मृगनयनी
मृगनयनी वृन्दावनलाल वर्मा की प्रसिद्ध ऐतिहासिक रचना है। इसमें १५वीं शती के ग्वालियर राज्य के राजा मानसिंह तोमर तथा उनकी गुज्जर रानी मृगनयनी की प्रेम कथा है।इसके माध्यम से मानसिंह तोमर का चरित्र चित्रण किया गया है। साथ ही तत्कालीन ग्वालियर रियासत एवं इतिहास की भी झलक देखने को मिलती है।
ग्वालियर के दक्षिण-पश्चिम में राई नामक ग्राम मे निम्मी और उसका भाई अटल रहते थे। लाखी, निम्मी की सखी थी। निम्मी और लाखी के सौन्दर्य और लक्ष्यवेध की चर्चा मालवा की राजधानी माण्डू, मेवाड़ की राजधानी चित्तौड़ और गुजरात की राजधानी अहमदाबाद तक पहुची। उस समय दिल्ली के तख्त पर गयासुद्दीन खिलजी बैठ चुका था। माण्डू के बादशाह बर्बरा और गयासुद्दीन ने निम्मी और लाखी को प्राप्त करने की योजनाएँ बनाई। राई गाँव के पुजारी ने उनके सौन्दर्य और लक्ष्यवेध प्रशंसा ग्वालियर के राजा मानसिंह के समक्ष की।[1]
लाखी की माँ मर गई, इसलिए लाखी, निम्मी और अटल के पास रहने लगी। गयासुद्दीन खिलजी ने, नटो के सरदार को निम्मी और लाखी को लाने के लिए, योजना तैयार की। नटों और नटनियों ने निम्मी और लाखी को फुसलाना प्रारम्भ किया।
एक दिन राजा मानसिंह शिकार खेलने राई गाँव पहुँचे। निम्मी के सौन्दर्य और शिकार मे लक्ष्यवेध से मुग्ध होकर विवाह करके उसे ग्वालियर ले गये। । वे नटों के दल के साथ नरवर के किले की तरफ आ गये। लाखी को नटों के षडयंत्र का पता लग गया, इसलिए उसने उनके षडयन्त्र को विफल कर उन्हे समाप्त कर दिया। महाराजा मानसिंह अटल और लाखी को ले गए और ग्वालियर मे उनका विवाह हुआ ।
निन्नी, विवाह के पश्चात 'मृगनयनी' के नाम से प्रसिद्ध हुई। मृगनयनी के पहले राजा के आठ पत्नियाँ थीं जिनमे सुमनमोहिनी सबसे बड़ी थी। गुर्जरों के तंवर/तोमर गोत्र का उदय राजा यहीं से प्रारंभ हुआ था निम्मी गुज्जरी मृगनियनीसे गुर्जरों में प्रारंभ हुईं।
यह बात 1905 की लिखी हुई अंग्रेजी राइटर की बुक से भी पता चलती है।
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ "ग्वालन[दूध बेचने वाली]]के प्यार में डूबा था यह राजा,रानी व राजा के प्रेम की अमर कहानी का गवाह है ये शानदार महल". Patrika News. 2019-04-18. अभिगमन तिथि 2021-12-23.
सर्वथा अनुचित लेख है