मुरादाबाद जिला
मुरादाबाद ज़िला | |
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उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद ज़िले की अवस्थिति | |
राज्य | उत्तर प्रदेश भारत |
प्रभाग | मुरादाबाद |
मुख्यालय | मुरादाबाद |
जनसंख्या | 2,761,620 (2001) |
साक्षरता | 45.74%[1] |
लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र | Moradabad, Sambhal |
आधिकारिक जालस्थल |
मुरादाबाद ज़िला भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक ज़िला है। ज़िले का मुख्यालय मुरादाबाद शहर है।[2][3]
विवरण
मुरादाबाद शहर के लालबाग नामक स्थान पर श्री काली देवी जी का प्राचीन सिद्धपीठ श्री काली माता मन्दिर स्थित है । लगभग 400 वर्ष पूर्व ब्रिटिश शासन से भी पहले इस स्थान पर नागा बाबा मिश्री गिरी जी ने जो की बंगाल से आये थे, पूजा - पाठ के लिए रामगंगा के तट पर एक मठ का निर्माण करवाया । कालान्तर में नागा बाबा मिश्री गिरी जी के ब्रह्मलीन होने (गौलोकवास) के उपरान्त यह स्थान श्री श्री 1008 मिश्री गिरि जी का टीला प्राचीन सिद्धपीठ श्री काली माता के मन्दिर के रुप में विकसित हुआ । तभी से इस स्थान पर श्री काली माता के दो मन्दिर प्रमुख रूप से स्थित हैं जिन्हें क्रमश: छोटी काली माँ तथा बड़ी काली माँ के नाम से जाना जाता है । इन मन्दिरों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहाँ काली के अन्य मन्दिरों की भाँति पशु - बलि इत्यादि कर्मकाण्डों का प्रचलन नहीं है। बल्कि यहाँ बलि के स्थान पर नारियल चड़ाये जाते है । यहाँ की पूजा सात्विक है ।
इन दोनों मन्दिरों के निकट प्राचीन समय से वर्तमान में हुए 29 महात्माओं (नागा साधुओं) की समाधियाँ हैं एवं कुछ अन्य साधूओं को जल समाधि दी गयी थी। तथा प्राचीनकाल से आज तक सर्वप्रथम आरती माँ नौ देवी (छोटी काली माँ, जो रामगंगा से निकली थी ) की होती है यह मन्दिर नीचे बना हुआ है अतः इस मन्दिर के बराबर में वर्तमान मे गुरुद्वारा स्थापित है। तत्पश्चात टीले पर विराजमान बड़ी काली माँ की आरती होती है, प्राचीनकाल मे नीचे मन्दिर से आरती होने के बाद यह आरती जमीन में बनीं सुरंग (गुफा) से गुजरकर ऊपर टीले वाली माँ काली की आरती के लिये जाया करती थी, परन्तु अब मन्दिर के बराबर में बनें गुरुद्वारे के Basement के कारण इस सुरंग को बंद कर दिया गया है। नौ देवी माँ की प्रतिमा के बराबर में माँ कामाख्या देवी का श्री विग्रह एवं शिवलिंग रूप मे नागा साधू जी की समाधि है एवं शनि देव शिला ,नवग्रह देव, श्री वृहस्पतिदेव, हनुमान जी ,श्री राम दरवार, शिव परिवार और गौशाला आदि स्थापित है।
बड़ी काली माँ की प्रतिमा के साथ सिंह (शेर) है एवं पीछे सरस्वती माँ एवं दुर्गा जी का श्री विग्रह स्थापित है एवं साथ ही साथ श्री बटुक भैरवनाथ जी, कालका माई का धूना, श्री गुरुदत्तात्रेय जी का श्री विग्रह और गौशाला स्थापित है।
श्री काली माता मन्दिर रामगंगा के तट पर स्थित है एवं मन्दिर के बराबर मे शमशान घाट है जिसमे महादेव जी का श्री विग्रह है। शमशान घाट के बराबर मे श्री महाकाल भैरवनाथ मन्दिर है जिसमे भैरोनाथ जी के साथ-साथ माँ तारारानी, माँ सरस्वती,संजीवनी बूटी लिये हनुमान जी एवं गुरु गौरखनाथ जी मुख्य रूप से विराजित है, श्री काली माता मन्दिर के सामने सिद्धपीठ श्री बाला जी हठीले हनुमान मन्दिर स्थापित है जिसमे श्री बाला जी महाराज जी के साथ-साथ माता अंजनी, माँ शेरावाली, श्री सीताराम जी, हनुमान जी, हाथी पर सवार गुरु वृहस्पतिदेव जी, श्री शिव परिवार और श्री भैरवनाथ जी मुख्य रूप से सुशोभित है एवं इन मन्दिरो के साथ ही साथ यहाँ श्री संतोषी माता मन्दिर, गंगा मन्दिर, महर्षि दयानंद सरस्वती आश्रम जो की डंडी साधुओं के द्वारा बनबाया गया था और यहाँ कामधेनु गौ माता का मन्दिर व गुरुद्वारा आदि है ।
लालबाग स्थित काली माता मन्दिर के बारे में मान्यता है कि भक्तगण यदि पवित्र हृदय से माँ की उपासना करें , तो उन्हें मनवांछित फल की प्राप्ति होती है । इसी मान्यतावश यहाँ विभिन्न पर्वों पर हजारों की संख्या में लोग श्री काली माँ की उपासना के लिए आते हैं । एवं यहाँ दूर दूर से श्रद्धालु आकर बच्चो के मुन्डन भी करवाते है।
यह मन्दिर पंच दशनाम् जुना अखाड़ा 13 मढ़ी श्री श्री 1008 मिश्री गिरि जी का टीला प्राचीन सिद्धपीठ श्री काली माता मन्दिर लालबाग मुरादाबाद के नाम से प्रसिद्ध है।
इतिहास
पूर्व में यह शहर चौपाला नाम से जाना जाता था जो हिमालय के तराई और कुमाऊं क्षेत्रों में व्यवसाय और दैनिक जीवनोपयोगी वस्तुओं की प्राप्ति का प्रमुख स्थान रहा है बाद में इसका वर्तमान नाम यह सन् १६०० में मुग़ल सम्राट शाहजहाँ के बेटे मुराद के नाम पर रखा गया; जिसके कारण इस शहर का नाम मुरादाबाद पड़ गया। यह मुरादाबाद जिले का प्रशासकीय मुख्यालय है। मुरादाबाद राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से १६७ किमी (१०४ मील) की दूरी पर राम गंगा नदी (गंगा की उपनदी) के किनारे स्थित है। यह शहर उत्तरी अमरीका व यूरोप को अपने पीतल हस्तशिल्प के बड़े निर्यात के लिए प्रसिद्व है व इसलिए इसे "पीतल नगरी" (स्थानीय भाषा में) भी कहा जाता है। इसमें विभिन्न धर्मों व जातियों के लगभग ४० लाख लोग निवास करते हैं।
भूगोल
मुरादाबाद ज़िला २८°२१´ से २८°१६´ उत्तरी अक्षांश व ७८°४´ से ७९º पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है। मुरादाबाद जिले का भौगोलिक क्षेत्रफल ३४९३ वर्गमी है व इसमें २७,६१,६२० आबादी यहाँ वास करती है।
अर्थव्यवस्था
यद्यपि मुरादाबाद एक महत्वपूर्ण कृषि मंडी है, यह संसार भर में पीतल व कांच के कार्यों के लिए प्रसिद्व है। धातुकर्म, हस्तशिल्प, विद्युत्लेपन, चीनी उद्योग अन्य उद्योग हैं। शहर में ४०० से अधिक पीतल, एलुमिनिअम, लौह व कांच हस्तशिल्प निर्माणियाँ हैं। समय के साथ- साथ ये निर्माणियाँ वैश्विक- सामाजिक व सुरक्षा मानकों को पूरा करने लगीं हैं। परिणामस्वरुप मुरादाबाद में बाल मजदूरी में काफी कमी आई है। सुरक्षा मानकों के अनुरूपण का तात्पर्य है कि बड़े व्यापारी भी यहाँ से माल यह जानते हुए खरीद सकते हैं कि यह माल खतरे से रहित है। लगभग सभी यूरोपियन व अमरीकन व्यापारी जैसे वाल- मार्ट, कैरफोर, जेसी पेनी, टारगेट, कासतो रामा, होम डेपो व कई अन्य मुरादाबाद से माल लेते हैं।
सिद्धपीठ प्राचीन श्री काली माता मंदिर लालबाग मुरादाबाद , श्री कामेश्वरनाथ मन्दिर दीवान बाजार और मनोकामना मन्दिर ताड़ीखाना यहाँ के प्रमुख स्थल हैं।
सन्दर्भ
- ↑ "District-specific Literates and Literacy Rates, 2001". Registrar General, India, Ministry of Home Affairs. मूल से 14 अप्रैल 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2010-10-10.
- ↑ "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
- ↑ "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance Archived 2017-04-23 at the वेबैक मशीन," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975