पिण्ड (चावल के गोले) को पितृगणों को अर्पित किया जाता है।

वैदिक रस्म (Vedic Rituals) का महत्व और विवरण वेदों में वैदिक रस्मों का महत्व अत्यधिक है। ये रस्में आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण मानी जाती हैं और व्यक्ति के जीवन के विभिन्न पहलुओं को संरचित करने में मदद करती हैं।

  1. यज्ञ (Yajna):
    • यज्ञ वेदों में महत्वपूर्ण धार्मिक क्रिया है। इसमें अग्नि के सामने विशेष मंत्रों का पाठ किया जाता है। यज्ञ के माध्यम से देवताओं को प्रसन्न किया जाता है और समृद्धि, शांति, और धार्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है।
  2. हवन (Havan):
    • हवन यज्ञ का एक प्रकार होता है। इसमें विशेष घृत, लकड़ी, और घास को अग्नि में डालकर मंत्रों का पाठ किया जाता है। हवन से आत्मा को शुद्धि मिलती है और धार्मिक गुणों की वृद्धि होती है।
  3. अश्वमेध यज्ञ (Ashvamedha Yajna):
    • अश्वमेध यज्ञ वेदों में महत्वपूर्ण है। इसमें एक घोड़े की बलि दी जाती है। यह यज्ञ राजा के राज्य की वृद्धि और शक्ति के लिए किया जाता है।
  4. सोम यज्ञ (Soma Yajna):
    • सोम यज्ञ में सोम रस का पान किया जाता है। यह यज्ञ देवताओं को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है और आत्मा को उच्चतम धार्मिक गति की प्राप्ति में मदद करता है।
      1. अग्नि प्रयोग (Agni Prayog):
        • अग्नि प्रयोग वेदों में एक महत्वपूर्ण यज्ञ है। इसमें अग्नि के सामने विशेष मंत्रों का पाठ किया जाता है। यह यज्ञ आत्मा को शुद्धि देता है और धार्मिक उन्नति की ओर अग्रसर करता है।
      2. अश्विनी कुमार यज्ञ (Ashwini Kumar Yajna):
        • अश्विनी कुमार यज्ञ वेदों में एक औषधि यज्ञ है। इसमें विशेष औषधियों का प्रयोग किया जाता है जो शारीरिक और मानसिक रोगों का उपचार करती हैं।
      3. अग्निहोत्र (Agnihotra):
        • अग्निहोत्र वेदों में एक दैनिक यज्ञ है जो सूर्योदय और सूर्यास्त के समय किया जाता है। इसमें अग्नि के सामने घी और अन्य सामग्री का प्रयोग किया जाता है।
      4. वाजपेयी यज्ञ (Vajapeya Yajna):
        • वाजपेयी यज्ञ वेदों में एक महत्वपूर्ण सोम यज्ञ है। इसमें सोम रस का पान किया जाता है और यजमान को शक्ति, विजय, और धन की प्राप्ति होती है।
      5. अग्निचायन (Agnichayana):
        • अग्निचायन वेदों में एक विशेष यज्ञ है जो अग्नि के चायन (बनाने) के लिए किया जाता है। इसमें अग्नि के सामने विशेष मंत्रों का पाठ किया जाता है।

कुछ जगहों पर , मृतक के परिवार का का कोई पुरुष सदस्य नऔवे दिन अपना सिर मुंडवा लेते हैं, जिसे नौवर कहा जाता है। और फिर तेरहवें (13वें दिन, मृतक की याद में, एक साथ भोजन करने के लिए सभी दोस्तों और रिश्तेदारों को आमंत्रित करते हैं जिसे तहर्वी संस्कार भी कहा जाता है। यह दिन, कुछ समूदायों मे , एक ऐसा दिन होता है जब गरीबों और जरूरतमंदों को मृतकों की याद में भोजन दिया जाता है।

हिंदू धर्म में दफन

श्मशान में शव को दफनाने की प्रक्रिया हिन्दू धर्म में अंतिम संस्कार के रूप में जानी जाती है। जैसा कि आपने सही रूप से बताया है, शव को जलाने की जगह इसमें दफनाने के लिए तैयार की जाती है। यहां कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं को समझाता हूँ:

  1. शव की तैयारी:
    • शव को स्नान करके तैयार किया जाता है। इसमें शरीर को धोकर शुद्ध किया जाता है। शव के माथे पर विभूति या चंदन लगाया जाता है।
  2. दफन की जगह (शमशान):
    • शव को दफनाने के लिए शमशान तैयार किया जाता है। यह आमतौर पर शहर या गांव के बाहर स्थित होता है। कुछ धनी लोग अपने खेत में भी शव को दफनाते हैं।
  3. दफन की खुदाई:
    • शव को दफनाने के लिए एक खुदाई की जाती है। नींद में शव के लिए खुदाई की जाती है, जो आमतौर पर तीन फीट चौड़ी और छह फीट लंबी होती है। बैठे हुए शव के लिए खुदाई की जाती है, जो तीन फीट चौड़ी और तीन फीट लंबी होती है।
  4. समाधि:
    • कुछ समुदायों में संतों को अलग स्थान पर बैठे हुए शव के साथ दफन किया जाता है। बाद में उनके लिए समाधि बनाई जाती है, जो एक पूजा स्थल बन जाता है।

अन्त्येष्टि के बाद के अनुष्ठान

निरवपंजली-राख का विसर्जन

निरवापंजलि: आत्मा की उच्चतम यात्रा

  • निरवापंजलि एक पवित्र धार्मिक आयोजन है जो हिन्दू धर्म में किया जाता है।
  • इसका मकसद है कि शव की अशेष अश्माशीष (अश्म) को पवित्र जल में डालकर आत्मा को स्वर्ग की ओर उठाया जा सके।
  • यह आयोजन अंतिम संस्कार के बाद किया जाता है, जब शव को जलाने की प्रक्रिया पूरी हो जाती है।
  • निकटतम रिश्तेदार शव की अश्माशीष को पवित्र नदी या अन्य पवित्र जलमार्ग में डालते हैं।
  • इसके माध्यम से आत्मा को उच्चतम लोकों की ओर यात्रा करने का अवसर मिलता है। हिंदू धर्म में, राजा भागीरथ ने गंगा नदी को पृथ्वी पर उतारने के लिए तपस्या की थी, ताकि वह अपने साठ हजार मारे गए पूर्वजों की राख को उसके पवित्र जल में विसर्जित कर सके।

तर्पण-स्वर्ग में प्रवेश के लिए देवताओं को पवित्र भेंट

तर्पण: आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना

  • तर्पण एक पवित्र धार्मिक आयोजन है जो अधिकतर हिन्दू परिवारों में किया जाता है।
  • इसमें निकटतम रिश्तेदार देवताओं के लिए प्रसाद बनाते हैं, ताकि शव की आत्मा स्वर्ग में प्रवेश कर सके।
  • हिन्दू पौराणिक कथाओं में, परशुराम ने अपने पिता जमदग्नि के लिए उनके हत्यारे के खून से तर्पण किया।
  • तर्पण के माध्यम से हम अपने पूर्वजों की याद को समर्पित करते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिले।
  • यह आयोजन आत्मा की मोक्ष की ओर एक महत्वपूर्ण कदम होता है।
  • इसमें प्राणी के नाम, गोत्र, और आपकी आशीर्वाद की भी प्रार्थना की जाती है।

वंशावली रजिस्टर

बहुत से लोग हिंदू तीर्थ स्थलों पर जाते है ताकि वे , श्रध समारोह, जैसे पेहोवा, कुरुक्षेत्र, हरिद्वार, गोकर्णेश्वर, नासिक, गया आदि जहां वे पंडितों द्वारा बनाए गए अपने वंशावली रजिस्टर को भी अपडेट कर सके।

पूर्वजों की पूजा

पितरः-पूर्वज

पितृ (पूर्वज) हिंदू धर्म में दिवंगत पूर्वजों की आत्माएं हैं, जिन्हे प्रति वर्ष याद किया जाता है।

जातेरा, ढोक या समाधि-पूर्वजों के मंदिर

जत्थेरा या ढोक, जेस्ता (एल्डेर) और दहक (दहक पवित्र अग्नि) यह एक प्रकार की समाधि है जो पूर्वजों की पूजा से जुड़ा हुआ है।

  1. Christopher Justice (1997), Dying the Good Death: The Pilgrimage to Die in India's Holy City, SUNY Press, ISBN 978-0791432617, pp. 39–42
  2. "Cremation of Gandhi's body", James Michaels, January 31, 1948