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मुसाफिरखाना

मुसाफिरखाना
Musafirkhana
मुसाफिरखाना is located in उत्तर प्रदेश
मुसाफिरखाना
मुसाफिरखाना
उत्तर प्रदेश में स्थिति
निर्देशांक: 26°22′05″N 81°48′47″E / 26.368°N 81.813°E / 26.368; 81.813निर्देशांक: 26°22′05″N 81°48′47″E / 26.368°N 81.813°E / 26.368; 81.813
देश भारत
प्रान्तउत्तर प्रदेश
ज़िलाअमेठी ज़िला
ऊँचाई102 मी (335 फीट)
जनसंख्या (2011)
 • कुल7,999
भाषाएँ
 • प्रचलितहिन्दी
समय मण्डलभामस (यूटीसी+5:30)
पिनकोड227813
वेबसाइटwww.npmkhana.in

मुसाफिरखाना (Musafirkhana) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के अमेठी ज़िले में स्थित एक नगर है।[1][2]

विवरण

मुसाफिरखाना अमेठी जिले में स्थित है लेकिन पूर्व में यह सुल्तानपुर ज़िले की एक महत्वपूर्ण तहसील थी। 'मुसाफिरखाना' शब्द का अर्थ है सराय या धर्मशाला। मुसाफिरखाना उत्तर प्रदेश के अमेठी जिले में स्थित' है। यह लखनऊ-अमेठी रोड पर स्थित है गौरीगंज और अमेठी सड़क मार्ग माध्यम से मुसाफिरखाना पहुँचा जा सकता हैं। निकटतम रेलवे स्टेशन मुसाफिर खाना रेलवे स्टेशन है। इसके अतिरिक्त अमेठी, गौरीगंज,निहालगढ़ एवं सुल्तानपुर निकटवर्ती रेलवे स्टेशन हैं। निकटतम हवाई अड्डा अमौसी है। भौगोलिक दृष्टि से, शहर 26.37 ° उत्तरी अक्षांश और 81.8 ° पूर्वी देशांतर में स्थित है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 102 मीटर (334 फुट) है। जिले में ग्राम गुन्नौर के पास महादेव का अति प्राचीन मंदिर नारद मुनि धाम है, कहा जाता है कि इस ‌‌‌‌गुप्त शिव लिंग की स्थापना नारद मुनि ने अपने हाथ से किया था, पास ही कादू नाला है, जो कयादु का अपभ्रंश है, हिरन्यकश्यपु की पत्नी कयादु के नाम पर था, प्रहलाद का जन्म यहीं हुआ था।

प्रसिद्ध मंदिर

  • हिंगलाज माता मंदिर: मुसाफिरखाना से 5 किलोमीटर उत्तर दिशा की ओर दादरा गांव स्थित यह प्राचीन मंदिर जिले के प्रमुख मंदिरों में से एक है। वर्षों पूर्व बाबा पुरुषोत्तम दास ने अपनी कठोर तपस्या से मां हिंगलाज को प्रसन्न कर,हिंगल पर्वत (वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित)से लाकर दादरा गांव के पश्चिम दिशा में स्थापित किया। तब से यह सिद्ध मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है। कहा जाता है की जो भी इस मंदिर में जाकर सच्चे मन से माता की आराधना करता है उसकी सभी मनोकामनाऐं अवश्य पूर्ण होती है।

नवरात्रि एवम प्रत्येक सोमवार व शुक्रवार को यहां पर भक्तो की भारी भीड़ माता के दर्शन हेतु दूर दूर से पहुंचती है। मंदिर के पास में ही स्थित हनुमान जी के परम भक्त खाकी बाबा का मंदिर व पुरुषोत्तम दास बाबा का मंदिर भी श्रद्धालुओं के दर्शन का केंद्र है।

  • मृत्युंजय महादेव मन्दिर: यह वार्ड न० ४ नगर पंचायत, मुसाफिरखाना में स्थित है। इस मंदिर की स्थापना स्वर्गीय माता बादल शुक्ल ने १९५९ में की जो न्यायधीश स०न० शुक्ल के पिता थे। इस मन्दिर में माँ दुर्गा, साईं बाबा और राधा-कृष्ण की मूर्तियाँ हैं। इस वर्ष २ जून २०१३ से ९ जून २०१ ३ तक मंदिर के निकट श्री परम पूज्य विशाल विशाल कौशल जी महाराज द्वारा राम कथा शिविर आयोजित हुआ था।
  • बाबा नंद महर : यह भगवान कृष्ण जी की स्मृति में यादवों द्वारा बनवाया गया मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि यहाँ भगवान श्री कृष्ण अपने बचपन में आए थे। यह मंदिर यादवों के राजा भगवान राजा बलि और पवारिया के लिए भी प्रसिद्ध है। हर मंगलवार को लोग दूध के साथ यहाँ आते हैं व पूजा अर्चना करते हैं। यहाँ हर वर्ष हिन्दी माह कार्तिक पूर्णिमा को एक बड़ा और लोकप्रिय मेला लगता है। प्रमुख बात यह है कि अलग अलग ज़िलों से ( अमेठी, सुल्तानपुर, फैजाबाद, बहराइच, गोंडा, [[अम्बेडकरनगर, प्रतापगढ़, राय बरेली, बाराबंकी ) लोग आते हैं व पूजा अर्चना करते हैं।
  • दुर्गन भवानी: यह देवी माँ दुर्गा एवं पवन पुत्र हनुमान का प्रसिद्ध मंदिर है।
  • संतोषी माता: यह बहुत ही मशहूर देवी संतोषी का मंदिर है। यह मंदिर मुसाफिरखाना से 6 कि॰मी॰ दूर जामो रोड पर है। संतोषी माता मंदिर तिवारी का पुरवा, बरहेती गांव में है। यहाँ हर शुक्रवार को लोग आते हैं और अपने कल्याण के लिए कामना करते हैं।
  • मुसाफिरखाना तहसील के जगदीशपुर ब्लाक के कोछित गांव मे दन्डेस्वर बाबा (शिव के रूप ) का मन्दिर स्थपित है |यहां पर शिवरात्रि में एक दिन तथा अधिमास के अवसर पर १ मास क मेले का आयोजन होता है | यह मन्दिर भगवान बाराह (विष्णु रूप) के समय से अस्तित्व में है| साथ ही यहां पे प्राचीन राम जानकी मन्दिर , स्वेत बाराह मन्दिर चर्चित है | यही से ३ किलो मी दूर मुसाफिरखाना ब्लाक के नारा गांव मे बाबा महावीर दास की कुटी है जोकि एक. चर्चित स्थल है नारा गांव के स्वेत बाराह स्थान पर थसाल में दो ब़ार राम नवमी तथा कार्तिक मास के पूर्णमासी को विसाल मेला लगता है|
  • महादेव बाबा शिव भोले का मन्दिर ग्राम पिण्डारा करनाई में स्थित है। यह हमारे क्षेत्र का सबसे पुराना मन्दिर है। यहाँ हर शिवरात्री को बहुत बड़ा मेला लगता है। और मलमास के समय भी पूरे महीने शिव बाबा को जल अर्पण के लिए बहुत भीड़ रहती है। यहाँ के बबुवान ठाकुर बब्बन सिंह के सानिध्य में यहाँ बहुत बड़े मेले का आयोजन होता था जो आज भी अनवरत चला आ रहा है। यहाँ मंदिर में पाई गयी मूर्तियाँ खडिंत हैं जिस से यह पता चलता है कि इस मंदिर पर मुगल शासकों का आक्रमण हुआ था।
  • जिले में ग्राम गुन्नौर के पास महादेव का अति प्राचीन मंदिर नारद मुनि धाम है, कहा जाता है कि इस ‌‌‌‌गुप्त शिव लिंग की स्थापना नारद मुनि ने अपने हाथ से किया था, पास ही कादू नाला है, जो कयादु का अपभ्रंश है, हिरन्यकश्यपु की पत्नी कयादु के नाम पर था, प्रहलाद का जन्म यहीं हुआ था।

जनसांख्यिकी

2001 के अनुसार  भारत की जनगणना, मुसाफिरखाना 7373 की आबादी थी। पुरुषों आबादी के 53% और महिलाओं 47% का गठन। मुसाफिरखाना 66%, 59.5% के राष्ट्रीय औसत से अधिक की एक औसत साक्षरता दर है: पुरुष साक्षरता 75% है और महिला साक्षरता है 57%। मुसाफिरखाना में, जनसंख्या का 15% उम्र के 6 वर्ष से कम है।

परिवहन

मुसाफिरखाना एक रेलवे स्टेशन है (यह है से 500 मीटर की दूरी केंद्र स्थान), जो वाराणसी-लखनऊ रेल मार्ग पर पड़ता। मुसाफिरखाना की बहुत अच्छी कनेक्टिविटी की राजधानी लखनऊ बस या ट्रेन द्वारा यानी ऊपर से है।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

  1. "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
  2. "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance Archived 2017-04-23 at the वेबैक मशीन," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975